संघ पर अनाप-शनाप बोलना फैशन बन गया है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कुछ भी बोलना एक फैशन बन गया है। विशेषकर कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता आये दिन संघ के बारे में कुछ न कुछ बोलने और गाली देने का रिकार्ड बना रहे है। ऐसा लगता है कौन नेता ज्यादा गाली दे, इसकी होड़ चल रही है। संघ के अनुशासित और संस्कारित स्वयं सेवक गाली का जवाब गाली से नहीं देकर मतदाताओं को जागरूक कर वोटों की मार से देते है। देश के हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में संघ ने मौन क्रांति के माध्यम से कांग्रेस की शासन सत्ता को ऊखाड़ फेंका। राजनीति क्षेत्रों में कहा जाता है आप संघ को जितनी गाली देंगे वह आपको उलटी पड़ेगी। इस समय देश की सत्ता पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी संघ के स्वयं सेवक के रूप में पदारूढ़ है। मोदी को रोज़ न जाने कितनी गालियां दी जाती है। ये गालियां मोदी सहज रूप से स्वीकार कर लोगों को बताने में देर नहीं करते। 
संघ एक बार फिर चर्चा में है। यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के मुंह से निकले शब्द स्वयं सेवकों के लिए प्राण वायु का संचार करते है। देश के लाखों स्वयंसेवक प्रतिदिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने सर्वप्रिय नेता के वक्तव्यों का बेसब्री से इंतज़ार करते है और फिर उन्हें आधार बनाकर अपना रोजमर्रा का कार्य शुरू करते है। जनता को संघ के कार्यों का संदेश देते है। इस दौरान लाखों प्रचारक जनसाधारण को संघ की रीति नीति और कार्यप्रणाली से अवगत करते है। बिना तड़क-भड़क और ताम झाम के जनता से सीधा जुड़ाव का उनका कार्य लोग पसंद करते है। लोगों के सुख दु:ख में हाथ बंटाने के कारण संघ के लोग शीघ्र जनता में घुल मिल जाते है। 
 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज़ाद भारत में अपने दो प्रधानमंत्री दिये। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी। दोनों संघ के स्वयं सेवक रहे हैं। इसी भांति उप-प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के पद पर भी संघ के स्वयं सेवक स्थापित हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर कुछ भी बोलना एक फैशन बन गया है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और लालू यादव सरीखे कुछ नेता गाहे बगाहे संघ पर अनाप शनाप बोलने के साथ प्रतिबंध की मांग करते रहते है। राहुल गांधी के बयानों पर देश की कई अदालतों में केस दर्ज है। लालू भ्रष्टाचार में सजायाप्त है मगर संघ जैसे संगठन को आरोपित करते देर नहीं करते। कांग्रेस के कुछ नेताओं के अलावा असदुद्दीन ओवैसी सहित जेडीयू आप पार्टी और आरजेडी के नेताओं ने भी आरएसएस को ज़हरीला संगठन करार दिया है। कल तक भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार चलने वाले नेता भी अब संघ पर प्रतिबंध की मांग कर रहे है जो राजनीति अवसरवादिता को दर्शाता है। ये नेता वापस फिर भाजपा के साथ हो जाये इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। रही संघ पर प्रतिबंध की बात तो ऐसा तीन दफा हो चुका है और हर बार प्रतिबंध लगाने वालों को मुंह की खानी पड़ी और अपना कदम वापस लेना पड़ा हैं। मोदी सरकार के हर काम के पीछे संघ का हाथ होने का आरोप लगाते है जबकि संघ का कहना है वह एक सांस्कृतिक संगठन है। उसकी विचारधारा भाजपा से मेल खाती है और कुछ स्वयंसेवक संघ भाजपा में सक्रीय है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद संघ आगे बढ़ता ही गया है, इसमें कोई दो राय नहीं है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के मुंह से निकले शब्द स्वयं सेवकों के लिए प्राण वायु का संचार करते है।  
आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस के निशाने पर रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। लाख चेष्टा के बावजूद कांग्रेस संघ को समाप्त करना तो दूर हाशिये पर लाने में सफल नहीं हुआ। संघ को खत्म करने के चक्कर में खुद कांग्रेस अपना वजूद समाप्त करने की ओर अग्रसर है। संघ को वैधता दिलाने में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी पीछे नहीं रहे। परिवार और कांग्रेस के भारी विरोध के बावजूद वे नागपुर में संघ मुख्यालय गए। यह पहला अवसर था की इतने बड़े कद के किसी कांग्रेसी नेता को संघ मुख्यालय में जाते देखा गया। देश में अनेक विपदाओं  के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं ने समाज सेवा की अनूठी मिसाल कायम की, यह किसी से छिपा नहीं है। संघ अपने विलक्षण सेवाभावी और रचनात्मक कार्यों के लिए देश और दुनिया में ख्यात है। देश में हर संकट और विपदा के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं को सेवा करते देखा जा सकता है। संघ के सेवा कार्यों की एक लम्बी फेहरिस्त है। संघ के बेहतरीन कामों की खूब प्रशंसा भी हुई है। 
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