बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रही है कांग्रेस 

लोकसभा चुनाव के अधबीच कांग्रेस पार्टी का पैसे का संकट बढ़ता जा रहा है। पहले आयकर विभाग ने उसका खाता फ्रीज कर दिया और उसमें से आयकर बकाया के तौर पर 135 करोड़ रुपए निकाल लिए। इसे गरीबी में आटा गीला होना कहते हैं। कांग्रेस जैसे-तैसे अपने को इस स्थिति से निकाल ही रही थी कि अब खबर आई है कि आयकर विभाग ने उसके खातों में 524 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है। केंद्रीय एजेंसी ने बताया है कि उसने जब छापा मारा था तब कुछ कागज़ात जब्त किये थे, जिनसे पता चला है कि कांग्रेस के खातों से 2014 के बाद से बिना हिसाब-किताब के 524 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। यह बड़ा आरोप है। अनकाउंटेड ट्रांजेक्शन आपराधिक मामला है। पार्टी को इस 524 करोड़ का हिसाब तो देना ही होगा, साथ ही आयकर विभाग ने उसे 1700 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी कर दिया है। यह नोटिस साल 2017-18 से 2020-21 के लिए है और इसमें जुर्माना व ब्याज शामिल है। कांग्रेस के सामने यह अभूतपूर्व आर्थिक संकट है। लोकसभा चुनाव के बीच वह यह जुर्माना और ब्याज चुकाने के लिए पैसे कहां से लाएगी? यह भी आशंका है कि आयकर विभाग कांग्रेस की संपत्तियां ज़ब्त करके यह वसूली कर सकता है। गौरतलब है कि आयकर विभाग ने कांग्रेस की मज़र्ी के बगैर उसके खाते से पिछला बकाया निकाल लिया था।
असुरक्षित नेता
पिछले लम्बे समय से यह सिलसिला चल रहा है कि जो भी नेता अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जा रहा है, उसे भाजपा में शामिल होते ही केंद्र सरकार की ओर से वीआईपी सुरक्षा मिल रही है या उसकी सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। ताज़ा मामला झारखंड की सीता सोरेन का है। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा और विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुईं तो अगले ही दिन उन्हें ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा मिल गई। वैसे राज्य सरकार की ओर से भी उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन केंद्र की ओर से ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा के तहत अब अर्धसैनिक बलों के 30 से ज्यादा जवान उनकी सुरक्षा में तैनात होंगे। ऐसा ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के तीन विधायकों के साथ हुआ है। उन्होंने पिछले दिनों हुए राज्यसभा के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। केंद्र सरकार ने उन तीनों विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी। हिमाचल प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेसी विधायकों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई। इसीलिए सवाल है कि क्या ऐसा कुछ है कि अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जाने वाले नेता ज्यादा असुरक्षित हो जाते हैं या उनके पाला बदलने की एक शर्त यह होती है कि भाजपा उनको टिकट देने के साथ-साथ ज्यादा बड़ी श्रेणी की सुरक्षा देकर उनका कद बढ़ाएगी?
राज ठाकरे के आगे भाजपा का समर्पण
भाजपा ने महाराष्ट्र में अपनी हालत पतली महसूस करते हुए राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे को भी अपने गठबंधन में शामिल करने का फैसला किया है। शिव सेना के अलग होने के बाद भाजपा पहले तो कहती रही थी कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी। फिर बाद में शिव सेना का विभाजन करा कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया और उनकी पार्टी से गठबंधन किया। फिर शरद पवार की पार्टी एनसीपी में विभाजन करा कर अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री बनाया और उनकी पार्टी को गठबंधन में शामिल किया। अब उसने राज ठाकरे से भी हाथ मिला लिया है। राज ठाकरे को वह कुछ भी देने को तैयार है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने पहले दो लोकसभा सीटें उनको देने की बात कही थी। माना जा रहा था कि एक मुम्बई की और एक अन्य सीट उनको मिल सकती है, लेकिन वे इतने पर तैयार नहीं हुए। अब कहा जा रहा है कि भाजपा उनके बेटे अमित ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य बनाएगी। इसके अलावा उनकी पार्टी को राज्यसभा की भी एक सीट दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और वह जीत जाएंगे तो उनकी खाली हुई राज्यसभा सीट राज ठाकरे को दे दी जाएगी। अगर यह गठबंधन हो जाता है तो यह भी एक रिकॉर्ड होगा कि भाजपा महाराष्ट्र की तीन प्रमुख प्रादेशिक पार्टियों को साथ लेकर चुनाव लड़ेगी।
कर्नाटक में भाजपा की चिंता 
दक्षिण भारत में भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद कर्नाटक से हैं लेकिन वहां उसकी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। हालांकि पार्टी ऐसा दिखा रही है कि नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक कर दिया गया है और वह फिर से 2019 का प्रदर्शन दोहराएगी, लेकिन हकीकत कुछ और है। कर्नाटक में भाजपा के लिए नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक करने का मतलब है कि सब कुछ बी.एस. येदियुरप्पा को सौंप दिया गया है। उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का सदस्य और उनके विधायक बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। उनके सांसद बेटे को फिर से टिकट दे दिया गया है। सो, कहा जा रहा है कि नेतृत्व के स्तर पर सब ठीक हो गया है और गठबंधन के स्तर पर भी सब कुछ ठीक कर लिया गया है। एच.डी. देवगौड़ा की पार्टी जनता दल एस से गठबंधन हो गया है और पिछली बार निर्दलीय जीती सुमनलता अंबरीष भी भाजपा में शामिल हो गई हैं। इसलिए सवाल है कि जब सब कुछ ठीक है तो बड़ी संख्या में पार्टी के पुराने और आजमाए हुए नेताओं के टिकट क्यों काटे जा रहे हैं? गौरतलब है कि भाजपा ने छह बार के सांसद अनंत हेगड़े की टिकट काट दी है और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल को भी टिकट नहीं दिया है। इसके बाद बेल्लारी बंधुओं में सबसे चर्चित रहे जी. जनार्दन रेड्डी को पार्टी में शामिल करा लिया गया है। उनके खिलाफ अवैध खनन सहित दूसरे कई मामलों में नौ मुकद्दमे चल रहे हैं। इस बीच के.एस. ईश्वरप्पा और डी.वी. सदानंद गौड़ा जैसे बड़े नेताओं के नाराज़ होने की भी खबरें हैं। 
पंजाब में मुकाबला चार-कोणीय 
पहले पंजाब में ऐसा लग रहा था कि चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा, जिसमें सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के मुकाबले अकाली दल और भाजपा का गठबंधन मजबूती से चुनाव लड़ेगा। कुछ समय पहले जालंधर के उप-चुनाव में देखने को मिला था कि चार-कोणीय मुकाबले में आम आदमी पार्टी जीती, लेकिन तीसरे और चौथे नम्बर पर रहे अकाली दल और भाजपा के वोट मिला कर लगभग उसके बराबर हो रहे थे। इन दोनों के साझा वोट कांग्रेस के वोट से छह फीसदी ज्यादा थे। इसलिए त्रिकोणीय मुकाबला होता तो संभव था कि अकाली दल और भाजपा को फायदा होता, लेकिन चार-कोणीय मुकाबला होने से अब चुनाव ज्यादा दिलचस्प हो गया है। अकाली दल के अलग होते ही भाजपा ने बड़ा दांव चला और कांग्रेस के लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को पार्टी में शामिल करा लिया। बिट्टू आतंकवादी हमले में मारे गए पंजाब के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते हैं। उन्होंने 2014 में आनंदपुर साहिब से और 2019 में लुधियाना से चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत प्राप्त की। उनसे पहले पटियाला की कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी भाजपा में शामिल हो गईं। उनके पति कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले से भाजपा में हैं। उनके साथ ही सुनील जाखड़ भी भाजपा में गए थे, जो अब प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनकी अबोहर विधानसभा सीट फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। इस तरह लुधियाना, पटियाला और फिरोज़पुर तीन सीटों पर भाजपा को मजबूत उम्मीदवार मिल गए हैं। गुरदासपुर सीट से पहले विनोद खन्ना और फिर सन्नी देओल भाजपा की टिकट पर जीते थे, किन्तु इस बार भाजपा ने इस हॉट सीट से अभिनेता की जगह नेता दिनेश सिंह बब्बू को टिकट दी है।