धर-पकड़ के माहौल में ही होंगे लोकसभा चुनाव 

लोकसभा चुनाव में लगभग तीन माह का समय ही रह गया है। इसके दृष्टिगत राष्ट्रीय स्तर पर तथा राज्यों के स्तर पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपनी गतिविधियां तेज़ कर दी गई हैं। राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा द्वारा इस संबंध में भिन्न-भिन्न राज्यों में रैलियां की जा रही हैं, जिन्हें गृह मंत्री अमित शाह तथा भाजपा के अन्य नेता सम्बोधित करते हैं। भिन्न-भिन्न विकास परियोजनाओं के उद्घाटन से जोड़ कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी देश भर में भिन्न-भिन्न समारोहों के माध्यम से लोगों को सम्बोधित किया जा रहा है। अपने भाषणों में वे जहां अपने 10 वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे हैं, वहीं विपक्षी पार्टियों पर भ्रष्टाचार, परिवारवाद तथा अन्य गम्भीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ प्रचार करने का भी कोई अवसर हाथ से जाने नहीं दे रहे। 22 जनवरी को अयोध्या में उनकी ओर से राम मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है, जिसे राम मंदिर ट्रस्ट, अन्य हिन्दू संगठनों तथा केन्द्र सरकार द्वारा ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह का नाम दिया गया है। भाजपा द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को अपनी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करते हुए बहुसंख्यक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने का पूरा यत्न किया जा रहा है। देश की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस लम्बी ढिलमुल के बाद इन दिनों में ‘इंडिया’ गठबंधन के अपने भागीदारों से सीटों के विभाजन संबंधी बातचीत कर रही है। इसके साथ ही उसकी ओर से राहुल गांधी के नेतृत्व में मणिपुर से ‘भारत जोड़ो न्याया यात्रा’ भी आरंभ की गई है। यह यात्रा देश में पूर्व से पश्चिम की ओर के रूट पर चलती हुई 67 दिनों में मुम्बई में सम्पन्न होगी। चाहे कांग्रेस पार्टी द्वारा इस यात्रा का आयोजन भाजपा तथा उससे संबंधित अन्य संगठनों की ओर से आगमी तीन माह में देश के भिन्न-भिन्न कोनों से लोगों को अयोध्या लाकर राम मंदिर के दर्शन करवाने हेतु बनाये गए लम्बे-चौढ़े कार्यक्रम के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है ताकि लोगों का ध्यान कांग्रेस पार्टी तथा उसके धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांतों की ओर आकर्षित किया जा सके और इस प्रकार भाजपा की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति का मुकाबला भी किया जा सके। इसके साथ-साथ महंगाई, बेरोज़गारी तथा देश में भाजपा की सरकार द्वारा लोकतंत्र के लिए खड़े किए जा रहे खतरों से भी लोगों को अवगत करवाकर लोकसभा सभा चुनाव में उनका समर्थन प्राप्त किया जा सके, परन्तु निष्पक्ष राजनीतिक विशेषज्ञों का विचार है कि राम मंदिर का प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा उद्घाटन तथा उसके बाद रेलगाड़ियों द्वारा लोगों को राम मंदिर के दर्शन करवाने हेतु भाजपा द्वारा अयोध्या लाने का जो कार्यक्रम बनाया गया है, वह कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के मुकाबले धार्मिक एवं जज़्बाती तौर पर अधिक प्रभावी मुद्दा है और वह लोगों का अधिक ध्यान भी आकर्षित करेगा। इसका भाजपा को लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक लाभ भी अधिक मिलेगा। भाजपा 22 जनवरी को सोनिया गांधी तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल न होने के फैसले को भी यह कह कर उछाल रही है कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी पार्टी है। 
देश में चल रहे इस किस्म के राजनीतिक तथा धार्मिक वृतांत के बीच केन्द्रीय एजेंसियां, विशेषकर ई.डी. ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार तथा धन शोधन के आरोपों के तहत बहुत-से नये-पुराने केसों को आधार बना कर अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है। बिहार में लालू यादव, राबड़ी देवी तथा तेजस्वी यादव को पेश होने के लिए ई.डी. द्वारा नोटिस पर नोटिस निकाले जा रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सुरेन को भी पेशी के लिए नोटिस भेजे गए हैं। तमिलनाडू में भी ई.डी. द्वारा छापेमारी की जा रही है। इसी प्रकार केजरीवाल को भी शराब घोटाले में पेश होने के लिए कई बार तलब किया गया है। पंजाब में भी ई.डी. ने अपनी कार्रवाइयां तेज़ कर दी हैं। कांग्रेस पार्टी से संबंधित पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को ई.डी. ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे कई अन्य मंत्रियों के भी कान खड़े हो गए हैं, क्योंकि ई.डी. ने पंजाब के विजीलैंस विभाग से दर्जन से अधिक राजनीतिज्ञों तथा नौकरशाहों पर दर्ज हुए भ्रष्टाचार के केसों संबंधी जानकारी मांगी है। इस बात की बड़ी सम्भावना है कि पंजाब विजीलैंस द्वारा दर्ज किए गए इन बहुत-से केसों को अपने हाथ में लेकर ई.डी. ने राज्य में राजनीतिक नेताओं तथा अफसरशाही की धर-पकड़ तेज़ कर सकती है। 
दूसरी ओर पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार भी केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के पदचिन्हों पर चलते हुए गत लम्बे समय से अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठे-सच्चे केस दर्ज करके विजीलैंस के माध्यम से उनकी पकड़-धकड़ करवाती आ रही है। विशेष तौर पर आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सुखपाल सिंह खैरा तथा बिक्रम सिंह मजीठिया जैसे उन नेताओं को भिन्न-भिन्न केस दर्ज करके या पुराने केसों की पुन: जांच करके जेलों में रखने की कोशिश की जा रही है, जो आम आदमी पार्टी के नेताओं के भ्रष्टाचार, अनियमितताओं, धक्केशाहियों तथा उसकी सरकार की गलत नीतियों को लोगों में दलीलें तथा तथ्यों के साथ बेनकाब करते आ रहे हैं। 
यदि अन्य कांग्रेस नेताओं की बात की जाए तो इस समय पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मंत्री विजयइन्द्र सिंगला, ब्रह्म महिन्द्रा, बलबीर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह कांगड़, कुलबीर सिंह वैद, दलबीर सिंह गोल्डी, हरद्याल सिंह कम्बोज, मदन लाल लालपुर, वरिन्दरजीत सिंह पाड़ा, भारत भूषण आशु, ओ.पी. सोनी आदि नेताओं के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति बनाने तथा भ्रष्टाचार के कई अन्य आरोपों के तहत विजीलैंस द्वारा जांच शुरू की गई है और इन पूर्व मंत्रियों तथा विधायकों में से अनेक की गिरफ्तारी भी हुई है और कई ज़मानत पर बाहर आए हैं। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर आम आदमी पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल है और इस कारण दिल्ली, हरियाणा तथा पंजाब में कांग्रेस द्वारा आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने संबंधी भी बातचीत चल रही है। चाहे कि दिल्ली तथा पंजाब के कांग्रेसी नेताओं द्वारा आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का विरोध किया जा रहा है, तो भी उक्त दोनों पार्टियों के बीच मिल कर चुनाव लड़ने संबंधी शीर्ष स्तर पर अभी भी बातचीत जारी रहने संबंधी कयास जारी हैं। चंडीगढ़ नगर निगम में दोनों पार्टियों द्वारा मिल कर मेयर, सीनियर मेयर तथा डिप्टी मेयर के चुनाव लड़ने संबंधी हुए फैसले से मिल कर लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाएं और भी बढ़ गई हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसा होता है तो आगामी समय में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा कांगे्रसी नेताओं की पकड़-धकड़ अस्थाई रूप में कम कर दी जाएगा या बंद कर दी जाएगी, इसके स्थान पर विजीलैंस द्वारा बिजली समझौतों में हुए भ्रष्टाचार या सिंचाई घोटाले संबंधी मुद्दा उछाल कर अकाली मंत्रियों की धर-पकड़ को बढ़ा दिये जाने की सम्भावना है। इस संबंधी पंजाब विजीलैंस विभाग बिजली समझौतों की फाइलें प्राप्त करके उन्हें खंगाल रहा है, ताकि पूर्व अकाली मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए। ऐसा करना आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा इसलिए भी ज़रूरी हो गया है, क्योंकि आगामी लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत राज्य में अकाली दल ने अपनी गतिविधियां तेज़ कर दी हैं। अब तक अकाली दल द्वारा अमृतसर में 14 दिसम्बर को अपने स्थापना दिवस संबंधी धार्मिक समारोह, मुक्तसर में माघी जोड़ मेले के अवसर पर महिला कांफ्रैंस और अकाली कांफ्रैंस तथा उसके बाद तख्तुपुर (मोगा) में एक और बड़ी कांफ्रैंस कर चुका है। इन कांफ्रैंसों में व्यापक स्तर पर नीली तथा केसरी दस्तारें सजा कर अकाली कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों ने व्यापक स्तर पर जिस प्रकार उपस्थिति दर्ज की है, उसके दृष्टिगत आम आदमी पार्टी तथा उसकी सरकार को अकाली दल से भी राजनीतिक चुनौती बढ़ गई महसूस हो रही है। इसलिए आगामी समय में यदि पूर्व अकाली मंत्रियों को विजीलैंस के नोटिस मिलने में तेज़ी आ जाए तो किसी को हैरानी नहीं होगी। 
समूचे तौर पर यह कहा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्य स्तर तक विपक्षी पार्टियों के नेताओं की धर-पकड़ के माहौल में ही होंगे। केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा द्वारा पूरा ज़ोर लगाया जाएगा कि विपक्षी पार्टियां चुनाव के लिए अच्छी तरह तैयारी न कर सकें और न ही इसके लिए वित्तीय साधन जुटा सकें। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अपनी विरोधी पार्टियों की छवि धूमिल करने तथा उनकी चुनाव गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसे ही हथकंडे अपनाए जाने की बड़ी संभावना है। इसी कारण बहुत-से राजनीतिक विश्लेषक आम आदमी पार्टी को भाजपा की ‘बी’ टीम कहते हैं। 
केन्द्रीय एजेंसियों तथा राज्यों की एजेंसियों की ऐसी कार्रवाइयों का देश के लोकतंत्र तथा लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह तो आने वाले समय में ही देखा जा सकेगा, परन्तु जिस प्रकार राजनीतिक पार्टियों के सैद्धांतिक तथा वैचारिक विरोध दुश्मनी भरे टकराव का रूप धारण करते जा रहे हैं, वे नि:संदेह देश के लिए कोई अच्छा शगुन नहीं है।