आईपीएल में रफ्तार का राजा कैसे बने मयंक ?

शनिवार यानी 30 मार्च, 2024 की लगभग आधी रात बीत चुकी थी। देवेन्द्र शर्मा के फोन की घंटी बजी। रात के 12 बजने पर नया दिन आरंभ हो जाता है और यह समय के परिवर्तन का प्रतीक भी है। कॉल में भी नई शुरुआत का महत्व निहित होता है। लेकिन दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ से ऐसा कोई आभास नहीं हो रहा था, शर्मा को अच्छी तरह से याद है। ‘सर, आज न मेरा डेब्यू हो गया।’ कॉल का ‘कंटेंट’ स्पष्ट, टेलीग्राम की तरह संक्षिप्त था, लेकिन सोनेट क्लब के कोच ने तुरंत ही इसकी अहमियत का अर्थ समझ लिया। शर्मा ने बताया, ‘वह ऐसे बोल रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह यह सुनना चाहता था कि मुझे क्या कहना है।’
दिल्ली के सुपर-फास्ट तेज़ गेंदबाज़ मयंक यादव ने आईपीएल के वर्तमान सत्र में तहलका मचा दिया है। उन्होंने अपनी तूफानी गेंदों से लखनऊ में पंजाब किंग्स को उस समय धराशायी कर दिया जब उनकी सलामी जोड़ी अलग होने का नाम ही नहीं ले रही थी और लखनऊ सुपर जायंट्स द्वारा दिए गये 200 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 11 ओवर में बिना विकेट खोये 102 रन की साझेदारी कर ली थी। मयंक ने अपने चार ओवर में 27 रन देकर तीन विकेट लिए और अपनी टीम को जीत की राह पर खड़ा कर दिया। इसे कहते है डेब्यू। शर्मा के अनुसार मयंक हमेशा से ही सीधे व विन्रम व्यक्ति रहे हैं। 21-वर्षीय मयंक ने जब 2021-22 के जाड़ों में दिल्ली के लिए विजय हजारे ट्राफी में डेब्यू किया था, तब सोनेट में सबको मिठाई बांटी थी। उस मैच के अंतिम ओवर में उन्होंने तीन रन डिफेंड किये थे, जिससे दिल्ली को जीत मिल गई थी। अमहत्वकांक्षी मयंक इसी बात से खुश थे कि वह दिल्ली के लिए खेल रहे हैं और अपने क्लब और कोचों दिवंगत तारक सिन्हा व शर्मा का आभार व्यक्त करना चाहते थे।
मयंक इतने विन्रम हैं कि जिन अतिशयोक्तियों की सामान्य बोलचाल में इस्तेमाल आम सी बात है वह अपने लिए उनको भी पसंद नहीं करते हैं। शायद इसकी वजह उनकी परवरिश से जुड़ी हुई है। उनके पिता एक छोटा सा कमोडिटी व्यापार करते थे जिससे घर का खर्च चल जाता था, लेकिन कोविड के दौरान उस पर भी ताले पड़ गये। तारक सिन्हा व देवेन्द्र शर्मा का मानना है कि जो लड़के गरीब परिवारों से आते हैं उनमें बेहतर तेज़ गेंदबाज़ बनने की क्षमता होती है। शर्मा के अनुसार, ‘मयंक जब हमारे पास आया तो वह 14 वर्ष का दुबला पतला लड़का था। हम क्लब के लिए गेंदबाज़ों की तलाश कर रहे थे। सात साल पहले जब वह हमें मिला था तो उसके पास उचित जूते भी नहीं थे।’ ज़मीन से जुड़ा होना मयंक के लिए विकल्प नहीं बल्कि मजबूरी थी।
ऐसा प्रतीत होता है कि मयंक व जूतों पर एक निरंतर डार्क, व्यंगात्मक जोक है। मयंक को पिछले साल अपना आईपीएल डेब्यू करना था, लेकिन प्रैक्टिस मैच में वह अपना हैमस्ट्रिंग पुल कर बैठे क्योंकि उनके पुराने स्पाइक्स नमी भरी क्रीज़ पर ग्रिप न कर सके। मयंक लखनऊ टीम के साथ पिछले तीन सत्र से हैं और दिल्ली के लिए भी खेल रहे हैं, लेकिन अभी तक शू कांट्रेक्ट हासिल नहीं कर सके हैं। यह इसके बावजूद कि डेल्ही एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के टॉप अधिकारी उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं। सोनेट ही उन्हें खेलने के जूते उपलब्ध कराता रहा है। अब शायद स्थिति बदल जाये। वैसे इस आईपीएल के सत्र में अपने हालात को बेहतर समझते हुए मयंक ने अपने लिए कई जोड़ी जूते ऑस्ट्रेलिया से ख़ुद ही मंगा लिए हैं। 
मयंक को पहली नज़र देखने पर कोई यह शर्त नहीं लगा सकता है कि वह 156 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार तक से गेंद फेंक सकते हैं, जोकि उन्होंने पंजाब के विरुद्ध फेंकी। शर्मा कहते हैं, ‘जब वह हमारे पास आया था तो उसमें पौष्टिकता का अभाव था, उसे संभवत: भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाता था, लेकिन उसकी गेंदें नेट्स पर तेज़ प्रहार कर रही थीं। वह क्लब में हमारे साथ खाने लगा। वह शाकाहारी है, लेकिन हमेशा से इतना ताक़तवर कि बिना खास प्रयास के तेज़ गेंदबाज़ी कर लेता है। उसकी डिलीवरी पिच करने के बाद स्किड करती थी। लेकिन उसने जल्द सीख लिया कि वह वन-डायमेंशन गेंदबाज़ नहीं रह सकता। आउट-स्विंग प्राकृतिक रूप से उसे आती है। हमने उसे इन-कमिंग गेंद विकसित करने में मदद की।’
मयंक के लिए जीवन ने अचानक सकारात्मक मोड़ लिया कि जब वह दिल्ली के लिए मोहाली में डेब्यू कर रहे थे तो उत्तर प्रदेश के कोच के रूप में विजय दहिया भी वहां थे। जॉइंट नेट सेशन चल रहा था। विजय ने अचानक मयंक को गेंदबाज़ी करते हुए देखा और तुरंत गौतम गंभीर को बुलाया। उस समय गंभीर व दहिया लखनऊ की टीम से जुड़े हुए थे, दिल्ली कनेक्शन भी काम आया और लखनऊ ने मयंक में निवेश करने का फैसला किया। पहले सत्र में उसे खिलाना संभव न था क्योंकि वह मानसिक व शारीरिक तौर पर तैयार न था। चूंकि उसने जूनियर क्रिकेट न खेली थी, इसलिए उसकी टांगों में जान न थी। लेकिन लखनऊ के लिए वह महत्वपूर्ण निवेश था।
इस साल की देवधर ट्राफी के बाद से मयंक राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के राडार पर है। लखनऊ के कप्तान के.एल. राहुल को मयंक पर काफी विश्वास है। दक्षिण अफ्रीका की सीरीज से पहले मयंक को विराट कोहली, रोहित शर्मा व राहुल के विरुद्ध गेंदबाज़ी करने के लिए बुलाया गया था। मयंक ने इन दिग्ज्जों को प्रभावित अवश्य किया, लेकिन अपनी पसली में फ्रैक्चर भी करा बैठे, जिससे रणजी सीजन न खेल सके। लखनऊ को मालूम है कि उनके पास क्या प्रतिभा है, इसलिए मयंक के चोटिल होने के बावजूद उन्हें रिलीज़ नहीं किया गया। मयंक को स्पोर्ट्स मेडिसिन के लिए मुंबई भेजा गया ताकि वह आईपीएल के लिए तैयार हो सकें। अब नतीजे सामने आने लगे हैं।
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर