‘भारत न्याय यात्रा’ से कांग्रेस को कोई लाभ होगा ?

इस साल के शुरुआत में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अगले महीने से ‘भारत न्याय  यात्रा’ शुरू करेंगे। यह यात्रा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हो रही है, जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना चाहता है। यात्रा की घोषणा पार्टी नेता के.सी. वेणुगोपाल ने बुधवार को एक प्रेस कान्फ्रैंस में की। राहुल गांधी ने पिछले साल सितम्बर में कन्याकुमारी से 4,080 किलोमीटर लम्बी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू की थी और 14 राज्यों—तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश,  जस्थान,
पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश को कवर करते हुए कश्मीर तक मार्च किया था।आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने पिछले वर्ष ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम से भी एक यात्रा की थी जिसमें वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक गए थे। ठीक वैसे ही राजनीतिक हितों और कुछ खास मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी उन्हें एक और यात्रा पर भेज रही है। यह नई यात्रा मणिपुर से शुरू होगी और महाराष्ट्र के मुम्बई में खत्म होगी। इस दौरान राहुल गांधी 65 दिन इस यात्रा  में गुजारेंगे। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी 6 हज़ार 200 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। यात्रा का बड़ा हिस्सा बस के जरिए तय किया जाएगा और बीच-बीच में राहुल गांधी पैदल यात्रा भी करेंगे। ‘भारत न्याय यात्रा’ 14 राज्यों से होकर गुजरेगी जिसमें करीब 85 जिले रास्ते में पड़ेंगे। इन 14 राज्यों में मणिपुर,मेघालय, नगालैंड, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र हैं। राहुल गांधी की इस नई यात्रा का मकसद देश की 355 लोकसभा सीटों को कवर करना है। जिन राज्यों से यह यात्रा गुजरेगी, उन राज्यों में कुल 355 लोकसभा सीटें पड़ती हैं। कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि ‘भारत न्याय यात्रा’ में राहुल गांधी को जनता का पूरा समर्थन मिलेगा। कांग्रेस का मानना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल को जनता का समर्थन मिला था, ठीक वैसे ही इस बार भी मिलेगा। देखा जाए तो कांग्रेस इस यात्रा को चुनावी यात्रा नहीं मान रही है, लेकिन जिस दिन यह यात्रा खत्म होगी, उसी दिन से कांग्रेस चुनावी बिगुल फूंकेगी। कांग्रेस के अनुसार ‘भारत न्याय यात्रा’ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के लिए है। हालांकि भाजपा की नज़र में इस यात्रा के अन्य मायने हैं। उसने अभी से इस यात्रा को निशाने पर ले लिया है। कांग्रेस का मानना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की वजह से उन्हें कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में सफलता मिली है। यही वजह है कि वह लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एक और यात्रा करके अपने पक्ष में माहौल बना लेंगे। मणिपुर में हुई जातीय हिंसा को कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ  इस्तेमाल करना चाहती है। यही वजह है कि इस यात्रा की शुरुआत के लिए मणिपुर को चुना गया है, जहां मल्लिकार्जुन खड़गे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे, लेकिन उत्तर-पूर्वी राज्य से यात्रा की शुरुआत को लेकर असम के विधानसभा स्पीकर ने राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे हैं। कांग्रेस पार्टी उत्तर-पूर्व से यात्रा की शुरुआत इसलिए भी कर रही है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर-पूर्व में कांग्रेस का जनाधार गिरा है। एक दशक से पहले तक पूरा उत्तर-पूर्व कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में भाजपा ने उत्तर-पूर्व के राजनीतिक हालात पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिए हैं। वर्ष 2014 में उत्तर पूर्व के 7 राज्यों में से 5 राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं जबकि भारतीय जनता पार्टी की एक भी राज्य में सरकार नहीं थी, लेकिन वर्ष 2023 आते-आते कांग्रेस उत्तर-पूर्व से पूरी तरह से साफ  हो गई है। वर्तमान स्थिति यह है कि उत्तर-पूर्व के 7 राज्यों में से 6 में या तो भाजपा की सरकार है या भाजपा गठबंधन की सरकार है। इसके अलावा एक राज्य मिज़ोरम में इस बार स्थानीय पार्टी सत्ता में है। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस  ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है, लेकिन यहां आपको बताना चाहते हैं कि यह यात्रा ‘इंडिया’ गठबंधन की यात्रा नहीं है। ये पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी की यात्रा है।  उत्तर-पूर्व के सभी 7 राज्यों को मिलाकर कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। कांग्रेस पार्टी मणिपुर से यात्रा शुरु करके, उत्तर-पूर्व की 25 सीटों को साधना चाहती है। पश्चिम बंगाल के बाद यात्रा बिहार पहुंचेगी, जहां पर आर.जे.डी. और जे.डी. (यू) की गठबंधन सरकार है। ये पार्टियां भी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल हैं। बिहार के बाद यात्रा झारखंड का रुख करेगी। यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। हालांकि इस सरकार में कांग्रेस सहयोगी है। झारखंड के बाद यात्रा ओडिशा का रुख करेगी। ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है और ओडिशा में कांग्रेस को अपना जानाधार बढ़ाना है, क्योंकि नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नहीं है।ओडिशा के बाद कांग्रेस की ‘भारत न्याय यात्रा’ भाजपा शासित 6 राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगी यानी इन सभी 6 राज्यों में कांग्रेस को जीतने के लिए माहौल बनाना होगा।  देखा जाए तो ‘भारत न्याय यात्रा’ के दौरान जिन भी राज्यों से राहुल गांधी गुजरेंगे, वहां कांग्रेस को बहुत ज्यादा समर्थन की उम्मीद नहीं होगी। वजह यह है कि यात्रा के रूट पर पड़ने वाले किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं है और जहां उनकी मौजूदगी है, वहां की सत्ता में वह गठबंधन में दूसरे या तीसरे नम्बर पर है। इस बार ‘भारत न्याय यात्रा’ बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से गुजरेगी, जहां पर कांग्रेस सत्ता के गठबंधन में जूनियर भागीदार के तौर पर शामिल है। वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार है, जो ‘इंडिया’ गंठबंधन में शामिल है। भले ही ये पार्टियां ‘इंडिया’ गठबंधन में हों लेकिन कांग्रेस की ‘भारत न्याय यात्रा’ के दौरान इन पार्टियों के साथ कांग्रेस का तालमेल बिगड़ भी सकता है। अन्य राज्यों में जहां से यह यात्रा गुजरेगी, वहां के ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस पार्टी को लेकर क्या रुख अपनाएंगे, यह भी देखना होगा। यह सवाल इस कारण भी पैदा होता है क्योंकि अभी तक ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच लोकसभा चुनावों को लेकर सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है जबकि कई बैठकें हो चुकी हैं। कांग्रेस की ‘भारत न्याय यात्रा’ अगर सफल होती है तो मुमकिन है कि कांग्रेस सभी राज्यों में अपने लिए ज्यादा से ज़्यादा सीटों की मांग करेगी जो ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। बहरहाल 14 जनवरी से ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू होगी, वह वक्त होगा जब भाजपा का पूरा फोकस अयोध्या में राम मंदिर में होने वाले भव्य कार्यक्रम पर होगा। राहुल की यात्रा का ऐसे समय में उत्तर प्रदेश पड़ाव काफी दिलचस्प रहने वाला है।

  (युवराज)