हरियाणा का राजनीतिक घटनाक्रम

हरियाणा में विधानसभा के चुनावों के लगभग 8 माह पहले और दो माह तक होने वाली लोकसभा चुनावों से ऐन पहले इस राज्य के राजनीतिक मंच पर जो कुछ हुआ है, वह अजीब भी है और हैरान करने वाला भी। वैसे तो राजनीति में अब कोई बात भी अजीब नहीं रही और न ही किसी घटनाक्रम से हैरानी पैदा होती है, लेकिन यदि साढ़े 4 साल तक भागीदार रही दो पार्टियों, जिन्होंने बेहतर ढंग के साथ प्रशासन चलाया हो, में एक-दो सीटों को लेकर एकदम से टूट जाए तो कुछ न कुछ हैरानी होना ज़रूरी है। आज की राजनीति में ‘सब कुछ चलता’ है का रुझान ही बरकरार है। एक दूसरे को अंधेरे में रखना अथवा धोखा देना या मौकापरस्ती की राजनीति करना आम जैसी बात है।
वर्ष 2019 में हरियाणा में भाजपा ने 10 की 10 लोकसभा सीटें जीत ली थीं, लेकिन अपनी इस दूसरी पारी में विधानसभा चुनावों में भाजपा बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में पीछे रह गई थी। हरियाणा में विधानसभा के 90 सदस्य हैं, जिनमें से भाजपा को 40 सीटें मिली थीं तथा एक विधायक बाद में पार्टी में शामिल हुआ था, इसलिए उसे किसी दूसरी पार्टी के साथ गठबंधन करके ही सरकार चलानी पड़नी थी। दूसरी तरफ अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी के पास 10 विधायक थे, जिसके कारण भाजपा के पहले ही चले आ रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ जननायक जनता पार्टी से समर्थन लेकर दुष्यन्त चौटाला को उप-मंत्री बनाया गया था। दुष्यन्त चौटाला अजय चौटाला के पुत्र हैं और ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र हैं। इस पार्टी का आधार ज्यादातर हरियाणा की मज़बूत जाट बिरादरी में रहा है। 9 अगस्त, 2020 से 11 दिसम्बर, 2021 तक चले किसान आन्दोलन के दौरान किसान संगठनों ने दुष्यन्त चौटाला को विशेष रूप से इस कारण निशाना बनाये रखा था, कि वे चाहते थे कि वह उनके पक्ष में खड़े हों, परन्तु दुष्यन्त चौटाला ने अपनी पार्टी को मज़बूती के साथ उस समय भी भाजपा के साथ जोड़े रखा था। लोकसभा चुनावों के नज़दीक आने के कारण जन-नायक जनता पार्टी के नेता अजय चौटाला एवं दुष्यन्त चौटाला प्रदेश की 10 में से कुछ सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहे  थे। इन सीटों में विशेष रूप से भिवानी, महेन्द्रगढ़, सिरसा, हिसार आदि शामिल थीं। इन में जाट बिरादरी का भारी प्रभाव भी माना जाता है, परन्तु भाजपा प्रदेश में सरकार चलाने के लिए तो इस पार्टी के साथ गठबंधन बनाये रखने को अधिमान देती रही थी, परन्तु लोकसभा चुनावों में वह दुष्यन्त की पार्टी को एक भी सीट देने के लिए तैयार नहीं थी,जबकि अजय चौटाला अपनी पार्टी की ओर से दो सीटें लेकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे, परन्तु यह बातचीत सफल न होने के कारण जिस तरह की राजनीतिक ड्रामेबाज़ी भाजपा ने की है, वह प्रशंसनीय नहीं है।  
यहीं बस नहीं, मनोहर लाल खट्टर सरकार से त्याग-पत्र दिलवा कर भाजपा द्वारा नई सरकार का गठन करने के लिए न सिर्फ छ: आज़ाद विधायकों को ही साथ जोड़ा गया है, अपितु दुष्यन्त की जन-नायक जनता पार्टी के पांच विधायकों को भी अपने साथ जोड़ने के समाचार सामने आए हैं। प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र के लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप कर भाजपा ने अन्य पिछड़े वर्गों (ओ.बी.सी.) से सम्बद्ध  बिरादरियों को अपने साथ जोड़ने का यत्न किया है। जन-नायक जनता पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की भागीदार रही है। हरियाणा के घटनाक्रम ने इस गठबंधन में भी दरार डाली है। चलते ऐसे घटनाक्रम में भाजपा को यह एहसास होता जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का घोड़ा सरपट दौड़ रहा है। इस कारण उसने अपने गठबंधन के भागीदारों को भी दृष्टिविगत करना शुरू कर दिया है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द