स्वच्छ भारत मिशन के तहत साफ  होते शहर और गांव

वह मंजर यकीनन यादगार था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं झाड़ू लेकर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर सफाई करने उतरे थे। उनके पीछे-पीछे उनके मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों से लेकर सरकारी बाबुओं तक का हुजूम भी सड़कों पर उतर आया था। 2014 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन प्रधानमंत्री ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का आगाज़ किया था। यकीनन महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें इससे बेहतर श्रद्धांजलि शायद दी भी नहीं जा सकती थी। 
आज़ाद भारत में संभवत: यह पहला मौका था जब देश में स्वच्छता को लेकर सरकार ने इतनी गंभीरता दिखाई। 140 करोड़ की आबादी का प्रतिनिधत्व करने वाला अगुआ यदि खुद सड़क पर उतर आए, फिर समुद्र किनारे घूम कर कूड़ा उठाने लग जाए, तो यह समझना कतई मुश्किल नहीं कि देश की हुकूमत का साफ -सफाई को लेकर नज़रिया क्या है।
बीते कुछ वर्षों में ज़ाहिर तौर पर स्वच्छता के मोर्चे पर हमने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। आज शहरों के बीच स्वच्छता को लेकर  देश भर में कई प्रतियोगितायें हो रही हैं। उनमें एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल में स्वच्छता अभियान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। शायद यही वजह है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत के बाद भारत में स्वच्छता का पुनर्जागरण हुआ है। मिशन ने न केवल शहरों का कायाकल्प किया बल्कि गांवों में भी स्वच्छता की अलख जगाई है। अपने देश को साफ -सुथरा रखने की संवेदनशीलता और भावना आज पूरे देश में ही दिखाई दो री है। 
गांधी जी की आजीवन स्वच्छता की अलख जगाते रहे। दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान वहां उन्हें श्वेत निवासियों के इस दावे से लड़ना पड़ा कि भारतीयों में स्वच्छता की कमी है और इसलिए उन्हें अलग रखने की ज़रूरत है। नटाल विधान सभा को लिखे एक खुले पत्र में गांधी ने कहा था कि जहां तक स्वच्छता के मानकों का सवाल है, भारतीय भी यूरोपीय लोगों के बराबर हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें भी उसी तरह का ध्यान और अवसर दिया जाए। 1915 में भारत लौटने पर उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अपने कार्यक्रमों के मूल में स्वच्छता के मंत्र को रखा। गांधी जी ने 1941 में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए रचनात्मक कार्यक्रम नामक पुस्तिका प्रकाशित की। ग्राम स्वच्छता उन अठारह कार्यक्रमों में से छठा था जो गांधी जी ने उस पुस्तिका में बताए थे। कुछ अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम साम्प्रदायिक एकता, अस्पृश्यता निवारण, आर्थिक समानता, सविनय अवज्ञा आदि थे। वर्तमान में गांधी जी के स्वच्छ भारत की परिकल्पना को प्रधानमंत्री मोदी साकार कर रहे हैं। यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि गांधी के नाम पर राजनीति करने वाली किसी कांग्रेसी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ इन नौ सालों में जन आंदोलन बन गया है। आज ज्यादातर सडकें साफ -सुथरी दिखती हैं, गलियों में कूड़ा नाममात्र दिखता। चाहे पर्यटन स्थल हों या रेलवे स्टेशन, हर जगह सफाई दिखती है। 
देश ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। अब देश के कुल गांवों में से तीन-चौथाई यानी 75 प्रतिशत गांवों ने ओडीएफ  प्लस का दर्जा हासिल कर लिया है। ओडीएफ  प्लस गांव वह हैं जिसने ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने के साथ-साथ अपनी खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति को बरकरार रखा है। आज तक 4.43 लाख से अधिक गांवों ने खुद को ओडीएफ  प्लस घोषित कर दिया है। 
बात अगर उन राज्यों की करें जिन्होंने 100 प्रतिशत ओडीएफ  प्लस गांव हासिल किए हैं वे हैं—अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादर एवं नागर हवेली, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, पुडुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा। इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ओडीएफ  प्लस का दर्जा हासिल करने में उल्लेखनीय प्रगति की है और उनके प्रयास इस मील के पत्थर तक पहुंचने में सहायक रहे हैं। 75 प्रतिशत ओडीएफ प्लस गांवों की उपलब्धि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि देश स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में ही हम ओडीएफ  से ओडीएफ  प्लस में आ गए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन शहरीकरण की चुनौतियों के समाधान की राह दिखा रहा है। ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पुरानी डंप साइटों की खस्ताहाल स्थिति को दुरूस्त करने पर भी भरपूर ध्यान दिया जा रहा है। इससे सस्टेनेबल डिवेल्पमेंट गोल्स 2030 के लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में आसानी होगी।