विलक्षण शिकारी मछली है लोमड़ी शार्क

लोमड़ी शार्क लोमड़ी की तरह चालाक होती है। इसलिए इसे फॉक्स शार्क भी कहा जाता है। इसकी पूंछ का मीनपंख लंबा और शक्तिशाली होता है, इसी से यह अपने शिकार और शत्रु पर प्रहार करती है। इसे पूंछ से प्रहार करने वाली मछली भी कहा जाता है। दुनिया में यह थ्रेशर के नाम से ही जानी जाती है। 
यह अधिकांश उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण सागरों में पायी जाती है। यह गरम सागरों की शार्क है, किन्तु गर्मियों में उत्तर की ओर ठंडे सागरों में पहुंच जाती है। इसकी चार जातियां हैं। सामान्य लोमड़ी शार्क या अटलांटिक लोमड़ी शार्क, प्रशांत लोमड़ी शार्क, बड़ी आंख वाली अटलांटिक लोमड़ी शार्क और बड़ी आंख वाली प्रशांत लोमड़ी शार्क। इन चारों लोमड़ी शार्क मछलियों में सामान्य लोमड़ी शार्क प्रमुख है। लोमड़ी शार्क की चारों जातियों में केवल मीनपंखों के आकार, थूथन और आंखों के आकार का अंतर होता है। शेष सभी विशेषताएं, गुण और आदतें चारों लोमड़ी शार्क की तरह ही होती हैं। 
लोमड़ी शार्क खुले सागरों में दिखाई नहीं देती। यह अकेली विचरण करती है। कभी-कभी इसे जोड़े में या छोटे-छोटे झुंडों में भी देखा जाता है। लोमड़ी शार्क बड़ी तेज तैराक है। यह सागर में हमेशा सक्रिय रहती है। कभी-कभी तो यह इतनी तेजी से उछलती है कि पानी के बाहर आ जाती है। यह बड़ी भयानक और खतरनाक होती है, लेकिन यह मानव को कोई हानि नहीं पहुंचाती। लोमड़ी शार्क की शारीरिक संरचना दूसरी शार्क मछलियों से अलग होती है। इसके शरीर की लंबाई 5 से 6 मीटर तक होती है। इसका वजन भी ज्यादा होता है। सागर में 454 किलोग्राम वजन तक की लोमड़ी शार्क बहुतायत से देखने को मिल जाती है। इसकी पीठ और ऊपर के भाग का रंग गहरे ग्रे से लेकर काला तक होता है। पेट और शरीर के नीचे का रंग सफेद होता है।
इसका थूथन छोटा और ब्लन्ट होता है। दांत छोटे और त्रिभुजाकार होते हैं तथा दांतों के किनारे चिकने होते हैं। लोमड़ी शार्क के मीनपंख शार्क मछलियों के मीनपंख से पूरी तरह भिन्न होते हैं। इसके पूंछ के मीनपंख की लम्बाई इसके शरीर के लम्बाई के बराबर होती है। लोमड़ी शार्क की पूंछ का मीनपंख बड़ा शक्तिशाली होता है और दराती जैसा दिखायी देता है। इसका प्रमुख भोजन, हैरिंग, पिलकार्ड तथा मैकरल जैसी झुंड बनाने वाली मछलियां हैं। उनके साथ ही यह मछली अन्य मछलियों का भी शिकार करती है। झुंड में रहने वाली मछलियों का पीछा करके उन्हें नदी के मुहाने तक लाकर उनका शिकार करती है।
यह पहले झुंड की तलाश करती है और उसके चारो ओर तैरती रहती है। फिर धीरे-धीरे अपना चक्कर छोटा करती है और पूंछ को लगातार मारती है जिससे झुंड की मछलियां एक-दूसरे के करीब आ जाती हैं और इस तरह यह अचानक उनके झुंड पर आक्रमण कर देती है। यह कभी-कभी अकेले शिकार न करके जोड़े से शिकार करती है। यह सबसे पहले मछलियों का झुंड तलाश करके उन्हें पूंछ से आक्रमण करके घायल कर देती हैं और अंत में उन्हें अपना आहार बना लेती हैं। यह अपनी पूंछ के पास से शिकार पर इस तरह वार करती है कि वे सीधा इसके मुंह के आसपास आकर गिरता है और वह इसे तेज़ी से खाने के लिए लपक पड़ती है। शिकार करने का यह ढंग किसी अन्य जीव में नहीं होता। यह हवा में उड़ते हुए पक्षियों पर भी अपनी पूंछ से प्रहार करती है और उन्हें चट कर जाती है। यह बड़ी पेटू होती है और बहुत ज्यादा भोजन करती है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर