यूरोपीय देशों ने की इज़रायली नरसंहार रोकने के आदेश की अनदेखी

यूरोपीय संघ के देश जो स्वतंत्रता और लोकतंत्र की बात करते हैं और मानवाधिकारों की रक्षा के मामले में खुद को अमरीका सहित दूसरों से श्रेष्ठ मानते हैं, ने लगभग चार महीने से जारी इज़रायल-हमास युद्ध में अपना असली रंग दिखा दिया है। दक्षिण अफ्रीका द्वारा तेल अवीव पर 26 जनवरी को जारी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के आदेश की अनदेखी करने का आरोप लगाने के बाद क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि गाज़ा में इज़रायल के सैन्य हमले में 27,000 से अधिक लोग मारे गये हैं। तब से इज़रायल ने न केवल आईसीजे के आदेश का उपहास किया बल्कि गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनियों की हत्याओं को जारी रखकर प्रतिशोध के तहत इसे भी नज़रअंदाज किया। ऐसा पता चला है कि आदेश जारी होने के बाद से इज़रायली हत्याओं की संख्या 1100 से अधिक हो गयी है।
दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री नलेदीपंडोर ने कहा कि उनका देश इज़रायल द्वारा नागरिकों की हत्या को रोकने के लिए ‘वैश्विक समुदाय के सामने अन्य उपायों का प्रस्ताव करने पर विचार करेगा’। उन्होंने कहा कि आईसीजे के फैसलों को नज़रअंदाज कर दिया गया है क्योंकि इज़रायल का मानना है कि उसे कोई भी कार्रवाई करने का लाइसेंस मिल गया है। उन्होंने कहा कि यह खतरा है कि अगर बड़े देशों ने इज़रायल के खिलाफ  कोई निवारक उपाय नहीं किया तो बड़ी संख्या में नागरिक हताहत होंगे। 1994 के रवांडा नरसंहार जैसी संख्या हो सकती है।
अदालत का फैसला इज़रायल पर बाध्यकारी है, अगर वह आदेशों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसे सैद्धांतिक रूप से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, हालांकि किसी भी सजा पर संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा वीटो किया जाना लगभग तय है। अभी तक अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह इज़राइल को हत्याएं रोकने के लिए मनायेगा। यूरोपीय संघ के अन्य देश अमरीका का अनुसरण कर रहे हैं। ब्रिटेन पहले से ही हथियार भेज रहा है और फ्रांस भी इज़रायली हत्याओं पर चुप्पी साधे हुए है।
दक्षिण अफ्रीका भी इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिननेतन्याहू पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में दायर एक मामले को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। आईसीसी ने पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीरपुतिन को जारी युद्ध के दौरान यूक्रेन से बच्चों को निकालने के संबंध में युद्ध अपराधी करार दिया था। गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया और राष्ट्रपति पुतिन इसके कारण जी-20 बैठक के लिए भारत नहीं आ सके।
जहां तक यूरोप की बात है तो इज़राइल यूरोपीय यूनियन के नेताओं के विचारों का तब तक ख्याल नहीं रखता, जब तक प्रधानमंत्री बेंजामिननेतन्याहू को वाशिंगटन का समर्थन प्राप्त है और यूरोपीय यूनियन यह जानता है कि उसके अरब देशों के साथ अच्छे आर्थिक संबंध हैं लेकिन फिर भी इस इज़राइल-हमास युद्ध के मुद्दे पर यूरोपीय संघ के देश प्रभावी रूप से अमरीकी सरकार के पिछलग्गूसेवक के रूप में व्यवहार कर रहे हैं।
ब्रुसेल्स में मिस्र के विदेश मंत्री समेहशौकरी और यूरोपीय संघ के विस्तार आयुक्त ओलिवरवर्हेली के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान बोरेल ने कहा कि ‘इजरायल के पास फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के लिए वीटो का अधिकार नहीं हो सकता है।’ लेकिन इस टिप्पणी का यूरोपीय संघ सरकारों की कार्रवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
अल-अक्सा बाढ़ ऑपरेशन के तुरंत बाद जर्मन चांसलर ओलाफस्कोल्ज़, इतालवी प्रधानमंत्री जोर्जियामेलोनी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएलमैक्रॉन सहित यूरोपीय नेता, डच प्रधानमंत्री मार्करुटे के शब्दों में, तेल अवीव पहुंचे। उन्होंने दोहराया कि ‘इज़रायल को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।’ तुरंत, यूरोपीय संघ की सरकारों ने सैन्य और खुफिया सहायता बढ़ा दी, यह जानते हुए भी कि इज़रायल-हमास को खत्म करने के नाम पर फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर रहा है।
2 नवम्बर तक जर्मन सरकार ने इज़राइल को लगभग 303 मिलियन यूरो (323 मिलियन) मूल्य के रक्षा उपकरणों के निर्यात को मंजूरी दे दी है, श्रॉयटर्स ने रिपोर्ट की, इस बड़ी राशि की तुलना 32 मिलियन यूरो मूल्य के रक्षा निर्यात से करते हुए जिसे 2022 में बर्लिन द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह सिर्फ एक उदाहरण है। शिपमेंट जारी है और जर्मन हथियार निर्माता यूरोपीय संघ के देशों के अन्य आपूर्तिकर्ताओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार जबकि अमरीकी गाज़ा युद्ध में भागीदार की भूमिका निभाने से नहीं कतराते थे, यूरोपीय संघ पूरी तरह से अमरीकी रुख से सहमत नहीं था, लेकिन यह बेईमानी थी और जिसे कम से कम नैतिक रूप से असंगत कहा ही जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्साही मैक्रॉन हमास को निशाना बनाने के लिए आईएसआईएस-विरोधी सैन्य गठबंधन स्थापित करना चाहते थे, हालांकि स्पेन और बेल्जियम के नेताओं ने 24 नवम्बर को मिस्र के राफा सीमा पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान संयुक्त रूप से स्थायी युद्ध विराम का आह्वान किया था।
कुछ यूरोपीय देश गाज़ा में इज़रायल के प्रतिशोध से व्यथित हैं। वे कभी-कभी सार्वजनिक रूप से इसकी बात करते हैं, लेकिन इज़रायल के विरोध को तत्काल कार्रवाई में तब्दील नहीं किया जा सकता है। यूरोप अमरीकी भू-राजनीतिक रणनीति से बंधा हुआ है और यही यूरोप की त्रासदी है। (संवाद)