गाज़ा में युद्ध विराम के लिए गम्भीर प्रयास होने चाहिएं

मौजूदा सदी में सबसे खराब किस्म का संकट है गाज़ा में मानवीय त्रासदी। लगभग 11000 से अधिक लोग, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं, उनमें से 40 प्रतिशत15 साल से कम उम्र के बच्चे हैं, घनी आबादी वाले क्षेत्र में असंगत आक्रामकता और अभूतपूर्व बमबारी से मारे गये हैं। गाज़ा में हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है। अस्पतालों और शरणार्थी शिविरों सहित अधिकांश बुनियादी ढांचे मलबे में तब्दील हो गये हैं। इस विनाश से संतुष्ट न होकर इज़रायल के हेरिटेज मंत्री अमीचाई एलियाहू ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे दी। गाज़ में आम लोगों के हो रहे संहार को रोकने के लिए युद्ध विराम की लिए गम्भीर प्रयास किये जाने की ज़रूरत है। 
हालांकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया है, जो महज़ एक धोखा है और खुद को चौतरफा आलोचना से बचाने के लिए उठाया गया कदम है। यह मानना नादानी होगी कि मंत्री का बयान इज़रायली सरकार के आंतरिक हलकों में बिना किसी चर्चा के आया है। न तो प्रधानमंत्री नेतन्याहू और न ही किसी अन्य अधिकारी ने इज़रायल के पास परमाणु हथियार होने से इन्कार किया है। इससे पहले की अटकलों की पुष्टि हो गयी है कि इज़रायल एक परमाणु हथियार सम्पन्न देश है। गाज़ा पर इज़रायली आक्रमण, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह 7 अक्तूबर को इज़रायल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुआ था, वस्तुत: फिलिस्तीनियों के जातीय सफाये में बदल गया है।
अमरीका झूठे बहाने और अप्रमाणित सुबूतों के आधार पर इराक पर हमला करने में सबसे आगे था कि इराक के पास सामूहिक विनाश के हथियार थे, परन्तु आज उसने इज़रायली मंत्री के बयान पर चुप्पी साध ली है। अमरीका हमेशा ईरान पर परमाणु हथियार रखने का आरोप लगाता रहा है, लेकिन अब जब इज़रायली मंत्री ने खुलेआम परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी दी है तो अमरीकी सरकार और उसके सहयोगियों की चुप्पी हैरान करने वाली है। आईएईए ने भी एक शब्द नहीं कहा है। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) जिसके पास नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराधों जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुकद्दमा चलाने का अधिकार है, अमरीका के समर्थन से इज़रायल द्वारा हज़ारों बच्चों का नरसंहार देखने के बाद भी चुप है।
यह दुख की बात है कि अमरीका और उसके सहयोगियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच तत्काल युद्धविराम के जॉर्डन के प्रस्ताव के खिलाफ  मतदान किया। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने बताया है कि इज़रायल पर हमास के हमले शून्य में नहीं हुए। इज़रायल और अमरीका ने एक कहानी बनायी है कि इज़रायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है जबकि इतिहास भरा पड़ा है ऐसी घटनाओं से जब इज़रायल ने न केवल फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जा कर लिया है, बल्कि उन्हें बाहर धकेल दिया है और उन्हें राज्यविहीन नागरिक बना दिया है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय कानून और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के दो राष्ट्र सिद्धांत को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है, जैसा कि 1967 में अमरीका और सोवियत रूस के हस्तक्षेप से इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच अपनाया गया था।
अपने अपराधों को सही ठहराने के लिए हमलावरों द्वारा झूठी कहानियां गढ़ी जाती हैं। वे किसी न किसी बहाने अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करते हैं। नाज़ियों ने जर्मनी की बुराइयों के लिए यहूदियों को दोषी ठहराया। उन्होंने यह मिथक फैलाया कि जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध में घरेलू मोर्चे पर विश्वासघात के कारण हारा था। यहूदियों, सोशल डेमोक्रेट्स और कम्युनिस्टों को ज़िम्मेदार ठहराया गया। युद्ध में यहूदियों की भूमिका के बारे में पूर्वाग्रह झूठे थे। एक लाख से अधिक जर्मन और ऑस्ट्रियाई यहूदियों ने अपनी पितृ-भूमि के लिए लड़ाई लड़ी थी। हिटलर ने उपरोक्त तथ्यों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया और सामूहिक उन्माद पैदा करने और उनमें से 60 लाख से अधिक को खत्म करने के लिए यहूदियों के खिलाफ झूठी कहानी का इस्तेमाल किया था। ऐसे कट्टरपंथी सबको अपने अधीन करने के अधिकार को उचित ठहराते हैं। 
इज़रायली विरासत मंत्री के बयान को गंभीरता से लेना होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें दुनिया की प्रतिक्रिया देखने के लिए बोलने के लिए कहा गया था।
अमरीका सैन्य औद्योगिक परिसर के निर्माण और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में युद्ध करवा कर अपने आर्थिक संकट को हल करने की कोशिश कर रहा है। नाटो पहले से ही एशिया के दरवाज़े पर है। क्वाड और एयूसीकेयूएस जैसे संगठन एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए खतरा हैं।
लोगों की आवाज़ शांति के लिए है। तत्काल युद्ध विराम के लिए दुनिया भर में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। तत्काल युद्ध विराम के लिए दक्षिण अफ्रीका की शांति योजनाएं बहुत उपयुक्त हैं और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस समय परमाणु-विरोधी आंदोलन को और अधिक मुखर होना चाहिए। (संवाद)