नव वर्ष—चुनौतियां एवं सम्भावनाएं

देश में बसते पंजाबियो, वर्ष 2023 हमसे अलविदा हो गया है तथा हम नव वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। चाहे हम सभी जानते हैं कि नव वर्ष में प्रवेश करने से दुनिया में ज्यादा कुछ नहीं बदलेगा, कई चिन्तक तो यहां तक भी कह देते हैं कि वर्ष बदलने से दीवारों पर लगे कैलेंडर बदलते हैं, बाकी सब कुछ पहले की भांति ही रहता है, फिर भी ज़िन्दगी उम्मीदों पर ही चलती है। हम सभी आने वाले नव वर्ष में कुछ अच्छा होने की उम्मीद करते हैं। इस उम्मीद से ही एक-दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएं भी देते हैं। इस में कुछ ़गलत भी नहीं है परन्तु नव वर्ष के लिए नये स्वप्न संजोने के साथ-साथ हमें अपनी वास्तविकताओं संबंधी भी जागरूक एवं सुचेत रहना चाहिए। एक नज़र पीछे डालते हुये यह भी देखना चाहिए कि पिछले वर्ष ये सभी चुनौतियां क्या-क्या रही हैं तथा आगामी वर्ष में हमने उनका सामना कैसे करना है? यह प्रश्न ज़हन में रख कर जब हम अपने पंजाब के बारे में सोचते हैं तो कुछ कड़वी वास्तविकताएं हमारे सामने आ खड़ी होती हैं।
पंजाब की कृषि मंदी का शिकार है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी ज़मीन विभाजित हो गई है। कृषि क्षेत्र कम हो गया है। दो-अढ़ाई किल्ले वाले किसानों का गुज़ारा नहीं होता। बहुत-से छोटे किसान ठेके पर ज़मीन लेकर कृषि करते हैं। प्राकृतिक तथा अप्राकृतिक आपदाओं के कारण समय-समय पर फसलें नष्ट हो जाती हैं जिससे ठेका एवं उत्पादन लागत कृषिकार किसानों को वहन करनी पड़ती है। ऊपर से फसलों का लाभदायक मूल्य न मिलने के कारण भी किसान ऋण के जाल में फंसते जा रहे हैं। कृषि धान तथा गेहूं के दो फसली चक्र तक सीमित हो जाने के कारण तथा सिंचाई के लिए 70 प्रतिशत तक भू-जल पर निर्भरता होने के कारण आगामी समय में भूजल का संकट और भी गम्भीर होने की पक्की सम्भावना है। उपरोक्त कारणों के दृष्टिगत कृषि गम्भीर संकट में है तथा इस कारण कई बार किसान आत्महत्याएं करने के लिए विवश हो जाते हैं।
राज्य में कृषि आधारित तथा अन्य उद्योग न स्थापित होने से नई पीढ़ी को यहां अपना कोई भविष्य दिखाई नहीं देता। वह +2 के बाद ही विमान भर-भर कर विदेशों को पलायन करते जा रहे हैं। राज्य के कालेज तथा विश्वविद्यालय खाली होते जा रहे हैं या फिर भिन्न-भिन्न स्थानों से दूसरे राज्यों के विद्यार्थी हमारे कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में आकर पढ़ रहे हैं।
नशों की बढ़ती महामारी हमारी युवा पीढ़ी को निगलती जा रही है। इस कारण समाज में हिंसा तथा अपराधों का सिलसिला भी बहुत बढ़ गया है। हरित क्रांति से कुछ दशकों तक किसानों व कृषि मज़दूरों की हालत कुछ बेहतर हुई थी। इस समय के दौरान जीवन स्तर व जीवन शैली में बड़े बदलाव आ गए। आधुनिक सुविधाएं देने वाले साधनों पर भी खर्च बढ़ गए। विवाद-शादियों तथा खुशी-़गमी के समागमों पर भी खर्च बढ़ते गए। परन्तु अब कम आय से ये खर्च पूरे नहीं हो रहे। युवाओं का एक वर्ग ऐसी जीवन शैली को बनाए रखने के लिए लूटपाट तथा फिरौतियां मांगने के मार्ग पर चल पड़ा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पंजाबी समाज के एक बड़े भाग का अपराधीकरण हो गया है। पंजाबी हर पांच वर्ष बाद इस उम्मीद से सरकार बदलते हैं कि नई सरकार आकर उपरोक्त चुनौतियों का हल करेगी तथा उन्हें राहत दिलाएगी परन्तु उम्मीदों को पिछले 20-25 वर्ष में कम ही बूर पड़ा है। इसलिए राज्य में हर तरफ निराशा का आलम है।
परन्तु पंजाबी भाईयों, यदि हम अपना पिछला इतिहास देखते हैं तो यह बात उभर कर सामने आती है कि पंजाब हमेशा चुनौतियों में से ही गुज़रता रहा है। ऐसी चुनौतियों का सामना करते हुए ही हमारे पूर्वजों ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की थीं। अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर हमने अपने समय की चुनौतियों के हल ढूंढने हैं। हौसले एवं दृढ़ता के साथ आगे बढ़ना है। आज नव वर्ष के साथ-साथ ‘अजीत प्रकाशन समूह’ के संस्थापक डा. साधु सिंह हमदर्द जी का जन्मदिन भी है। वह पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को बेहद प्यार करते थे तथा पूरा जीवन पत्रकारिकता द्वारा पंजाब तथा पंजाबियों के हितों की पहरेदारी करते रहे हैं। हमने अपने गौरवशाली इतिहास तथा डा. साधु सिंह हमदर्द जैसी शख्सियतों से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है तथा अपने लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करना है।
इन शब्दों के साथ ही संस्थान ‘अजीत प्रकाशन समूह’ द्वारा हम आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं अर्पित करते हैं।