लाल सागर में हूती-सक्रियता ने बढ़ाईं भारत की चिंताएं 

अमरीका व इंग्लैंड के युद्ध विमानों, युद्धपोतों और पनडुब्बियों ने यमन में 16 स्थानों पर हवाई व समुद्री हमले किये ताकि लाल सागर में मालवाहक जहाज़ों को जो ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों से लूट का खतरा है, उसे कम किया जा सके। इन हमलों में 5 विद्रोही मारे गये हैं, लेकिन साथ ही मध्य-पूर्व में क्षेत्रीय टकराव का विस्तार भी हो गया है, जोकि गाज़ा में इज़रायल बनाम हमास युद्ध से शुरू हुआ था। अब्दुल मलिक अल-हूती के नेतृत्व वाली यमनी शिया मिलिशिया ‘हूती’ इज़रायल व अमरीका का विरोध करता है और ख़ुद को ईरान के नेतृत्व वाली ‘प्रतिरोध धुरी’ का हिस्सा समझता है, जिसमें हमास व हिज़्बुल्ला भी शामिल हैं। जहाज़ों पर हूती के हमलों से वैश्विक रसद प्रभावित हुए हैं क्योंकि लगभग 15 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लाल सागर के ज़रिये होता है और इससे बीमा खर्च भी बढ़ गया है। 12 जनवरी, 2024 के अमरीका व इंग्लैंड के हमलों के बाद कच्चे तेल के दामों में 3 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है, जबकि अनेक कंटेनर्स को अपना मार्ग बदलना पड़ा है। 
दूसरी ओर हूती ने कहा है कि वह न सिर्फ इन हमलों का बदला लेगा बल्कि शिपिंग पर अपनी कार्यवाही जारी रखेगा, जो उसके अनुसार इज़रायल के विरुद्ध फिलिस्तीन के समर्थन का जरिया है। मध्य पूर्व में टकराव के विस्तार को मद्देनज़र रखते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 15 जनवरी को ईरान की यात्रा पर जायेंगे। गौरतलब है कि जयशंकर ने 11 जनवरी, 2024 को अमरीका के विदेश सचिव एंटोनी ब्लिंकन से वार्ता की थी और इसके अगले दिन यानी 12 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में अमरीका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई से मुलाकात की थी। ज़ाहिर है इन वार्ताओं में हूती, दक्षिण लाल सागर व अदन खाड़ी और कॉमर्स पर ही चर्चा हुई, जिसका अर्थ है कि भारत फिलहाल अमरीका व ईरान के बीच राजनयिक संतुलन बनाने की भूमिका में है। इसी वजह से नवम्बर 2023 में भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ईरान गये थे।
यमन में हूती ठिकानों पर अमरीकी गठबंधन के हमले आश्चर्यजनक नहीं हैं। पहले ही हूती को अल्टीमेटम दिया जा चुका था कि वह लाल सागर मार्ग का प्रयोग कर रहे कमर्शियल जहाज़ों पर हमले करना बंद करे। इस चेतावनी को अनदेखा कर दिया गया और इसलिए लाल रेखा को पार करना लाड़िमी हो गया था। बहरहाल, अधिक बड़ी चिंता यह है कि इज़रायल-हमास टकराव का कोलैटरल युद्ध नियंत्रण से बाहर निकल सकता है। अमरीकी सेना का अनुमान है कि पिछले साल नवम्बर के मध्य से अब तक हूती ने कमर्शियल जहाज़ों पर 24 हमले किये हैं। इससे समुद्री ट्रांसपोर्ट का खर्च और समुद्री बीमा बढ़ गया है। लाल सागर एशिया व यूरोप को जोड़ने वाला सबसे छोटा समुद्री मार्ग है। ग्लोबल समुद्री व्यापार का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा इसी मार्ग से गुज़रता है, जिसमें तेल, एलएनजी व अनाज शामिल है। वैकल्पिक मार्ग दक्षिण अफ्रीका से घूमकर निकलता है, जो शिपिंग समय को 7-20 दिन बढ़ा देता है। हूती हमलों का नतीजा यह हुआ है कि चीन से रॉटरडैम तक 40 फुट कंटेनर के स्पॉट मार्किट दाम एक सप्ताह में 4 जनवरी, 2024 को 115 प्रतिशत बढ़कर 3,577 डॉलर हो गये। 
उम्मीद की जा रही है कि अमरीकी हमले से स्थिति नियंत्रण में आ जायेगी और नुकसान को कम किया जा सकेगा, लेकिन आशंका यह भी है कि इस टकराव में कहीं ईरान सीधा न उतर जाये, अगर ऐसा हुआ तो इससे फारस की खाड़ी का शिपिंग पॉइंट चोक हो जायेगा। इस स्थिति को भारत अनदेखा नहीं कर सकता। यह भी एक कारण है कि जयशंकर अचानक ईरान की यात्रा पर जा रहे हैं। यह भारत के आर्थिक हित में है कि लाल सागर में मालवाहक जहाज़ सुरक्षित चलते रहें। अन्य झंडों के तहत जो व्यापारिक जहाज़ चल रहे हैं, उनमें बड़ी संख्या में भारतीय नाविक नौकरी करते हैं। अब तक भारत ने सीधा हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन अपने हितों के चलते भारत को संभवत: जल्द ही अमरीकी गठबंधन का हिस्सा बनना पड़ेगा, ताकि लाल सागर में स्वतंत्रता व सुरक्षा के साथ जहाज़ों का आना जाना जारी रहे।
बहरहाल, अहम सवाल यह है कि क्या अमरीकी हमले के बाद हूती, लाल सागर में ग्लोबल अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना बंद कर देंगे? इसका सीधा-सा जवाब है, नहीं। हूती को जो लोग केवल समुद्री लुटेरे समझते हैं जो जहाज़ पर कब्ज़ा करके अत्यधिक नाचना पसंद करते हैं, वह दरअसल, जानते ही नहीं कि हूती क्या है? सैंडल पहने हुए हूती के लड़ाके अजीबोगरीब अवश्य लगते हैं, लेकिन उन्हें कमज़ोर समझना बेवकूफी है। वर्षों तक अमरीका की मदद से सऊदी अरब हूती खतरे को खत्म करने का प्रयास करता रहा, लेकिन नाकाम रहा। हूती से सीधा टकराने के कारण सऊदी अरब को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा, बावजूद इसके कि उसकी सेना हूती से कहीं अधिक मज़बूत है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर