पाकिस्तान के चुनाव—नये संकेत

इसी वर्ष मई माह तक भारत में आम चुनाव होने जा रहे हैं, परन्तु इससे पहले हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में 8 फरवरी, 2024 को चुनाव करवाने की घोषणा भी वहां के चुनाव आयोग द्वारा हो चुकी है। विगत वर्ष इस देश के लिए बेहद उथल-पुथल वाला रहा है। वहां बहुत कुछ अजीब घटित होता रहा है, जो अब तक भी जारी है। वहां की सरकार बेचैनी के आलम में रही है। वह एक प्रकार से पूरी तरह डगमगाती दिखाई देती रही है। इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगातार एक-दूसरे के साथ टकराव जारी रखना तथा वहां की सेना द्वारा बार-बार राजनीति में हस्तक्षेप करना है। इस समय पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान जेल में हैं। इमरान को विगत वर्ष पाकिस्तान की नैशनल असेम्बली में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद देश भर में गड़बड़ फैल गई थी। भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आये थे और लम्बा समय वहां हिंसा का दौर जारी रहा था। यहां तक कि इमरान के समर्थकों ने वहां हमेशा से शक्तिशाली रही सेना को भी चुनौती दी थी और उसके कई ठिकानों पर लोगों ने हमले भी किये थे। इसके बाद इमरान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। आज वह जेल में हैं और उनके हज़ारों समर्थक भी नज़रबंद हैं। उसकी पार्टी पूरी तरह बिखर गई है। 
प्रधानमंत्री होते हुए इमरान ने अपने विरोधी तथा पहले तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे नवाज़ शरीफ को जेल में बंद कर दिया था। उन पर कई मुकद्दमे चलाये गये थे। एक मुकद्दमे में उन्हें 7 वर्ष की कैद हुई थी और देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें उम्र भर के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया था। 
परन्तु इमरान के गद्दी से हटने के बाद स्थिति ने बिल्कुल नया मोड़ ले लिया। देश की कई बड़ी पार्टियों ने एकजुट होकर सरकार बनाई थी। दूसरी ओर विगत मई माह से इमरान खान जेल की हवा खा रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार, हत्या, अगवा, हिंसा तथा देश विरोधी कार्रवाइयों सहित लगभग 150 मामले दर्ज किये गये हैं। उनके जेल से जल्द रिहा होने की कोई उम्मीद नहीं है, परन्तु इमरान को अभी भी पकिस्तान के बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन प्राप्त है, परन्तु कानूनी पेचीदगियों में फंसी उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी को चुनाव में निशान तक भी अलाट नहीं किया गया। दूसरी ओर उनके करीबी साथी जहांगीर खान तरीन ने नई पार्टी इस्तेकाम-ए-पाकिस्तान बना ली है। उसमें इमरान की पार्टी के 100 से अधिक बड़े नेता, विधायक तथा नैशनल असेम्बली के सदस्य शामिल हो गये हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ के मुकाबले में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी जिस के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी हैं, ने भी फरवरी में होने जा रहे चुनावों के लिये तैयारी शुरू कर दी है।     
चाहे आज भी पाकिस्तान पर सेना का पूरा प्रभाव दिखाई देता है और यह भी प्रभाव बन चुका है कि नवाज़ शरीफ को सेना का समर्थन प्राप्त हो चुका है। प्रधानमंत्री की पहली तीन पारियों में उनको गद्दी से उतारने के लिए भी सेना ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने तो नवाज़ का तख्ता पलट कर जहां खुद शासन संभाल लिया था, वहीं उनको जेल में भी डाल दिया था। इसी तरह इमरान ने भी नवाज़ को जेल में डाल दिया था पर हालात के बदलने के साथ अब नवाज़ शरीफ दोबारा चुनाव के लिए सक्रिय हो गये हैं। नि:संदेह नवाज़ शरीफ एक परिपक्व राजनीतिज्ञ हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने के प्रयत्न भी किये थे, क्योंकि वह हमेशा महसूस करते रहे हैं कि अपने से ताकतवर और मज़बूत पड़ोसी भारत के साथ संबंध सुधारे बिना पाकिस्तान के हालात को सुधारा नहीं जा सकता, परन्तु सेना हमेशा उनके रास्ते में रुकावटें डालती रही है।
उधर अपनी सत्ता के समय सभी यत्नों के बावजूद इमरान खान देश में फैलते आतंकवाद के जाल को तोड़ नहीं सके थे। इसीलिए ही आज बहुत मज़बूत हुए आतंकी संगठन देश के लिए खतरा बने नज़र आते हैं। दूसरी तरफ वहां की सेना हमेशा ही सत्ता पर भारी रही है। उसकी आज तक की नीतियां आतंकी संगठनों को उत्साह और हर तरह की मदद देकर भारत को लहू-लुहान करने में लगी रही हैं। आज पाकिस्तान बहुत मंदी के दौर में से गुज़र रहा है और बुरी तरह से चीन, सऊदी अरब और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के कज़र्े की जकड़ में फंस चुका है। जहां से  उसका निकल सकना बहुत मुश्किल है, लेकिन नवाज़ शरीफ को पाकिस्तान की त्रासदी की समझ है। यदि आगामी समय में देश की राजनीति में उनका प्रभाव बढ़ गया और वह दोबारा सरकार बनाने में सफल हुए तो भारत के पाकिस्तान के साथ संबंध सुधरने की कुछ उम्मीद ज़रूर की जा सकती है, जो पाकिस्तान के लिए भी और दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र के लिए भी अच्छा संदेश साबित हो सकती है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द