रंग-बिरंगा प्रकाश कैसे पैदा करते हैं फुलझड़ियां और पटाखे

त्यौहार हमारे लिए खुशी का प्रतीक होते हैं। अभी-अभी दीपावली का त्यौहार निकला है इस दिन चलाए गये पटाखों और फुलझड़ियों से निकलते रंग-बिरंगे प्रकाश ने बहुत से बच्चों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पटाखों की जो बात सबको आकर्षित करती है, वह है इनको चलाने के समय पैदा होता रंग-बिरंगा प्रकाश। पटाखे चाहे प्रकाश पैदा करें, आवाज़ या गर्मी, यह सब उनमें से होने वाली रासायनिक क्रिया का ही परिणाम होता है। आज हम पटाखों की ऊंची आवाज़ और रंग-बिरंगे प्रकाश के बारे में जानकारी सांझी करेंगे। प्रत्येक तरह के पटाखों में कोई न कोई रासायनिक क्रिया होती है, जिस दौरान ऊज़र्ा की खपत होती है या ऊज़र्ा पैदा होती है। जिस क्रिया में ऊर्जा पैदा होती है, उस क्रिया को ताप निकासी कहते हैं। जैसे आग का जलना आदि। पटाखों का चलना ही ताप निकासी क्रिया है। प्रत्येक तरह की जलन क्रिया में ताप पैदा होता है। कुछ रासायनिक जलन क्रियाओं में केवल ताप पैदा होता है। जैसे कोयले का जलना और कुछ ऐसी जलन क्रियाएं होती हैं, जहां ताप के साथ-साथ लाइट या प्रकाश भी पैदा होता है जैसे मोमबत्ती या दीपक जलने पर प्रकाश पैदा होता है। लाइट के रंग भी लाल, पीले, नीले या हरे हो सकते हैं। लाइट की तरह ही पटाखों से भी कई प्रकार के रंगों का प्रकाश पैदा होता है। यह सबकुछ पटाखों में मौजूद धातु के यौगिकों या धातुओं के चूरे के आक्सीज़न के कारण होता है। पटाखों के जलने के कारण पैदा हुआ प्रकाश और उसके रंग पटाखों में मौजूद धातु और जलन क्रिया में तापमान पर निर्भर  करता है। 
मैगनीशियम, टिन, क्रोमियम, कोबालट, एल्यूमीनियम जैसी धातुएं हवा में उच्च तापमान और आक्सीकृत होकर सफेद रंग का तेज़ प्रकाश पैदा करते हैं। फुलझड़ियां अनार आदि में इन धातुओं का चूरा होता है। 
सोडीयम पीले रंग का और पोटाशियम का आक्सीकरण होता है तो लीलैक (नीला-जामुनी) प्रकाश पैदा करता है। गंधक का धुआं नीले रंग का होता है। गंधक और पोटाशियम क्लोरेट का मिश्रण जलने पर ऊंची आवाज़ (धमक) पैदा करते हैं। खुले मैदान में पशुओं से दूर, पटाखों को चलाकर हम पटाखों का आनंद ले सकते हैं। लेकिन इसके लिए बड़ों की आज्ञा ज़रूर लेनी चाहिए।

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