रैडक्रॉस कब और कैसे शुरू हुआ ?

19वीं शताब्दी में श्रीमती एलिज़ाबेथ फराई और फलोरैंस नाइटिंगेल के नाम अस्पतालों का काम नियमबद्ध करने और नर्सों की सिखलाई शुरू करने के लिए प्रसिद्ध हैं। जीन हैनरी डूनैंट का नाम भी मानव जाति की सेवा के लिए हमेशा याद रखने योग्य है। डूनैंट स्विट्जरलैंड का रहने वाला था, 1869 में सैलफरीनो की लड़ाई के समय घायल हुए लोगों का दु:ख देखकर उसका दिल पसीज गया। उसने एक पुस्तक लिखकर ऐसी संस्थाएं बनाने की मांग की, जो लड़ाई के समय घायलों की सहायता करने के लिए प्रशिक्षित स्वै-इच्छुक तैयार करें। जो हर समय यह सेवा करने के लिए तैयार रहें। उसके यत्नों से जनेवा में अंतर्राष्ट्रीय रैड क्रॉस  सोसायटी बनी, जो आज तक काम कर रही है। 
आज रोगियों को आगे से बहुत समय पहले ही अस्पतालों में से बाहर भेजा जा रहा है। अस्पतालों में जगह की कमी के कारण छोटे रोगों का इलाज घर पर किया जा रहा है। इसके अलावा वृद्धों की सेवा भी घरों में ही की जाती है। इन सभी का ध्यान रखने के लिए प्रशिक्षित नर्सें नहीं हैं। घर के अन्य सदस्यों को भी उनकी सेवा के कुछ नियमों की जानकारी ज़रूरी है। इस जानकारी के बिना उनकी सेवा में काफी कमी रह जाने पर उनकी हालत ठीक होने की जगह बिगड़ सकती है। स्कूलों में बच्चों को फर्स्ट एड होम नर्सिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। जन-साधारण यह सिखलाई लेकर अपने घरों में रोगियों की सेवा कर सकते हैं और युद्ध के समय घायलों की सहायता कर सकते हैं। सरकार भी यह चाहती है कि अधिक से अधिक लोगों को इन नियमों की जानकारी हो। मानवीय सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।
-गांव और डाकखाना झब्बेलवाली, ज़िला श्री मुक्तसर साहिब।
मो. 62841-45349