ठोस यत्नों से खत्म किया जा सकता है तपेदिक रोग

विश्व टी.बी. दिवस पर विशेष

24 मार्च, 1882 को जर्मन वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच ने ट्यूबरक्लोसिस यानी टी.बी. के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ की खोज की थी। उनकी ये खोज टीबी के इलाज में बहुत सहायक हुई। इस बीमारी को तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। 1905 में उन्हें इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला। रॉबर्ट कोच की इस खोज के सम्मान में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए  24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन 2020 में भारत सरकार ने अपने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कायक्रम के माध्यम से 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के लिए घोषणा की। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1982 से हर साल ‘विश्व टीबी दिवस’ मनाया जाता है। टीबी या तपेदिक रोग से संबंधित समस्याओं और उसके समाधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए और दुनिया भर में क्षय रोग नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। टीबी एक संक्रामक रोग है, जो जीवाणु की वजह से पनपता है। यह जीवाणु धीरे-धीरे शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। यह ज्यादातर फेफड़ों में पाया जाता है। फेफड़ों के अलावा आंत, मस्तिष्क, हड्डियां, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी क्षय रोग से ग्रसित हो सकते हैं।  भारत में करीब 25 लाख लोग इस बीमारी के शिकार हैं। भारत में यह रोग एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल लगभग 2,20,000 मौतें होती हैं।  
तपेदिक के लक्ष्ण
सीने में गम्भीर दर्द, भूख न लगना, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, खूनी बलगम, तीन सप्ताह से अधिक ्रखांसी, अचानक भार कम होना आदि।
कैसे फैलता है?
तपेदिक रोग या टी.बी. से संक्रमित मरीज़ों के कफ, खांसी, थूकना तथा सांस छोड़ने से हवा में बैक्टीरिया फैलते हैं, जो कई घंटों तक हवा में रहते हैं। वे बैक्टीरिया हवा के कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में चले जाते हैं। जिस कारण तंदुरुस्त लोग भी आसानी से तपेदिक का शिकार हो जाते हैं। जब तपेदिक रोग का बैक्टीरिया सांस के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचता है तो यह धीरे-धीरे शरीर के प्रत्येक अंग में फैलना शुरू कर देता है। हालांकि शरीर की रोगों से लड़ने की समर्था इसे बढ़ने से रोकती है, परन्तु जैसे-जैसे शरीर की समर्था कमज़ोर होती जाती है, तपेदिक के रोग का खतरा बढ़ जाता है। यहां एक बात विशेष तौर पर ध्यान देने योग्य है कि तपेदिक का रोग किसी संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों, बर्तनों आदि को छूने से नहीं फैलता।
इस रोग की जांच के लिए बहुत-से टैस्ट उपलब्ध हैं, जैसे कि छाती का एक्स-रे, थूक, बलगम की जांच, त्वचा की जांच आदि। इसके अतिरिक्त आधुनिक तकनीक के माध्यम से आई.जी.एम. हीमोग्लोबिन की जांच करके टी.बी. का पता लगाया जा सकता है। इस संबंध में कई सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच की जाती है। 
रोकथाम एवं सावधानियां 
तपेदिक एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज किया जा सकता है और इससे बचा जा सकता है। यदि दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो चिकित्सक से जांच अवश्य करवानी चाहिए। अगर आपके घर में या आस-पास टीबी संक्रमित रहते है तो उनसे दूरी बना कर रखें। यदि आपके आस.पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे दूर रहें और उस व्यक्ति को अस्पताल जाने की सलाह दे। यदि किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आते हैं तो अपने हाथों और मुंह को ज़रूर धोएं। यदि आपको अधिक समय से खांसी हो रही है, तो बलगम की जांच अवश्य करवानी चाहिए। खाने में ऐसे पौष्टिक आहार लें जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन, खनिज लवण, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों क्योंकि पौष्टिक आहार हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं।
हर साल स्वास्थ्य संगठनों, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों एवं अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा दुनिया भर में आम जनता में क्षय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इस बार 2024 में भी 2023 वाला थीम है  ‘हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं!’  इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में टीबी रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना हैं। विशव टीबी दिवस पर ज़रूरी है कि इस घातक रोग के बारे में विस्तार से जाना जाए और इसे नज़रअंदाज़ करने की भूल न की जाए। 

-मो. 9781590500