चुनाव क्षेत्र में मोदी की तैयारी अद्भुत है

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां अपने प्रचार और वायदों से जनता को लुभा रही हैं, परन्तु जो दृश्य जगत है वह कुछ और ही कहता है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस तैयारी के साथ सामने आ रहे हैं वह अद्भुत है। वह यात्राएं कर रहे हैं, उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं। दूर-दराज़ के क्षेत्रों में जाकर भाषण दे रहे हैं। विपक्ष पर हमले कर रहे हैं। जनता को गारंटी दे रहे हैं। आप कहेंगे कि इसमें क्या अलग है? चुनाव के दिन हैं। अरे चुनाव के दिन तो बाकी पार्टियों के लिए एक जैसे ही हैं। वे, उनके प्रमुख लीडर इतने सक्रिय क्यों नहीं हैं? क्या वे जनता को लुभाना नहीं चाहते? वे अपने पाले में वोट गिरना पसंद नहीं करते? उनको भी जन-समर्थन चाहिए। परन्तु इस तैयारी में और उनकी तैयारी में अन्तर साफ नज़र आ रहा है। वह अन्तर कमिटमेंट का है। कमिटमेंट आपको जोश देती है। एक ज्योति जलाये रखती है और हर पल तैयार रखती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दरभंगा में बयान दिया कि देश में गरीबी हटाने के लिए मतदाता नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार ही नहीं, बल्कि चौथी बार भी जिताने का संकल्प लें। 
गृह मंत्री अमित शाह ने एक मीडिया सम्मेलन में कहा कि विपक्ष को अब 2024 के बाद के लिए अपनी तैयारी करनी चाहिए तो इसका मतलब भी यही निकलता है कि 2024 तो उनका है ही, आगे के लिए भी उनके सामने कोई बड़ी चुनौती नज़र नहीं आ रही।
उधर इंडिया गठबंधन की हालत पतली नज़र आ रही है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की सभी 42 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह इंडिया गठबंधन के लिए किसी धक्के से कम नहीं। साफ अर्थ निकल रहा है कि ‘इंडिया’ लेबल के नाम पर इकट्ठी हुई 28 पार्टियों में एकत्व की भावना में बिखराव आ चुका है। नितीश कुमार भाजपा से हाथ मिलाकर पहले ही झटका दे चुके हैं। केरल में मार्क्सवादी विचार वाली पार्टी की सत्ता है, उसने सीटों के तालमेल को लेकर कांग्रेस को साफ इन्कार कर दिया है। उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की मज़बूत स्थिति नहीं लगती है। अखिलेश अपनी शर्त मनवा रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस नेताओं ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है।
 झारखंड में भी कांग्रेस को सफलता हाथ नहीं लगी। सी.पी.आई. ने अपने को अलग कर लिया है। कहा है कि 14 लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी। यह मोड़ राजनीति का नाज़ुक मोड़ लगता है जहां विपक्ष को एकजुटता का परिचय देना चाहिए था, वहां हाथ से राजनीति की गोट फिसलती चली जा रही है। इस तरह आप अपनी योजनाओं को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकते, जबकि गठबंधन पहले ही न सम्भल पा रहा हो। दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी लोकसभा में 400 के पार का नारा लेकर आ रहे हैं। 
मोदी अभूतपूर्व रूप से लगातार चौथी बार भी चुनाव लड़ने को तैयार नज़र आते हैं। भाजपा में 75 की उम्र की सेवानिवृत्ति की उम्र मानने का रिवाज़ खत्म हो रहा है। वह भाजपा के कार्यकर्ताओं में भी जोश और उत्साह भर रहे हैं। वहीं विपक्ष इस तैयारी के सामने कमज़ोर नज़र आता है। विपक्ष के लिए यह बड़ी चिंता होनी चाहिए कि अगर भाजपा 400 पार वाले नारे पर कामयाब होती है तो उनके लिए ज्यादा कुछ करने को रह नहीं जाता।