भीषण गर्मी में मतदान ही ताकत है भारतीय लोकतंत्र की

आज जब देश के बहुत बड़े भाग में सूरज आग उगल रहा है, तब लोकसभा चुनाव के लिए जनता मतदान करने के लिए अपने घरों से निकल रही है। भारत के कई राज्यों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर हो गया है। इसके साथ ही लू भी चल रही है। इतने कठोर मौसम में चुनाव प्रचार करना और फिर मतदान करने के लिए मतदान केन्द्रों के बाहर लम्बी  कतारों में खड़ा होना सामान्य बात तो नहीं मानी जा सकती है। इसलिए प्रचार भी सुबह या शाम को ही संभव हो पाता है।  दोपहर के समय तो मात्र रणनीति ही बनाई जा सकती है।
 परन्तु ऐसे मौसम में भी देश के लाखों-करोड़ों मतदाता घरों से निकलकर वोट तो दे ही रहे हैं। यह सुखद भी है और यह हमारे मज़बूत लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत भी है। आखिर देश के जनमानस को पता है कि उनके वोट से ही देश की तकदीर लिखी जाएगी। इसलिए लोग वोट देकर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। बेहतर होगा कि मतदाता सुबह जल्दी ही अपने मताधिकार का प्रयोग करके घर वापस आ जाये। भारत में लोकसभा चुनाव आमतौर पर अप्रैल और मई में होता है तथा मतदाता और मतदान अधिकारी भीषण गर्मी से निपटने के आदी हैं। लेकिन इस साल भारत रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का मुकाबला कर रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बेहोश हो गए थे, बाद में उन्होंने बताया कि भीड़ भरे स्थान और उच्च तापमान के कारण उन्हें असहज महसूस हुआ था। इससे कुछ दिन पहले पूर्वी शहर कोलकाता में, जहां तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया था। चुनाव अधिकारी मतदान केंद्रों पर पेयजल की आपूर्ति करके और मतदान का समय बढ़ाकर इससे निपटने के लिए कदम तो उठा रहे हैं।  2019 के चुनाव की तुलना में 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को हुए मतदान के पहले दो चरणों में मतदान में कम से कम 3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। चुनाव आयोग को अगले चुनावों के पूर्व एक बार यह विचार करना चाहिए कि क्या आम चुनावों की तिथियों को अप्रैल-मई की जगह फरवरी-मार्च में किया जा सकता है? इससे देश मतदाताओं को कुछ राहत मिल सकती है। कुछ पर्वतीय राज्यों में बर्फ  जमा रहने के कारण दिक्कत तो हो सकती है, परन्तु उन क्षेत्रों में एक महीने बाद चुनाव करवाए जा सकते हैं।
दिल्ली और हरियाणा की क्रमश: सात और दस सीटों के लिए मतदान आगामी 25 मई को होना है। सम्भावना है कि 25 मई को दिल्ली व हरियाणा में पारा 42 डिग्री सेल्सियस के आस-पास होगा। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम समेत एनसीआर के इलाकों में इस समय के दौरान आसमान से आग बरसती है। दिन में तापमान 40 डिग्री पार चला जाता है। बताया जा रहा है कि आने वाले में दिल्ली के कुछ इलाकों में तापमान 43 डिग्री तक पहुंचने की उम्मीद है। इतनी भीषण गर्मी में वोट देने के लिए घर से निकलने से पहले बुजुर्गों को अपना ख्याल रखना ही होगा।
इस बीच पुणे महाराष्ट्र के सबसे गर्म क्षेत्रों में से एक है, जहां 13 और 20 मई को दो और चरणों में मतदान होगा। पिछले एक हफ्ते से पुणे में 39 डिग्री और 42 सेल्सियस के बीच तापमान चल रहा है और मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में इसके जारी रहने की संभावना है। तो गर्मी के प्रकोप का असर हर तरफ है।  पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए मतदान 1 जून को होना है। माना जा रहा है कि राज्य में मतदान वाले दिन तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच सकता है। कहना ना होगा कि इतनी तेज गर्मी में घर से निकलना कठिन होता है।  दक्षिणी राज्य तेलंगाना में 13 मई को चौथे चरण में मतदान होना है। वहां भी चिलचिलाती गर्मी को जनता झेल रही है। इस तापमान में वोट डालने के लिए बाहर आना मुश्किल है। बुजुर्गों को मतदान केंद्रों तक ले जाना चुनौतीपूर्ण होगा। इस साल पहली बार चुनाव आयोग ने 85 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और विकलांग लोगों को अपने घरों से वोट डालने की अनुमति दी है। आयोग ने मार्च में चुनावों पर गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। इसके साथ ही मतदान केंद्रों पर पेयजल और ओरल हाइड्रेशन सॉल्ट उपलब्ध कराने, मेडिकल किट तैयार रखने और देरी को रोकने के लिए पर्याप्त मतदान कर्मचारी रखने के निर्देश दिये गये हैं। बहरहाल, आम भारतीय का यही कहना है कि गर्मी हमें वोट देने से नहीं रोक सकती। यही जज़्बा भारतीय लोकतंत्र की ताकत है।