हरियाणा में अशोक तंवर के जाने से ‘आप’ को लगा भारी झटका

पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर के आम आदमी पार्टी छोड़ने से हरियाणा में आप का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया है। डा. अशोक तंवर हरियाणा आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियान कमेटी के चेयरमैन थे और उनके आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पार्टी की काफी हवा बनी थी। इतना ही नहीं, अब तंवर के आम आदमी पार्टी छोड़ने से आप का आखिरी तंबू भी उखड़ गया है। इससे पहले पूर्व मंत्री निर्मल सिंह व उनकी बेटी चित्रा सरवारा ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। निर्मल और चित्रा के आम आदमी पार्टी छोड़ने के सदमे से अभी ‘आप’ उभर भी नहीं पाई थी कि डा. तंवर भी ‘आप’ को बाय-बाय कहकर भाजपा में चले गए। डॉ. तंवर खुद तो आम आदमी पार्टी छोड़ ही गए लेकिन उनके साथ ही बड़ी संख्या में उनके समर्थक व पदाधिकारी भी ‘आप’ छोड़कर भाजपा में चले गए। आम आदमी पार्टी को छोड़कर तंवर के साथ भाजपा में जाने वालों में  पार्टी की प्रदेश इकाई के अनेक महत्वपूर्ण पदाधिकारी भी शामिल हैं। पूर्व सांसद डा. अशोक तंवर, पूर्व राजस्व मंत्री निर्मल सिंह व चित्रा सरवारा के अलावा पूर्व मंत्री बिगू कादियान, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव राज कुमार बाल्मीकि और पूर्व विधायक रमेश गुप्ता सहित अनेक अन्य पदाधिकारी भी अब तक आम आदमी पार्टी को छोड़ चुके हैं। बताया जाता है कि हरियाणा आम आदमी पार्टी में जो इक्का-दुक्का लोग बचे हैं वे भी अब सुरक्षित ठिकाने की तलाश में हैं और किसी भी समय आम आदमी पार्टी को छोड़ कर वे भी कांग्रेस या भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं। 
तंवर की टिकट को लेकर असमंजस
डा. अशोक तंवर सिरसा से कांग्रेस सीट पर सांसद रह चुके हैं। उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबी व भरोसेमंद साथियों के तौर पर होती रही है। वह एनएसयूआई व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के अलावा हरियाणा कांग्रेस कमेटी के भी प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ अनबन के चलते वह कांग्रेस छोड़ गए थे। वह अब भाजपा टिकट पर लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। सिरसा संसदीय क्षेत्र से इस समय सुनीता दुग्गल भाजपा की सांसद हैं।
 सिरसा से ही डॉ. अशोक तंवर सांसद रह चुके हैं और वहां से वह चुनाव हार भी चुके हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अशोक तंवर को अपना भांजा और सांसद सुनीता दुग्गल को अपनी भांजी बताते रहे हैं। तंवर सिरसा या अंबाला से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। अंबाला से भाजपा सांसद रहे व पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया का कुछ समय पहले निधन हो गया था। यह सीट अभी खाली है। अंबाला सीट से रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया व डॉ. अशोक तंवर सहित करीब आधा दर्जन उम्मीदवार चुनाव लड़ने की लाइन में हैं। भाजपा किसे चुनाव मैदान में उतारेगी, यह कुछ दिन बाद ही साफ हो पाएगा। अगर तंवर को लोकसभा सीट न मिल पाई तो वह रतिया या कालांवाली से विधानसभा चुनाव लड़ने की भी तैयारी में हैं। रतिया से इस समय भाजपा के लक्ष्मण नापा विधायक हैं और कालांवाली सीट से इस समय कांग्रेस के शीशपाल केहरवाला विधायक हैं। अब भाजपा तंवर को कहां एडजस्ट करती है, फिलहाल सभी की नजरें इस ओर लगी हुई हैं। 
दुष्यंत चौटाला की खरी-खरी
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का परिवार लगातार राजनीतिक हमले बोलता रहता है। बीरेंद्र सिंह कई बार कह चुके हैं कि 2024 के चुनाव में दुष्यंत चौटाला उचाना से चुनाव नहीं लड़ेगा। इस समय दुष्यंत चौटाला उचाना से विधायक और भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में उप-मुख्यमंत्री हैं। पिछली बार दुष्यंत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना विधानसभा चुनाव में हराकर जीत दर्ज की थी। बार-बार दुष्यंत पर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर बीते दिन चंडीगढ़ प्रेस क्लब में जब दुष्यंत चौटाला से बीरेंद्र सिंह  द्वारा लगाए जा रहे आरोपों और उचाना से चुनाव न लड़ने के दावे बारे पूछा गया तो उन्होंने बीरेंद्र सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि मैं यंग और डायनामिक हूं। न मैं टायर्ड हूं और न ही रिटायर्ड हुआ हूं। कुछ नेता अपने जीवन का आखिरी चुनाव कह कर हर बार लोगों से वोट मांगते हैं और अगले चुनाव में वे फिर वहीं चुनाव लड़ते नजर आते हैं। उन्होंने साफ किया कि वह किसी भी हालत में उचाना नहीं छोड़ेंगे और जिनको उचाना छोड़ना है, वे लोग खुद पार्टी छोड़ने की तैयारी में बैठे हैं। दुष्यंत का कहना था कि अभी उनकी उम्र मात्र 35 साल है और वह 80 साल तक निरंतर राजनीति में रह कर देश व प्रदेश के विकास के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने 5 साल तक बतौर सांसद और अब सवा चार साल से बतौर उप-मुख्यमंत्री निरंतर लोगों की सेवा करने का काम किया है, जो सबके सामने हैं।
विवादों में विधायक नीरज शर्मा
हरियाणा में फरीदाबाद एनआईटी क्षेत्र के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा इन दिनों कफन का कपड़ा धारण करने को लेकर विवादों के घेरे में हैं। बजट सत्र के दौरान कफन के लिबास में उन्हें सदन में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। विधानसभा का बजट सत्र 20 फरवरी से शुरू होगा। इस बीच शर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से मिलने के लिए समय मांगा है। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता कहते हैं कि नीरज शर्मा ने जिस तरह की वेशभूषा धारण की हुई है, उसे देखते हुए उन्हें सदन में दाखिल होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। 
विधायक नीरज शर्मा ने अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से 28 करोड़ की राशि जारी करने की मांग की थी। आश्वासन देने के बावजूद जब यह राशि जारी नहीं हुई तो शर्मा ने परम्परागत पेंट-कमीज त्याग कर सफेद रंग का नारे लिखा कफन-नुमा कपड़ा ओढ़ना शुरू कर दिया। गणतंत्र दिवस समारोह दौरान जब वह पानीपत में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की तरफ से आयोजित एट होम कार्यक्त्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे, तब पुलिस ने जबरन शर्मा को रेस्ट हाउस में रोक लिया था। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा उन्हें पुलिस की हिरासत से छुड़ा कर ले गए थे। शर्मा ने अब इसी सिलसिले में विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता से मिलने के लिए समय मांगा है। इस संबंध में चिट्ठी लिखकर भी वह आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। अपनी वेशभूषा को लेकर शर्मा ने कहा है कि उनके कपड़ों में कोई भी असंसदीय या अमर्यादित बात नहीं है। वह अपनी मांगों की अनदेखी पर मौजूदा सरकार के खिलाफ अपना विरोध जाहिर करने के लिए ऐसे कपड़े धारण कर रहे हैं। जब तक उनकी मांग मंजूर नहीं की जाएगी, वह सिले हुए कपड़े नहीं पहनेंगे।
क्या होगा बजट सत्र में?
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में लोगों को क्या-क्या तोहफे मिलेंगे? लोगों को इसके लिए 20 फरवरी का इंतजार है। लोकसभा चुनावों की एक महीने में घोषणा होने के आसार हैं। भाजपा राज्य की सभी दस सीटें फिर से जीतने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल लगातार हरियाणा के दौरे पर हैं और आम जनता को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। मौके पर ही लोगों की समस्याओं के समाधान के निर्देश दे रहे हैं। हाथों-हाथ बुजुर्गों की पेंशन बनाने के आदेश भी दे रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री बजट सत्र के दौरान लोगों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। 

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