दाऊद के नाम पर पाकिस्तान में तमाशा !

भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट का मुख्य आतंकवादी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के बारे में, जब मैं ये पंक्तियां लिख रही हूं, उसके पूरे 36 घंटे पहले से यह खबर आ रही है कि किसी ने उसे जहर दे दिया है, जिससे उसकी हालत खराब है और वह उपचार के लिए कराची के जिस अस्पताल में एडमिट है, उसकी सुरक्षा व्यवस्था किसी किले के माफिक कर दी गई है। हालांकि छत्तीस घंटे गुजर जाने के बाद भी न तो पाकिस्तान की पुलिस ने, न सेना ने और न ही पाकिस्तान सरकार ने, अभी तक किसी ने भी इस खबर की अधिकृत ढंग से पुष्टि नहीं की है। लेकिन इस खबर की पुष्टि भले न हुई हो, लेकिन पाकिस्तान में पिछले 24 घंटों से भी ज्यादा समय से जिस तरह की अफरातफरी मची हुई है, देश के ज्यादातर हिस्से में इंटरनेट ठप्प कर दिया गया है, फेसबुक, ट्विटर (एक्स) तथा सोशल मीडिया के तमाम दूसरे मंचों को जहां और जिस हालत में है, वहीं उन्हें जाम कर दिया गया है, इससे लग रहा है कि पाकिस्तान या तो इस सूचना के युग में अफवाह युद्ध का रिहर्सल कर रहा है या फिर वह एक झूठ को छिपाते-छिपाते इस कदर हड़बड़ा गया है कि अब उसे सूझ ही नहीं रहा कि क्या करे?
गौरतलब है कि दाऊद इब्राहिम वह शख्स है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदुस्तान में कुख्यात है। मुंबई बम ब्लास्ट का मुख्य अभियुक्त और भारत में तीन दर्जन से ज्यादा संगीन अपराधों के लिए जिम्मेदार तथा पाकिस्तान में रहते हुए भारत तथा दुनिया के कई हिस्सों में आतंकवाद फैलाने का गुनहगार दाऊद अगर वाकई पाकिस्तान में नहीं है, जैसा कि पाकिस्तान की सरकार और उसकी अधिकृत एजेंसियां हमेशा कहती रही हैं, तो फिर पिछले छत्तीस घंटों से मीडिया में जो तूफानी अफवाह का दौर चल रहा है, आखिर पाकिस्तान उस सबको अधिकृत रूप से गलत क्यों नहीं ठहरा रहा? निश्चित रूप से पाकिस्तान या तो खुद बहुत व्यवस्थित ढंग से एक अफवाह युद्ध का रिहर्सल कर रहा है, जैसे पिछले दिनों उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने साजिद मीर को ज़हर देने की एक कहानी हवा में उड़ाई थी, जो दो हफ्तों बाद पता चली कि अफवाह थी। वैसी ही कहानी कहीं आईएसआई ही तो नहीं फैला रही, ताकि इंटरपोल से लेकर दुनिया की कई दूसरी एजेंसियाें ने हमास-इज़रायल जंग के बीच दाऊद इब्राहिम पर जो नज़र बनाये हुए हैं, उनका ध्यान हटाया जा सके?
दरअसल ये तमाम आशंकाएं इसलिए गहराती जा रही हैं, क्योंकि पाकिस्तान ने कभी भी अधिकृत रूप से भारत के इस आरोप को नहीं स्वीकारा कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में रह रहा है। हालांकि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ही नहीं बल्कि अमरीका और इजरायल की खुफिया एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि दाऊद इब्राहिम नाम का आतंकी शख्स पाकिस्तान में रह रहा है। लेकिन अधिकृत रूप से हमेशा पाकिस्तान ऐसे सभी आरोपों को झुठलाता रहा है। हालांकि भारत की मीडिया ने भी कई बार अकाट्य साक्ष्यों के जरिये पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम के एक दो नहीं बल्कि नौ ठिकानों की खोजबीन करके दुनिया को बताता रहा है। पाकिस्तान के साथ डिप्लोमेटिक स्तर पर जब भी भारत ने अपने मोस्ट वांटेड अपराधियों को हैंडओवर करने के लिए जो भी डोजियोर सौंपे हैं, उसमें हमेशा दाऊद इब्राहिम मौजूद रहा है। कई विदेशी मीडिया में भी बार-बार इस बात की पुष्टि होती रही है कि कराची के क्लिफटन रोड में व्हाइट हाउस नाम से दाऊद इब्राहिम का बंगला है, जहां वह अपने पूरे परिवार के साथ रहता है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना द्वारा सुरक्षित और संरक्षित दाऊद का एक ठिकाना कराची में डिफेंस कालोनी के बंगला नंबर-37 में भी बताया जाता है। 
यही नहीं मीडिया में कई बार दाऊद के अनेक पासपोर्ट भी सामने आ चुके हैं। इतने सबके बाद भी पाकिस्तान सरकार हमेशा ऐसे तमाम आरोपों को झूठ का पुलिंदा ही कहती रही है। लेकिन अगर यह सबकुछ झूठ है तो फिर पाकिस्तान की सरकार पिछले 36 घंटों से पूरी दुनिया में तूफानी अंदाज में चल रही दाऊद संबंधी अफवाहों को झूठ क्यों नहीं कह रही? कहीं ऐसा तो नहीं है कि सचमुच दाऊद को किसी प्रतिद्वंदी गैंग ने जहर देकर मरवा दिया हो और पाकिस्तान को अब यह न सूझ रहा हो कि इस सच्चाई का सामना कैसे करें? इसलिए वह अपने इस नॉन स्टेट एक्टर की खबर को लेकर पुष्टि कैसे करे? पुष्टि करता है तो साबित होता है कि वह कैसे दुनिया के लिए खतरनाक राष्ट्रेतर भस्मासुरों की पनाहगाह है और अगर पुष्टि नहीं करता है तो पाकिस्तान में उथल पुथल मचने की आशंका है। कोई न कोई बात तो ज़रूर है। या तो सचमुच में दाऊद का काम तमाम हो गया है या फिर पाकिस्तान दुनिया के आंखों में धूल झोंककर उसे कहीं बाहर या ज्यादा सुरक्षित जगह में शिफ्ट कर रहा है। पहले भी सूत्रों के जरिये ये खबरें आती रहीं हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई दाऊद को पाकिस्तान में होने को लेकर चिंतित है और उसे किसी ज्यादा सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करना चाहती है।
लेकिन पाकिस्तान से आ रही यह तमाशा जैसी अफवाह सूचना क्रांति की दयनीयता की भी पोल खोल रही है। एक ऐसे दौर में जब माना जाता है कि पूरी दुनिया एक ग्लोबल विलेज में तब्दील हो चुकी है, जब पलक झपकते कोई भी सूचना दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच सकती है, जमीन में सूचना सूंघने के अनगिनत उपकरणों के साथ आसमान में भी सूचनाओं को मुट्ठी में कैद करने के लिए हमेशा गिद्ध निगाहें दुनिया के चप्पे-चप्पे में लगी रहती हैं, उस दौर में भी अगर 36 घंटों से ज्यादा समय तक एक अफवाह पूरे तौर पर अफवाह ही बनी रहे और उसकी पुष्टि न हो तो यह अपने आपमें एक बड़ा सवाल है कि अगर वाकई सूचनाओं के इस युग में भी इतनी देर बंद किले में रहना संभव है तो फिर हम यह सूचना युग कैसे हुआ कहते हैं?
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर