मोदी के चुनावी चक्र-व्यूह में फंसा ‘इंडिया’ गठबंधन

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनावी सरगर्मियां तेज़ हो गई है। राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों के चयन और नामों की घोषणा शुरू कर दी है। चुनावी बिसात बिछने लगी है और एक-दूसरे के खिलाफ तीखे आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए है। सियासत के नए समीकरण बन रहे हैं और सभी राजनीतिक दल अपने फायदे को देखकर एक-दूसरे से गठबंधन कर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। भाजपा विरोधी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन के नाम से एक ही जाजम पर बैठने का मंसूबा पूरा नहीं हुआ है। एनडीए अपने करिश्माई नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। लोगों में मोदी की गारंटी का क्रेज देखने को मिल रहा है। मोदी विरोधी दलों में प्रधानमंत्री के नाम पर कोई सर्वसम्मति नहीं बनी है। ‘इंडिया’ गठबंधन के रचियता बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार एक बार फिर एनडीए के पाले में आ चुके है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी ने बंगाल में कांग्रेस को छिटक दिया है। यूपी में जयंत चौधरी अपनी पार्टी रालोद को ‘इंडिया’ से निकालकर एनडीए में ले आये है। मायावती की बसपा अकेले चुनावी संघर्ष में कूद गई है, जिसका सीधा नुक्सान ‘इंडिया’ गठबंधन को उठाना होगा। केरल में ‘इंडिया’ के घटक आपस में ही टकरा रहे है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि विपक्षी गठबंधन तीन तरह की स्थिति में है। मोदी के दौरों में उमड़े भारी जनसमर्थन की झलक खुलकर देखी जा सकती है। वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा लोगों में कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई है। कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन से पार्टियां और नेता लगातार दूर होते जा रहे है। वहां एनडीए मजबूती से उभर रहा है। ऐसी स्थिति में यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी के चुनावी चक्र-व्यूह में ‘इंडिया’ गठबंधन फंस कर रह गया है। वहीं खबरिया चैनलों के सर्वे में मोदी के हैट्रिक लगाने की भविष्यवाणी की गई है। 
लोकसभा चुनाव में विपक्ष में पूरी तरह एका नहीं होने के कारण आधे राज्यों में बहुकोणीय चुनावी संघर्ष की सम्भावना बलवती हो गई है। वर्तमान राजनीतिक हालातों को देखते हुए उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, प. बंगाल, हरियाणा, उड़ीसा, पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में जहां लोकसभा की 200 से अधिक सीटें है बहुकोणीय मुकाबले के आसार है। वहीं गुजरात, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान में सीधा मुकाबला है। देश के सब से बड़े और 80 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने महा गठबंधन बना कर चुनौती दी है। इस महा गठबंधन में बसपा शामिल नहीं है। 
सीटों के हिसाब से देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें है। यहां एनडीए और ‘इंडिया’ गठजोड़ का लगभग सीधा मुकाबला है। तीसरे और चौथे बड़े राज्य आंध्र प्रदेश और प. बंगाल में भी विपक्ष महा गठबंधन बनाने में सफल नहीं हुआ है। आंध्र में कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और एनडीए ने अलग अलग राह पकड़ी है। इस राज्य में भी बहुकोणीय संघर्ष की सम्भावना है। चौथा बड़ा राज्य प. बंगाल है जहां भी लोकसभा की 42 सीटें है। यहां ममता की पार्टी का कांग्रेस से गठजोड़ नहीं हुआ है। बंगाल में तृणमूल और भाजपा में सीधा मुकाबला है। यहां भी बहुकोणीय संघर्ष होने की सम्भावना है।
इसके बाद तमिलनाडु में लोकसभा की 39 और कर्नाटक में 28 सीटें है।  तमिलनाडु में द्रमुक शक्तिशाली पार्टी है। कर्नाटक में भाजपा और देवेगौड़ा की पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यहां भाजपा और कांग्रेस में  सीधा मुकाबला है। गुजरात, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में गुजरात की सभी 26, हिमाचल की सभी चार, उत्तराखंड की पांचों और राजस्थान की सभी 25 सीटों सहित दिल्ली की सभी सातों सीटें भाजपा को मिली थी। वहीं मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ दोनों राज्यों की लगभग सभी सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया था। बिहार में 40 सीटें है। यहां एनडीए और ‘इंडिया’ में सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में एनडीए ने 39 सीटें जीत कर विरोधियों को धूल चटा दी थी। पूर्वोत्तर सहित देश के अन्य राज्यों यथा उड़ीसा, पंजाब, केरल, तेलंगाना आदि में कहीं सीधा तो कहीं बहुकोणीय मुकाबला है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 30 साल का रेकॉर्ड तोड़ते हुए अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया था। इस बार मोदी ने 400 पार का नारा दिया है।

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