नये साल में उम्मीदें और चुनौतियां

धरती द्वारा सूरज का एक और चक्कर पूरा करने के साथ ही साल 2023 कैलेंडर से गायब हो गया है और उसकी जगह नये साल 2024 ने ले ली है। नए साल के लिए भी आंखों में कुछ सपने और मन में कुछ उम्मीदें लिए देश 2024 में प्रवेश कर चुका है। आइए, एक नज़र डालते हैं क्या-क्या उम्मीदें हैं साल 2024 से और कौन-सी चुनौतियां लेकर यह वर्ष शुरू हो चुका है। 
यदि राजनीति से शुरुआत की जाए तो वर्ष 2024 नई लोकसभा के चुनाव लेकर आ रहा है। संभवत: अप्रैल-मई के महीनों में नई लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हो जाएंगे तथा एक नई सरकार देश की बागडोर संभालेगी। जहां विपक्ष इस उम्मीद में है कि 10 वर्षों से शासन कर रही भाजपा के प्रति एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर काम करेगा और उसे सत्ता में लौटने का अवसर मिलेगा, वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा यकीन है कि एक बार फिर से जनता सरकार की उपलब्धियों के नाम पर उन्हें ही अपनी बागडोर सौंपेगा। अब सर्वेक्षण कुछ भी कहें, पुराने परिणाम कुछ भी रहे हों, आने वाले परिणाम कैसे होंगे, यह भविष्य के गर्भ में है। सरकार के सामने इन चुनावों को शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने की भी चुनौती है।इसी वर्ष ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव  के साथ जम्मू एवं कश्मीर के भी चुनाव होने हैं। धारा 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था, मगर उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार जल्दी ही इसे पुन: राज्य का दर्जा दिया जाना है जिसके लिए वहां विधानसभा चुनाव भी होंगे। अब देखना है कि जम्मू-कश्मीर को अपना पूर्ण राज्य का रुतबा मिलता है या नहीं और वहां चुनाव होने पर कौन सत्ता में आता है तथा इस चुनाव में आतंकियों की चुनौती का सामना देश और सरकार कैसे करेगी। 
प्रधानमंत्री ने देश से वायदा किया हुआ है कि अगले कुछ वर्षों में भारत को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बना देंगे। यदि इस संदर्भ में देखें और आंकड़ों पर यकीन करें तो 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है, अगर भारतीय अर्थव्यवस्था इसी प्रकार बढ़ती रही और आंतरिक हालात अच्छे रहे तो नया वर्ष प्रधानमंत्री के इस सपने को पूरा करने के लिए एक अच्छा आधार तैयार कर देगा, मगर चुनावी साल में मुफ्त की बांटे जाने वाली रेवड़ियां तथा कुछ अप्रत्याशित खर्च आने से इस सपने को पूरा करने में कड़ी चुनौती का सामना भी करना पड़ेगा। 
2024 में खेल जगत में सबसे ज्यादा धूम मचेगी क्रिकेट के टी-20 विश्व कप की। यह जून में अमरीका और वेस्टइंडीज़ में आयोजित होगा। इससे पहले, मार्च-मई में भारत में महिला और पुरुष आईपीएल का रोमांच भी देखने को मिलेगा। 
1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाएगा। आमतौर पर चुनावी साल में बजट सुविधा एवं तोहफे बांटने वाला होता है। मोदी सरकार भी यदि ऐसा करे तो कोई आश्चर्य नहीं। जहां सरकारी कर्मचारी आयकर में छूट की उम्मीदें पाले हुए हैं वहीं आम आदमी महंगाई से निजात के सपने देख रहा है। दूसरी तरफ  विकास एवं मुद्रा स्फीति की दर का आपस में सीधा संबंध होता है यानी यदि मुद्रा स्फीति गिरेगी तो विकास की दर भी गिरेगी। ऐसे में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी व्यवस्था बनाने का सपना कैसे पूरा होगा, यह देखने वाली बात होगी।   
पिछली जनगणना 2011 में हुई थी तथा 2021 में विभिन्न कारणों से इसे टाला जाता रहा है। जहां विपक्ष इस बार की जनगणना में जातिगत आंकड़े प्राप्त करना चाहता है, वहीं सरकार इससे बचना चाहती है। दोनों के अपने-अपने राजनीतिक कारण है यदि जाति को शामिल किया गया तो फिर दिए जाने वाले आरक्षण पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा और ऐसा होने पर देश एक आंदोलन में फंस सकता है जिसका अर्थव्यवस्था एवं विभाग विकास पर विपरीत असर पड़ता है इन सब के चलते तो ऐसा लगता है कि सरकार पूरी कोशिश करेगी की 2024 में भी जनगणना को स्थगित ही रखा जाए, लेकिन साथ ही साथ विपक्ष इस बात पर ज़ोर देगा कि जनगणना होनी चाहिए। अगर जनगणना शुरू हुई तो नतीजे 2025 तक मिलेंगे, जिससे 2029 तक लोकसभा सीटें बढ़ाने का काम मुश्किल होगा। 
 फरवरी में पाकिस्तान में चुनाव होंगे और वहां की परम्परा रही है कि अपनी कठिनाइयों को वह भारत की ओर आतंक के रूप में धकेलता रहा है तो उम्मीद करें कि 2024 में हम इन सब चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक कर पाएंगे। देखें 2024 में हम कितना और आगे बढ़ पाते हैं।