चुनाव प्रचार में भी हो रहा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल

वर्तमान विधानसभा चुनाव प्रचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई) तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। इसमें हिंदी, तमिल और तेलुगु जैसी भाषाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित गाने बनाना शामिल है। ये गाने इंटरनेट पर वायरल हो गये हैं। इसके अतिरिक्त मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत संदेश भेजने के लिए एआई संचालित वॉयस क्लोनिंग टूल का उपयोग किया गया है।
तेलुगू में मोदी के डिजिटल रूप से प्रस्तुत गीतों को 20 लाख से अधिक बार देखा गया है। इसकी तुलना में उनकी आवाज़ वाला एक तमिल भाषा का गाना 27 लाख से अधिक बार देखा गया है। इसके अलावा मोदी की आवाज़ वाले एक पंजाबी गाने को 170 लाख से अधिक बार देखा गया है।
कांग्रेस और भाजपा ने एआई संचालित वॉयस क्लोनिंग टूल का इस्तेमाल किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसके लिए उल्लेखनीय हैं। कुछ टेलीविजन चैनलों ने उड़िया, कन्नड़ और हिंदी में एआई टीवी एंकर पेश किये हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने भारत में स्वास्थ्य सेवा को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है। उन्नत निदान, उपचार और रोगी देखभाल उपकरणों ने चिकित्सा सेवाओं में सुधार किया है।
विश्व आर्थिक मंच की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई पर भारत का खर्च 2025 तक 11.78 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में एक ट्रिलियन डॉलर जोड़ने में योगदान देगा। प्रधानमंत्री मोदी भारत में एआई विकास को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं। सवाल है कि क्या एआई तकनीक धीरे-धीरे दुनिया पर कब्जा कर रही है। गत 1 नवम्बर को ऐतिहासिक बैलेचले पार्क में ब्रिटेन द्वारा आयोजित पहले एआई सुरक्षा शिखर सम्मेलन में राजनीतिक और उद्योग जगत के नेताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के खतरों पर चर्चा की। इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि प्रौद्योगिकी को सुरक्षित रूप से कैसे विकसित किया जाये। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ सहित लगभग 28 देशों ने उसमें भाग लिया। अमरीकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने अमरीका का प्रतिनिधित्व किया। भारत का प्रतिनिधित्व राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने किया। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि एआई तकनीक अच्छाई, सुरक्षा और विश्वास का प्रतिनिधित्व करें।’
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि कंप्यूटर पर मानवता का नियंत्रण खोने से वह चिंतित हैं। साइबर हमलों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर भी चर्चा की गयी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक ऐसे पैमाने और गति का प्रतिरूपण कर सकती है जिसके बारे में कभी पता नहीं चला। इनसे वैश्विक वित्तीय व्यवस्था चरमरा सकती है और लोकतंत्र को ख़तरा हो सकता है। भारत दिसम्बर में एक और बैठक की मेजबानी करने की योजना बना रहा है। सम्मेलन के अंत में घोषणा में कहा गया कि बैलेचले घोषणा सुरक्षित, ज़िम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकास पर ज़ोर देती है, जोखिमों को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आग्रह करती है और वैश्विक लाभों को बढ़ावा देती है।
आशंकाओं में से एक है नौकरियां खोना। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने स्वीकार किया कि ज्ञानी कार्यकर्ता, लेखक, अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की नौकरियों पर खतरा होगा।
आने वाले वर्ष में एआई संबंधी चिंताओं में वास्तविक समय साइबर सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला दक्षता, सॉफ्टवेयर विकास त्वरण और ग्राहक सेवा स्वचालन शामिल होंगे।
एआई के नुकसान हैं, जैसे संभावित नौकरी विस्थापन और नैतिक चिंताएं, रचनात्मकता और सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों को खोने की संभावना, उच्च लागत और जटिलता, विश्वसनीयता के मुद्दे और प्रौद्योगिकी पर निर्भरता। यह नकारात्मक विचारों को मानवता के नज़रिये से नहीं देख सकता या कारण और प्रभाव को नहीं समझ सकता। यह समय को भी नहीं समझ सकता।
दूसरी ओर समर्थकों का दावा है कि एआई कार्यों को स्वचालित करके, डेटा का विश्लेषण करके, निर्णय लेने, 7 दिन 24 घंटे कार्य संचालन करने, त्रुटियों को कम करने और सुरक्षा सुनिश्चित करके दक्षता में सुधार करता है। मतदाता पंजीकरण और सत्यापन के लिए एआई का उपयोग किया जा सकता है। मतदाताओं के व्यवहार के पूर्वानुमानित विश्लेषण के लिए एआई का उपयोग करने से राजनेताओं को लाभ होगा। एआई भावनाओं को मापने और राजनीतिक अभियानों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करने के लिए सोशल मीडिया का विश्लेषण कर सकता है ताकि उनके संदेशों को तैयार किया जा सके।
इसके अलावा एआई धोखाधड़ी, हैकिंग प्रयासों और अन्य अनियमितताओं का पता लगाने और उन्हें रोक कर चुनाव सुरक्षा बनाये रखने में महत्वपूर्ण है। एआई संचालित चैटबॉट मतदाताओं को मतदान स्थानों, उम्मीदवार प्रोफाइल और चुनाव संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में सूचित कर सकते हैं।इस पहले शिखर सम्मेलन में सफलतापूर्वक इन लोगों को एक साथ मेज पर लाया और एआई पर चर्चा की। इसके फायदे और खतरे पर विचार-विमर्श हुआ। अभी तक एआई के लिए कोई अंतर्राष्ट्रीय नियामक संस्था नहीं बनी है।
आखिरकार, हमें इन सवालों का जवाब ढूंढना होगा कि क्या हमें सभी नौकरियां स्वचालित कर देनी चाहिएं, जिनमें संतुष्टि देने वाली नौकरियां भी शामिल हैं? क्या हमें ऐसे गैर-मानवीय दिमाग विकसित करने चाहिएं जो अंतत: संख्या में हमसे आगे निकल जायें, हमसे चतुराई से आगे निकल जायें और हमारी जगह ले लें? क्या एआई एक खतरनाक या फिर स्वागतयोग्य तकनीक है?
फिर भी एआई को पूरी गति से अपनाने में समय लगेगा। यही एआई मुद्दे की जड़ है। यह अभी शुरुआती चरण में है। विश्व नेताओं और उद्योग जगत के नेताओं को नियामक प्रणाली पर अपना दिमाग लगाना चाहिए। दुष्ट उपयोगकर्ताओं को नियंत्रित किया जाना चाहिए। सभी देशों को नियमों और विनियमों को स्वीकार करना होगा। (संवाद)