क्या साकार होगा हर घर को मुफ्त रोशन करने का सपना ? 

क्या हर घर को बिजली मुफ्त देने के सपने को अब हकीकत में ज़मीन पर उतारने में कामयाबी हासिल की जा सकती है या यह सिर्फ मुंगेरीलाल वाला हसीन सपना साबित होगा। दरअसल इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए मोदी सरकार ने सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ बनाई है। इस योजान का लक्ष्य एक करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का है। इस नीति की विस्तृत जानकारी का अभी सामने आना शेष है, लेकिन इसका लक्ष्य एकदम स्पष्ट है कि गरीब और मध्य वर्ग के परिवारों को स्वच्छ और सस्ती बिजली उपलब्ध कराना है। घरों की छतों पर लगने वाले सौर ऊर्जा उपकरण सबको बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल करने का एक अहम ज़रिया है। ऐसा इसलिए कि पारम्परिक बिजली उत्पादन मॉडल की तरह इसमें अंतिम छोर तक अधोसंरचना की उतनी ज़रूरत नहीं होती। यह अक्षय ऊर्जा को लेकर देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता की दृष्टि से भी उपयोगी कदम होगा। 
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में ऐलान किया कि देश में हर माह लोगों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। वित्त मंत्री ने बताया कि मुफ्त बिजली का लाभ देश में 1 करोड़ परिवारों को दिया जाएगा। हालांकि 300 यूनिट मुफ्त बिजली का लाभ ऐसे परिवारों को ही दिया जाएगा जिन्होंने अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा की व्यवस्था की है।
इस सिलसिले में मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार आय के मुताबिक हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। इसमें एक करोड़ वे परिवार शामिल होंगे जिनकी हर महीने आय 12,500 से ज्यादा नहीं होगी। इस ऐलान के बाद लोगों में खुशी है कि उन्हें हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त में मिलने वाली है, लेकिन बता दें कि यह मुफ्त बिजली उन्हीं लोगों को मिलेगा जो मध्यम वर्ग और गरीब परिवार से हैं।
बता दें कि 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ के तहत एक करोड़ घरों की छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित करने की केंद्र की योजना की घोषणा की थी। 
सोलर पैनल लगाने से जो बिजली मिलेगी वह बिजली मुफ्त होगी। इसमें वह परिवार शामिल होंगे, जो अपने घर की छत पर सोलर ऊर्जा की व्यवस्था करते हैं।  सूर्योदय योजना का लाभ लेने के लिए आपको सबसे पहले आवेदन की प्रक्रिया से गुजरना होगा।  
भारत का लक्ष्य अपनी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 50 फीसदी अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने का है, परन्तु इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई योजना को उन चुनौतियों से भी पार पाना होगा जो छतों पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के क्षेत्र में आरंभ से ही देखने को मिल रही हैं। ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ 2010 से अब तक घोषित चौथी ऐसी योजना है जो छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने से संबंधित है। 2010 में सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू नैशनल सोलर मिशन की स्थापना की गई थी। वर्ष 2015 में एक अन्य योजना की घोषणा की गई ताकि आम परिवारों तथा बिजली वितरण कम्पनियों को ऐसी परियोजनाओं को लेकर प्रोत्साहित किया जा सके। सरकार ने 2017 में सबस्टेंएबल रूफटॉप इम्पलीमैंटेशन सोलर ट्रांसफिगरेशन ऑफ इंडिया (सृष्टि) योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य वित्तीय प्रोत्साहन की मदद से रूफटॉप सोलर योजनाओं के लिए वितरण कम्पनियों को नोडल एजेंसी के रूप में मज़बूती प्रदान करना था। बहरहाल, 13 वर्षों के इस नीतिगत समर्थन का परिणाम यह हुआ है कि ग्रिड से सम्बद्ध रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 40 गीगावॉट के लक्ष्य के बजाय केवल 11 गीगावॉट तक पहुंची है। यह लक्ष्य भी 2022 से आगे बढ़ा कर 2026 कर दिया गया है। अब तक 70,000 से 80,000 घर सौर ऊर्जा पैनलों की मदद से रोशन हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार रूफटॉप सोलर सिस्टम को बड़े पैमाने पर अपनाए जाने की राह में तीन बड़ी बाधाएं हैं—जागरूकता की कमी, ऊंची लागत व वित्तीय विकल्पों की कम उपलब्धता तथा वितरण कम्पनियों की ऐसी परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के प्रति अनिच्छा। ऐसे में सूर्योदय योजना की सफलता के लिए लोगों को इसके लाभ के बारे में यकीन दिलाना होगा, परन्तु ऐसा करने के लिए पहले कई सफल योजनाओं का उदाहरण पेश करना होगा। मिसाल के तौर पर लागत की बात करें तो छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की लागत 2.2 लाख से 3.5 लाख रुपये तक आ सकती है। केवल अमीर और उच्च मध्य वर्ग के लोग ही कुछ हद तक वित्तीय विकल्पों तक पहुंच बना सकते हैं क्योंकि अधिकांश भारतीय परिवार कम खपत वाले दायरे में आते हैं। ऐसे लोगों के लिए रूफटॉप सोलर सिस्टम तभी कारगर साबित हो सकता है जब उन्हें भारी भरकम सब्सिडी प्रदान की जाए। ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ पहली ऐसी योजना है जिसमें उत्पादित बिजली के बजाय परिवारों की संख्या का लक्ष्य तय किया गया है। कुल आंकड़ा महत्वाकांक्षी प्रतीत होता है, लेकिन यह बहुत अधिक नहीं है, क्योंकि इस क्षेत्र में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। 
यहां उल्लेखनीय है कि रूफटॉप सौर ऊर्जा को कमज़ोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों तक लाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा। इन में प्रमुख तौर पर अक्षय ऊर्जा को सुरक्षित संरक्षण के लिए अधिक व मध्यम क्षमता वाली स्टोरेज बैटरी  की ज़रूरत होगी। 

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