भूमि की उपजाऊ शक्ति को प्रभावित करते कीटनाशक

रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग खेत, खेती और सेहत पर भारी पड़ रहा है। देश में रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग को इसी से समझा जा सकता है कि आज़ादी के समय 1950-51 में देश में 7 लाख टन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग होता था। एक मोटे अनुमान के अनुसार आज देश में 335 लाख टन से अधिक रासायनिक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है। इसमें 75 लाख टन उर्वरकों का तो आयात करना पड़ रहा है। यूरिया से नाइट्रोजन चक्र प्रभावित होता है और उससे ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ने से पर्यावरण प्रभावित होता है। देश में कीटनाशकों की खपत का विश्लेषण किया जाए तो केन्द्र शासित प्रदेशों सहित 797 ज़िलों में से केवल 292 जिलों में ही देश में उर्वरकों की कुल खपत की 83 फीसदी खपत हो रही है। यह अपने आप में गंभीर है। ऐसा नहीं है कि सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है अपितु सरकार ने उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए ही 2004 में यूरिया के अत्यधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव के अध्ययन के लिए सोसायटी फार कंजर्वेशन ऑफ नेचर की स्थापना की थी। 
दुनिया की सहकारी क्षेत्र की उर्वरक उम्पादक सहकारी समिति इफको द्वारा नैनो उर्वरक तैयार कर उनकी उपलब्धता व उपयोग बढ़ाने की कोशिश इसी दिशा में बढ़ते प्रयासों में से एक माना जा सकता है। रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए केन्द्र व राज्यों के कृषि मंत्रालयों द्वारा सावचेत किया जाता रहा है, परन्तु यह नाकाफी होने के साथ ही सही मायने में प्रभावी तरीके से जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन नहीं हो पा रहा है। आज पंच नदियों के प्रदेश में तेजी से जल स्तर कम होता जा रहा है। पंजाब के लोग ही पंजाब में उत्पादित गेहूं को अन्य प्रदेशों में खपाने और दूसरे प्रदेशों से गेहूं मंगवाकर उपयोग में लेने लगे हैं। इसी तरह से देश में कैंसर के सर्वाधिक मामलें पंजाब से आ रहे हैं। रासायनिक उर्वरक और ज़हरीले कीटनाशक इसके प्रमुख कारण हैं। हो यह रहा है कि उर्वरकों के कारण मिट्टी के खेती में सहायक कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं रासायनिक उर्वरक वर्षा आदि में बह कर नदी आदि प्राकृतिक जल स्रोतों को भी प्रदूषित कर देते हैं। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से तैयार फसल के उपयोग से मानव ओर मवेषी दोनों के ही स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है तो पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। यदि हम केवल और केवल हमारे देश की ही बात करें तो जो आंकड़ें सामने आ रहे हैं वे अत्यधिक चिंताजनक होने के साथ ही गंभीर भी है। 
रासायनिक खाद के बढ़ते इस्तेमाल के कारण देश की खेती योग्य भूमि में से 30 फीसदी भूमि बंजर होने की कगार पर पहुंचने लगी है। यह आंकड़ा कोई हवा हवाई नहीं होकर सेंटर फॉर साइंस एण्ड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार है। पंजाब, हरियाणा सहित कई प्रदेषों में कृषि उपज की सेचुरेशन वाले हालात हमारे सामने हैं। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों और जहरीले कीटनाषकों के अत्यधिक उपयोग का परिणाम जानलेवा कैंसर रोग का फैलाव सामने हैं। अब लगभग सभी दशों व विषेषज्ञों द्वारा रासायनिक उर्वरकों और कीटनाषकों के उपयोग को कम करने पर जोर दिया जा रहा है। 

-मो. 94142-40049