कांग्रेस की नई सक्रियता

वीरवार को नई दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व तथा देश भर के पार्टी नेताओं के बीच हुई बैठक की कई पक्षों से व्यापक चर्चा रही। इसमें पार्टी के सभी महासचिव, राज्य के प्रभारी तथा कांग्रेस अध्यक्ष, विधानसभा दलों के नेता आदि शामिल थे। यह बैठक ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ लोकसभा की सीटों के विभाजन को लेकर तथा राहुल गांधी की ओर से वर्ष पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के मुद्दों संबंधी बुलाई गई थी। जहां तक गठबंधन का सवाल है, लोकसभा चुनाव में कुछ माह का समय ही शेष रह गया है परन्तु दो दर्जन के लगभग एकजुट हुईं पार्टियां में आपस में सीटों के विभाजन को लेकर पिछले समय में लम्बी कवायद तो ज़रूर चलती रही है परन्तु अभी तक ये किसी फैसले पर पहुंचने में असमर्थ रही हैं। भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग पार्टियां अपने दम पर अधिक से अधिक सीटें लेने की मांग कर रही हैं। पिछले समय में कई पार्टियों का आपस में टकराव भी चलता रहा है। विगत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के समय भी इन पार्टियों के बीच कोई ज्यादा सुमेल देखने को नहीं मिला था, अपितु उस समय आपसी टकराव बढ़ गया था, परन्तु अब चुनावों में समय कम रह जाने के कारण सभी पार्टियां इस ओर रुचित होती दिखाई दे रही हैं। 
कुछ राज्यों में तो यह प्रतीत होता है कि समझौता सफल हो जाएगा परन्तु कुछ राज्यों में इन पार्टियों के बीच आपसी कड़वाहट इसे किसी किनारे लगने नहीं दे रही। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अधिक सीटों की मांग कर रही है। वह कांग्रेस से पिछले विधानसभा चुनावों में भी नाराज़ दिखाई दी थी। इसी तरह कांग्रेस पश्चिम बंगाल में वामपंथी तथा तृणमूल कांग्रेस के साथ भी किसी समझौते पर पहुंचने में असमर्थ दिखाई दे रही है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बैनर्जी ने बड़ा अवरोध डाला हुआ है। वह राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के लिए सिर्फ 2 सीटें ही छोड़ना चाहती हैं। वामपंथी पार्टी के साथ भी उसके संबंध दुश्मनी की सीमा तक बने दिखाई देते हैं। दिल्ली में तो यह प्रतीत होने लगा है कि कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी में सीटों के विभाजन को लेकर समझौता हो सकता है, परन्तु पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की कार्यशैली को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने के लिए तैयार दिखाई नहीं देते, अपितु जहां आज की मान सरकार अन्य पार्टियों तथा विरोधियों सहित कांग्रेस के नेताओं पर लगातार अपनी विजीलैंस विभाग द्वारा कार्रवाइयां जारी रख कर तथा कांग्रेस के कई नेताओं को जेलों में डाल कर और इसके साथ प्रतिदिन पार्टी के नेताओं के विरुद्ध निम्न स्तरीय बयानबाज़ी जारी रख रही है, उसने एक तरह से प्रदेश के माहौल को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है, जिस कारण किसी भी तरह के गठबंधन की सम्भावना दिखाई नहीं देती। 
चाहे कांग्रेस की यह तयशुदा नीति रही है कि वह भाजपा को हराने के लिए हर हाल में गठबंधन के भागीदारों को साथ रखे, वहीं अब भाजपा द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को बेहद उछाले जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि भाजपा केन्द्र में 10 वर्ष की अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए भावनात्मक मुद्दों का सहारा ले रही है। इसके साथ ही राहुल गांधी के नेतृत्व में अब ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की शुरुआत करके कांग्रेस अपने प्रभाव को बढ़ाने के चक्कर में है। इस संबंध में इसके नेताओं ने कहा है कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ राजनीति के लिए उतनी ही परिवर्तनकारी सिद्ध होगी, जितनी कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ हुई थी। 66 दिन की इस यात्रा में राहुल गांधी अपने साथियों सहित 6700 किलोमीटर से अधिक का स़फर तय करेंगे। यह यात्रा लगभग 100 लोकसभा सीटों को प्रभावित करेगी तथा इसमें 337 विधानसभा क्षेत्र शामिल होंगे। इस बार इसमें मणिपुर, नागालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्य शामिल होंगे, इसमें मुख्य रूप से महंगाई, बेरोज़गारी, आर्थिक असमानता तथा फैलाये जा रहे सांप्रदायिक मुद्दों को उभारा जाएगा। यदि कांग्रेस अपने इस यत्न में गठबंधन की भागीदार पार्टियों को भी शामिल करने में सफल हो जाती है तो यह उसकी एक बड़ी उपलब्धि ज़रूर होगी, परन्तु अभी गठबंधन के इन भागीदारों को भाजपा से मुकाबला करने के लिए लम्बा स़फर तय करना होगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द