युद्ध विराम के संकेत

इज़रायल-फिलिस्तीन में चल रहे युद्ध को लगभग सात सप्ताह बीत चुके हैं। इसका प्रभाव विश्व भर में पड़ा है, परन्तु खास तौर पर मध्य पूर्वी क्षेत्र के देश इस युद्ध से पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इसने जिस स्तर पर बड़े मानवीय दुखांत को जन्म दिया है, वह बेहद दर्दनाक है। गाज़ा पट्टी के छोटे-से क्षेत्र में 22 लाख के लगभग फिलिस्तीनी बसे हुये हैं। इनमें तीन चौथाई लोग घर-बार छोड़ कर पूरी तरह उजड़ चुके हैं। इज़रायल द्वारा की गई घेराबंदी के कारण इन्हें खाद्य, पानी तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की बुरी तरह कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे हालात में विश्व भर के देश चिन्तित हुये, इस युद्ध को शीघ्र-अति शीघ्र समाप्त करना चाहते हैं।
आंकड़ों के अनुसार अब तक इज़रायल द्वारा 11,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं तथा बच्चों की है। लगातार होती बमबारी के कारण उत्तरी गाज़ा का क्षेत्र पूरी तरह खण्डहर में बदल चुका है। ध्वस्त इमारतों के नीचे कितने लोग दबे होंगे, इसका अनुमान लगाया जाना कठिन है। इज़रायल ने गाज़ा के सबसे बड़े अस्पताल अल-श़िफा को इसलिए निशाना बनाया था क्योंकि उसे सन्देह था कि इस अस्पताल के नीचे बनाई गई सुरंगों से हमास के ज्यादातर लड़ाकू अपनी गतिविधियां जारी रख रहे हैं। इस अस्पताल में की गई गोलीबारी दौरान भी सैकड़ों ही मरीज़, बच्चे और महिलाएं मारे गये थे।
संयुक्त राष्ट्र संघ इस युद्ध को सिर्फ चार दिन के लिए रोकने में सफल हुआ है, परन्तु उसने गाज़ा पट्टी के लाखों ही शरणार्थियों की सहायता के लिए अपनी ओर से शरणार्थी शिविर भी स्थापित किये हुये हैं, जिनमें भारी संख्या में फिलस्तीनी शरणार्थियों ने शरण ली हुई है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता के अनुसार अब वहां खाद्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी पैदा हो गई है। इज़रायल द्वारा तेल की सप्लाई पर लगाई रोक के कारण वहां बड़ी सीमा तक अन्धेरा छा गया है। ज्यादातर लोगों को तो गलियों, बाज़ारों की सड़कों पर सर्दी में दिन गुज़ारने पड़ रहे हैं। चाहे हमास संगठन पिछले 16 वर्षों से गाज़ा में प्रशासन चला रहा है परन्तु उसने हमेशा से ही यह रवैया धारण किया हुआ है कि वह हर स्थिति में इज़रायल का नामो-निशान मिटा देगा। इसके लिए उसे ईरान सहित कई अरब देशों से बड़ी सहायता मिल रही है। इसी नीयत से लम्बी योजनाबंदी के बाद हमास लड़ाकों ने 7 अक्तूबर, 2023 को इज़रायल पर दक्षिण की दिशा से एकाएक हमला करके, जहां 1200 के लगभग इज़रायलियों तथा अन्य विदेशी पर्यटकों को मार दिया था, वहीं इन लड़ाकों द्वारा 240 के लगभग इज़रायलियों, जिनमें बच्चे तथा महिलाएं भी शामिल थे, को पकड़ कर गाज़ा क्षेत्र में बंधक बना लिया था।
इस हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप इज़रायल द्वारा की गई लगातार भीषण बमबारी से गाज़ा पट्टी का दक्षिणी भाग एक तरह से पूरी तरह तबाह हो चुका है। लाखों ही शरणार्थियों के गाज़ा पट्टी के उत्तर की ओर चले जाने के कारण मानवीय संकट में बेहद वृद्धि हो चुकी है। ऐसे हालात में जहां भारी संख्या में शरणार्थियों की सुध लिया जाना बेहद ज़रूरी है, वहीं और विनाश को रोकने के लिए भी अन्तर्राष्ट्रीय यत्न आरम्भ किये गये हैं। इसी क्षेत्र का देश कतर किसी तरह का आपसी समझौता करवाने के लिए पूरी तरह सक्रिय दिखाई देता है। इस दिशा में किये गये संयुक्त यत्नों के कारण ही बात समझौते की ओर बढ़ी है। पहले चरण में चार दिनों के लिए युद्ध विराम किया जा रहा है, जिस दौरान लाखों ही शरणार्थियों के लिए जहां खाद्य एवं अन्य वस्तुएं भेजी जाएंगी, वहीं हमास द्वारा बंधक बनाये गये इज़रायलियों में से लगभग 50 बंधकों को रिहा करने तथा दूसरी तरफ इज़रायल द्वारा फिलिस्तीन के लगभग 150 कैदियों को रिहा करने की बात भी तय हुई है। ऐसी  युद्ध के खत्म होने की ओर संकेत ज़रूर करती है। भारत ने जहां हमास द्वारा इज़रायल पर किये हमले की निंदा की है, वहीं हर स्थिति में बेसहारा हो चुके शरणार्थियों को पूरी सहायता पहुंचाने की अपील भी की है तथा इसके साथ-साथ क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए यहां दो स्वतंत्र देशों की स्थापना किये जाने पर भी ज़ोर दिया है। रूस ने भी यहां  दो स्वतंत्र देशों के अस्तित्व के अपने पक्ष को दोहराया है। आगामी दिनों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए और भी बड़े यत्न किये जाने ज़रूरी है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द