अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उभरी चुनौतियां

आज विश्व बड़े ़खतरनाक मोड़ पर खड़ा दिखाई दे रहा है। पिछली सदी में भी दूसरे विश्व युद्ध में करोड़ों लोग मारे गये थे तथा एक बड़े यूरोपियन क्षेत्र में भारी विनाश हुआ था। इसे देखते हुए विश्व भर से आग की लपटों को कम या खत्म करने तथा अनेक अन्य समस्याओं की तरफ सभी का सांझा-ध्यान आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के रूप में एक ऐसी संस्था बनाने की कल्पना की गई थी, जो सभी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सम्बोधित हो सके तथा भिन्न-भिन्न देशों में बने तनाव को कम कर सके तथा युद्ध की तपिश को रोक सके। अस्तित्व में आने के बाद चाहे लम्बी अवधि तक संयुक्त राष्ट्र संघ एक संयुक्त मंच के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का यत्न करता रहा है, परन्तु ज्यादातर यह पैदा हुई गम्भीर स्थितियों को प्रभावशाली ढंग से सुखद मोड़ देने में सफल नहीं हो सका। इसीलिए ही जहां विश्व भर में बारूद के ढेर लगे दिखाई देते हैं, वहीं धरती का विनाश करने की शक्ति रखने वाले अनेक  एटमी (परमाणु) हथियारों का निर्माण भी हो चुका है।
परन्तु समय-समय पर भिन्न-भिन्न देशों में सत्ता में आये तानाशाहों ने भी अपने लोगों का अपने उद्देश्य के अनुसार उपयोग किया है तथा अन्य देशों के लिए भी वे अक्सर ़खतरा बने रहे हैं। अपने पड़ोसी पाकिस्तान की ही बात करते हैं। यह धर्म के आधार पर अस्तित्व में आया था, परन्तु इस आधार का अक्सर दुरुपयोग ही हुआ है, सैनिक तानाशाहों ने ज्यादातर धर्म के नाम पर निरंकुशता से शासन चलाया, जिसमें जन-साधारण का हृस होता रहा। इस काल में विश्व के कुछ देशों में क्रांतियां भी आईं, जिनमें सोवियत यूनियन में मार्क्सवादी सिद्धांतों के आधार पर महान नेता लैनिन के नेतृत्व में लम्बी अवधि से स्थापित राजशाही को पलटा कर नया शासन कायम किया गया, परन्तु उसके बाद स्टालिन के रूप में उभरे तानाशाह ने इस नई क्रांति को धूमिल कर दिया तथा सोवियत यूनियन में बड़ा अवसान आता गया। कभी बहुत-से क्षेत्रों को मिला कर बना यह संघ अंतत: बिखर गया तथा वहां नये तानाशाह ने जन्म ले लिया। यही स्थिति दूसरे पड़ोसी देश चीन की हुई जहां माओ-त्से-तुंग के नेतृत्व में वामपंथी क्रांति आई, जिसने विश्व में नयी सुबह आने की दस्तक दी परन्तु आखिर यहां पैदा हुये तानाशाहों ने चीन को भी उसी मार्ग पर डाल दिया जिस पर सोवियत यूनियन चला था। व्लादीमिर पुतिन विगत दो दशकों से अधिक समय से रूस का शासन सम्भाले बैठे हैं तथा चीन में शी जिनपिंग ने एक तरह से उम्र भर इस देश पर शासन करने की योजना बना ली प्रतीत होती है। ये दोनों देश भी आज विश्व के लिए बड़ी चुनौती बने हुये हैं। व्लादीमिर पुतिन ने पड़ोसी देश यूक्रेन के साथ युद्ध छेड़ कर भारी विनाश को आमंत्रण दिया है। अब तक इस युद्ध में हज़ारों ही नागरिक तथा सैनिक मारे गये हैं। यूक्रेन को रूसी बमबारी ने पूरी तरह खोखला करके एक तरह से खण्डहर बना दिया है। इस युद्ध का विश्व भर की आर्थिकता पर भी भारी प्रभाव पड़ा है। इससे एक और बड़ा विश्व युद्ध छिड़ने का ़खतरा भी महसूस किया जा रहा है। चीन पिछले कई दशकों से चाहे स्वयं को कम्युनिस्ट देश घोषित करता रहा है, परन्तु वहां पैदा हुये तानाशाहों ने अपने देश के करोड़ों ही लोगों की आवाज़ को पूरी तरह से दबा दिया है। चीन का तानाशाह शी जिनपिंग विश्व के लिए ़खतरा बना दिखाई देता है। अपने पड़ोसी देश भारत के साथ इसने दशकों से ऐसी जंग छेड़ी हुई है जो कभी भी भयानक टकराव का रूप धारण कर सकती है। 
चीन का ऐसा ही व्यवहार अपने अन्य पड़ोसी देशों के प्रति भी दिखाई देता है। मिसाल के तौर पर दक्षिण चीन सागर को लेकर जिस प्रकार का माहौल इस तानाशाही देश ने पैदा कर दिया है, वह विश्व के लिए एक चुनौती बन चुका है। दक्षिण चीन सागर के मार्ग से विश्व के देशों का अरबों-खरबों रुपये का आपसी व्यापार होता है, परन्तु चीन इस पूरे सागर पर अपना अधिकार जता रहा है। इसी कारण इस क्षेत्र में ही इसके पड़ोसी फिलिपाईन, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया और ब्रूनेह आदि देश बहुत परेशान दिखाई देते हैं। चीन ने इस सागर में कुछ अप्राकृतिक टापू बनाकर वहां पर अपने हथियार जमा करने शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही उसने दूसरे देशों के साथ लगते टापुओं पर भी अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है। इस संबंधी उसने समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की भी परवाह नहीं की। अंतर्राष्ट्रीय स्थायी अदालत में पड़ोसी देशों द्वारा यह मामला ले जाने पर अदालत ने वर्ष 2016 में चीन के ऐसे दावों को खारिज कर दिया था और पानी के अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इन सभी देशों की समुद्र में सीमाएं बना दी थीं, लेकिन चीन इस फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं है और विश्व के कई देशों के इस सागर मार्ग से होने वाले व्यापार में बाधाएं खड़ी कर रहा है। इसीलिए आस्ट्रेलिया, अमरीका, जापान और भारत ने इस सागर संबंधी एक संयुक्त रणनीति के तहत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कवाड नामक  संगठन बनाया है। चीन के पड़ोसी देश भी इसके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। चीन इस सागर में लगातार जिस प्रकार की स्थिति पैदा कर रहा है, उससे किसी भी समय कोई बड़ी जंग शुरू होने की संभावना बनते नज़र आती है। इसलिए आज इस बात की सख्त ज़रूरत है कि संयुक्त संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ को मज़बूत किया जाए ताकि वह पैदा हुई ऐसी स्थितियों के साथ शांतिपूर्ण ढंग के साथ निपटने में सहायक हो सके। आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस संस्था को हर तरह से प्रभावशाली और मज़बूत बनाने की ज़रूरत है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द