अन्तरिम बजट के संकेत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में राजग नीत सरकार की इस दूसरी पारी के अन्तिम और अन्तरिम बजट में नि:संदेह रूप से कुछ बड़ी योजनाओं एवं घोषणाओं की उम्मीद नहीं थी, किन्तु इस बजट के निर्माण और इसकी प्रस्तुति से स्वयं सरकार के आशावाद और उसकी समझ-बूझ का पता अवश्य चल जाता है। अन्तरिम बजट में प्राय: लेखानुदान के आंकड़ों की ही प्रस्तुति होती है। इस बजट को केवल 47.66 लाख करोड़ रुपये के व्यय तक सीमित रखा गया है। बेशक एक अन्तरिम बजट की कुछ अपरिहार्य सीमाओं के चलते सरकार न तो किसी बड़ी परियोजना की घोषणा कर सकती थी, और न ही वह किसी प्रकार की बड़ी राहतें ही प्रदान कर सकती थी क्योंकि डेढ़-दो मास में होने वाले लोकसभा चुनावों के बाद, नई गठित होने वाली सरकार ने भी तो अपना पूर्ण बजट पेश करना है। नि:संदेह संघर्ष के पथ पर चले किसानों, युवाओं और ़गरीब वर्ग के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लोगों को इस अन्तरिम बजट से भी अनेक उम्मीदें थीं, किन्तु वित्त मंत्री सीतारमण ने कुछ न दे कर भी अपने बजट को गरीब, किसान, नारी शक्ति और युवा वर्ग का हित-चिन्तन करने वाला बनाने की कोशिश की है। नि:संदेह गरीब और मध्यम वर्ग का करों में छूट हासिल करने का अरमान उनके दिल में ही रह गया, क्योंकि वित्त मंत्री ने साफ कहा कि अन्तरिम बजट पेश करते समय सरकारों की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं।
अंतरिम बजट में बेशक आयकर में छूट की पुरानी दरों को छुआ तक नहीं गया, और न ही किसी अन्य वर्ग अथवा क्षेत्र के लिए किसी प्रकार की छूट की घोषणा की गई है, किन्तु  शिक्षा, स्वास्थ्य हेतु आयुष्मान योजना ढांचागत व्यवस्था और देश के सम्पूर्ण विकास के धरातल पर मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बड़ी-बड़ी घोषणाएं अवश्य की गई हैं। देश के ग्रामीण विकास और आवासीय कमी को पूरा करने हेतु दो करोड़ नये मकान बनाये जाने की घोषणा सुकूनदायी प्रतीत होती है। देश में आयकर राजस्व के बढ़ने और आयकर हेतु रिटर्न भरने वालों की संख्या में 2.4 गुणा वृद्धि की स्वीकारोक्ति भी राजस्व कोष बढ़ने का संकेत देती है। किसानों की आय बढ़ाने और उनकी समृद्धि में विस्तार के दावे, भावी पूर्ण बजट में कुछ बड़ी योजनाओं की घोषणा होने का संकेत भी देते हैं। उच्च शिक्षा में महिला नामांकन में 28 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया गया है। ऐसा सरकार की नारी शक्ति-वन्दन योजना के तहत हुआ है। उद्यमशीलता में महिला योगदान बढ़ा है। आयुष्मान योजना के तहत पिछले वर्ष 27 दिसम्बर तक 12 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ लोगों को शुमार किये जाने का दावा किया गया है।
रेल क्षेत्रों के विस्तार, रेल मार्ग को समुद्र मार्गों से जोड़ने और हवाई क्षेत्रों के विस्तार की घोषणाएं देश को विकास एवं उन्नति की ओर ले जाए जाने के मोदी सरकार की दोनों पारियों में किये जाते दावों का स्मरण कराती हैं। इस हेतु देश में हवाई अड्डों की संख्या बढ़ाये जाने और नये विमानों की खरीद के दावे भी इस अन्तरिम बजट में किये गये हैं। बजट की एक घोषणा के अनुसार विगत नौ वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या दो गुणा अर्थात 149 हो गई है। 570 नये हवाई मार्ग बने हैं, और 1000 नये विमान खरीदने के आर्डर भी जारी कर दिये गये हैं। आधारभूत ढांचे में ऊर्जा और इस्पात, सीमेंट की ढुलाई हेतु नये कारीडोर और बन्दरगाह सम्पर्क कारीडोर बनाये जाने की योजना है। अन्तरिम बजट में स्टार्ट-अप योजनाओं, पैन्शन योजनाओं एवं युवा कल्याण हेतु एक लाख करोड़ रुपये के एक विशेष कोष की स्थापना की घोषणा युवा वर्ग और मध्यम वर्ग हेतु लाभकारी सिद्ध हो सकती है। देश का सकल घरेलू उत्पाद विगत 10 वर्षों में 4 खरब अमरीकी डॉलर तक हो जाने का दावा देश को विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थ-व्यवस्था बन जाने का संकेत भी देता है। इससे राज-कोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत से घट कर 5.8 प्रतिशत हो जाने में मदद मिली है। अगले तीन वर्षों में देश की मौजूदा अर्थ-व्यवस्था 3700 अरब अमरीकी डॉलर से बढ़ कर 5000 अरब अमरीकी डॉलर हो जाने का अनुमान है।
नि:संदेह इस अंतरिम बजट में लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा से संकोच किया गया है, किन्तु जिस प्रकार देश में पूर्व में जारी योजनाओं और परियोजनाओं की सफलता के दावे किये गये हैं, उनसे मोदी सरकार की पूर्व की दोनों पारियों का बड़े स्तर पर आत्म-विश्वास अवश्य झलकता है। बजट पेश किये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी है, कि मौजूदा बजट वर्ष 2047 में भारत के एक विकसित देश बन जाने की गारंटी का सूचक भी है। यह बजट युवा, गरीब, महिला और किसान-आधारित चार स्तम्भों को मजबूत करेगा।
हम समझते हैं कि नि:संदेह सरकार ने अगले दो मास में होने वाले लोकसभा चुनावों से पूर्व वाले अपने इस अन्तरिम बजट को जन-साधारण की आशाओं, आकांक्षाओं के अनुरूप बनाने की भरसक कोशिश की है, हालांकि यह भी तय है कि सरकार का यह आकलन अधिकतर वर्गों की अपेक्षाओं पर पूरा भी नहीं उतरा होगा। किसानों ने इस बजट से भी बड़ी आशाएं लगा रखी थीं। युवाओं को रोज़गार अथवा नई नौकरियों की आस अभी तक लगी हुई है। देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज की आपूर्ति के बावजूद, उन्हें स्थायी रोज़गार साधनों की तलाश है। तथापि, अन्तरिम बजट को जिस प्रकार गुणा-भाग से संतुलित करने की कोशिश की गई है, उससे अगले कुछ मास में महंगाई की दर में वृद्धि होने की कोई सम्भावना भी नहीं दिखाई देती। नि:संदेह इस अन्तरिम बजट को आगामी आम चुनावों के दृष्टिगत बड़ी सूझ-बूझ से बनाया गया प्रतीत होता है।