चुनाव प्रचार में सबसे अधिक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं नरेन्द्र मोदी 

 

पिछले साल यानी 17 सितम्बर 2023 को प्रधानमंत्री मोदी 73 साल के हो चुके हैं। लेकिन इन दिनों 18वीं लोकसभा चुनावों के लिए वह जिस तूफानी अंदाज में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, उसे देखकर कोई नौजवान भी शरमा जाये। हर दिन औसतन 5000 किलोमीटर का सफर, कम से 4 रैलियों में संबोधन, दिनभर में 500 से ज्यादा लोगों से मिलना। इन चुनावों के दौरान उनकी इस तूफानी दिनचर्या के आसपास अगर कोई दिखता है तो वह कांग्रेस के राहुल गांधी ही हैं जो लाख इन्कार के बावजूद लगातार उनके अच्छे-बुरे प्रतिद्वंदी बने हुए हैं। मोदी के बाद दूसरे नंबर पर वही सबसे ज्यादा एक्टिव और एनर्जेटिक दिखते हैं, लेकिन मोदी और राहुल में 25 सालों का फर्क है। ऐसे में अपनी सक्रियता के लिए राहुल गांधी के साथ तुलना हासिल करना ही उनके लिए एक कॉप्लीमेंट है, लेकिन यहां बात उससे भी आगे हैं। अकसर लोग यह कहते मिल जायेंगे कि मोदी वर्काहलिक हैं, यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी भी उन्हें वर्काहलिक कहा करते थे, लेकिन इस 18वीं लोकसभा चुनाव में तो मोदी इससे भी दस कदम आगे निकलकर बिलकुल सुपरमैन बन चुके हैं। इस साल में अब तक तक मोदी देश के अलग-अलग हिस्सों का करीब 54 बार दौरा कर चुके हैं। चाहे संदर्भ मौजूदा चुनावों के लिए प्रचार करना हो या उसके पहले कई तरह की योजनाओं का शुभारंभ या शिलान्यास करना रहा हो या पूरी हो चुकी योजनाओं को हरी झंड़ी दिखाने की बात रही हो। मोदी भारत के जितने सक्रिय प्रधानमंत्री हैं, आज तक दूसरा कोई नहीं हुआ।
मौजूदा 18वीं लोकसभा के चुनाव 7 चरणओं में हो रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को है। दूसरा चरण का मतदान 26 अप्रैल को, तीसरा 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां चरण 20 मई, छठा  25 मई और सातवें चरण का मतदान 1 जून 2024 को सम्पन्न होगा। इस बार देश भर में आम चुनावों की यह प्रक्रिया 43 दिन तक चलेगी। इसके पूरे होने के बाद 4 जून को नई सरकार का ऐलान हो जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी को नजदीक से जानने वाले उनकी जिन खूबियों का जिक्र बार बार करते हैं, उनमें एक यह है कि वह राजनीति और मैनेजमेंट में माहिर हैं और काम में फोकस करने की कला जानते हैं। लेकिन इससे भी आगे की बात यह है कि नरेंद्र मोदी बिना थके हुए सुपरमैन की तरह पूरे जुनून में काम करते हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आम चुनावों के अभी पहले चरण भी वोटिंग नहीं हुई, लेकिन वह देश में एक कोने से दूसरे कोने तक इतनी बार दौरा कर चुके हैं कि अगर उनके सारे दौरों को एक सीध में रख दिया जाए, तो भारत से अमरीका तक जाने और आने की एक यात्रा पूरी हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी में काम करने का यह जूनून कोई प्रधानमंत्री बनने के बाद से नहीं पैदा हुआ, बल्कि वह किशोरावस्था से ही काम करने को लेकर बेहद जुनूनी रहे हैं। वह किशोरावस्था से ही सुबह 4 बजे उठने के आदी रहे हैं। चाहे वह संघ के एक साधारण प्रचारक रहे हों या गुजरात के मुख्यमंत्री, हर दिन वह 4 से 5 घंटे अकेले में काम करते हुए बिताते रहे हैं। वैसे भी समय प्रभंधन के माबिर कहते हैं कि अगर आप सुबह चार बजे जग जाते हैं तो आपके पास कभी भी समय की कमी नहीं रहती। दूसरों के साथ जुलने का ही नहीं बल्कि खुद से मेल-मिलाप के लिए भी खूब समय मिलता  है।
अगर देखा जाय तो राजनेताओं में इस समय दो राजनेता ही फिटनेस के मामले में सबका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं—एक हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे का नाम राहुल गांधी है। प्रधानमंत्री मोदी की फिटनेस का राज़ उनके दिन की शुरुआत में ही छुपा है। अपनी फिटनेस की बदौलत ही प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के उन कुछ गिने चुने नेताओं में से हैं जो न सिर्फ  अपना हर दिन का तय काम उसी दिन पूरा कर लेते हैं, बल्कि अगले दिन के कामों की पूरी रूपरेखा भी बना लेते हैं। 18वीं लोकसभा चुनाव के प्रचार के बाद उनके खाते में इतने घंटे तक बोलने का रिकॉर्ड होगा, जो अब से पहले भारत के किसी भी प्रधानमंत्री के हिस्से में नहीं आया होगा। प्रधानमंत्री औसतन साल में 500 घंटों से भी ज्यादा बोलते हैं। यह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के मुकाबले करीब 100 गुना ज्यादा है। पुतिन सार्वजनिक जीवन में बहुत कम बोलते हैं और प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोलते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई बार लंबी यात्राएं कर चुकीं मधु किश्वर कहती हैं कि वह देशभर में इतना घूम चुके हैं कि देश के हर ज़िले के बारे में कभी भी किसी भी वक्त कम से कम पांच मिनट बोल सकते हैं, वह भी बिना किसी की मदद के। देश का शायद ही कोई ऐसा ज़िला होगा, जहां वह अभी तक न गये हों। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और उस दौर के दूसरे नेताओं की तरह ही मोदी ने  देश का जबरदस्त दौरा किया है। दक्षिण भारत और उत्तर पूर्व में तो वह इतनी बार गये हैं कि आज़ादी के बाद कोई राजनेता इतनी बार इन इलाकों की यात्रा की होगी।।
 वैसे उनका यह भारत भ्रमण सिर्फ  प्रधानमंत्री के बनने के बाद नहीं शुरु हुआ वह उससे पहले से ही देश के हर प्रदेश की भाषा से परिचित हैं। हर प्रदेश के खाना और वहां के लोगों को भी समझने में वह अच्छा खासा वक्त लगा चुके हैं। अगर कहा जाए कि उन्होंने बहुत अच्छी तरह से होमवर्क करके राजनीति में आये हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आज उन्हें सोशल मीडिया में अपने इसी होमवर्क के कारण अपार लोकप्रियता हासिल है। लेकिन मज़े की बात यह है कि सोशल मीडिया में प्रसिद्धि के मामले में भी उनकी प्रतिद्वंदिता सिर्फ राहुल गांधी से ही है। 
 हालांकि प्रधानमंत्री मोदी को पत्रकारों से बात न करने के लिए जाना जाता है, लेकिन शीला भट्ट जैसी सीनियर जर्नलिस्ट से न सिर्फ  उनके गहरे और आत्मीय संबंध हैं बल्कि उनके नजदीकी लोगों के मुताबिक कम से कम 100 जर्नलिस्ट ऐसे हैं, जिनसे प्रधानमंत्री मोदी का सीधा संबंध है या रहा है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह मीडिया को कितनी बारीक निगाहों से देखते हैं, लेकिन फिर से लौटकर अगर फिलहाल सिर्फ  चुनावों पर फोकस करें तो मोदी इन चुनावों में जितना तूफानी दौरा कर रहे हैं, कोई दूसरा नहीं कर रहा। इसके बावजूद उनकी तस्वीरें देखिए, उनके हावभाव देखिए तो उनमें ज़रा भी थकन या शिकन देखने को नहीं मिलेगी, यह उनकी फिटनेस का जादू है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर