क्या आगामी लोकसभा चुनाव में होगी गारंटी-गारंटी की लड़ाई ?

लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राजनीतिक दल इस चुनाव में कई मुद्दों और ‘गारंटियों’ के सहारे जनता के बीच आक्रामक चुनाव अभियान चलाने की तैयारी में हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका स्पष्ट संकेत दिया है कि इस चुनाव में उनके प्रचार अभियान का मुख्य विषय ‘मोदी की गारंटी’ रहने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अनुसार ‘मोदी की गारंटी’ युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिये पर पड़े और कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नज़रअंदाज़ किया गया है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कुछ हद तक फायदा होता दिखा जब उसने लोगों को ‘गारंटी’ दी। अब लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने युवाओं, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ ‘भागीदार न्याय’ के उद्देश्य से अपनी 5 ‘न्याय गारंटी’ की बात की है। मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान लोगों के सामने ‘न्याय की गारंटी’ पेश की गई है। कांग्रेस का घोषणा-पत्र इसी गारंटी के इर्द-गिर्द तैयार किए जाने की संभावना है और पार्टी अपना अभियान इसी के इर्द-गिर्द तैयार करेगी। कांग्रेस सहित ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियां बेरोज़गारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाती रही हैं। उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की गई। वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम हों या फिर रोजमर्रा का सामान, इनकी कीमतों को लेकर भी मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है हालांकि भाजपा ने रोज़गार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार भी किया है। चुनावी मौसम में बेरोज़गारी और महंगाई भी बड़े मुद्दे हैं।
अनुच्छेद 370, सीएए और समान नागरिक संहिता भाजपा के लोगों के बीच किए गए वादों में से हैं। भाजपा ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम- 2019 के कार्यान्वयन और जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त करके अपने वादे पूरे कर दिए हैं, वहीं सीएए को भी लागू कर दिया गया है। इन्हें पार्टी ने समय समय पर मुद्दा बनाया है और इस चुनाव में भाजपा इन मुद्दों को भुनाने में जुटी है। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। अन्य राज्यों में बातचीत जारी है।
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया। समारोह का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतीकवाद किसी से भी छिपा नहीं था। भाजपा नेताओं ने सदियों पुराने सपने को साकार करने का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया है। इस अवसर पर हिंदी भाषी क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में भगवा झंडे फहराए गए, इसका प्रभाव हर किसी पर महसूस किया जा सकता है। यहां तक कि विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से भाजपा को उत्तर भारत में फायदा हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा  को कम से कम 370 सीटें मिलने का ज्यादातर भरोसा इसी ‘राम मंदिर लहर’ से उपजा है। 
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराए जाने पर चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर डेटा सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज करने की मांग की है। चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा सामने आया है और विपक्ष ने इसे लपक लिया है लेकिन यह जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है हालांकि यह निश्चित रूप से अभियान के दौरान चर्चा के बड़े विषयों में से एक होगा।  चुनावी मौसम के दौरान एक बड़ा मुद्दा है अमृत काल बनाम अन्य काल। भाजपा का दावा है कि मोदी सरकार ने सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को ‘बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थानों पर कब्ज़ा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं’ वाला ‘अन्य काल’ करार दिया है। 
चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन भी चर्चा में रहने की संभावना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए राहुल गांधी ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वायदा किया है। वहीं भाजपा नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और वे आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित हैं। 
यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है जिसे कई लोग भाजपा और कांग्रेस के बीच ‘विचारधाराओं की लड़ाई’ कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश का लक्ष्य एक विकसित राष्ट्र बनना है। उनकी सरकार 2047 तक इस लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण भाजपा के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण रहने की संभावना है जबकि विपक्ष इसे ‘एक और जुमला’ करार दे रहा है। तथापि, चुनाव अभियान के दौरान यह एक प्रमुख विषय बना रहेगा।