जालन्धर (पश्चिमी) का चुनाव : बहुत कुछ लगा हुआ है दांव पर

जालन्धर पश्चिमी से 10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार सोमवार 5 बजे खत्म हो गया है। पिछले लगभग तीन सप्ताह से जालन्धर (पश्चिमी) विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों द्वारा ज़ोर-शोर के साथ अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया जा रहा था। रैलियां, बैठकें और रोड शो की भरमार रही। इस कारण न केवल जालन्धर पश्चिमी बल्कि पूरे जालन्धर के लोगों की ज़िंदगी में खलल पड़ता भी नज़र आया। लोगों को अलग-अलग सड़कों पर अनेक बार ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री भगवंत मान इस चुनाव के लिए खुद जालन्धर आकर बैठ गये थे। इसके अलावा उनकी पार्टी के साथ संबंधित मंत्री, विधायक और नये बने तीन लोकसभा सदस्यों सहित बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के अन्य पदाधिकारी और समर्थक भी पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों से जालन्धर पहुंचे हुए थे। गली-गली घूम कर उनके द्वारा प्रचार किया जाता रहा। 
विपक्षी दलों द्वारा निरन्तर यह भी आरोप लगाए जाते रहे कि आम आदमी पार्टी की सरकार यह चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी, खासतौर पर पुलिस और जालन्धर नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों का भी लोगों को भ्रमित के लिए दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा मतदान वाले दिन भी सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किए जाने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। विपक्षी दलों के इन आरोपों में इस कारण भी सच्चाई नज़र आ रही है क्योंकि 14 जनवरी, 2023 को जालन्धर लोकसभा क्षेत्र से हुए उपचुनाव के दौरान भी सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी द्वारा बड़े स्तर पर लोगों को डर और लालच देकर अपने पक्ष में वोट डालने के लिए भ्रमित किया गया था। उस समय भी बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के मंत्री, विधायक इस चुनाव में प्रचार करने और लोगों को प्रभावित करने के लिए जालन्धर पहुंचे थे। चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद भी सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक और मंत्री इसी क्षेत्र में डटे रहे थे। उस समय चुनाव आयोग ने भी चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद उनको क्षेत्र से बाहर निकालने के लिए प्रभावशाली ढंग के साथ अपने आदेश लागू नहीं करवाए थे। इसी कारण अब भी विपक्षी राजनीतिक पार्टियों द्वारा सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों, विधायकों और अन्य नेताओं के 8 जुलाई शाम 5 बजे चुनाव प्रचार खत्म हो जाने के बाद क्षेत्र से बाहर न जाने संबंधी आशंका प्रकट की जा रही है। कायदे के अनुसार तो मुख्यमंत्री को खुद भी चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद जालन्धर (पश्चिमी) क्षेत्र से दूर रहना चाहिए।
इस चुनाव को इस कारण भी याद रखा जाएगा कि अपनी पार्टी को जिताने के लिए मुख्यमंत्री खुद चंडीगढ़ छोड़कर जालन्धर के दीप नगर इलाके में किराये का मकान लेकर आ बैठे थे। इस कारण राज्य भर से अलग-अलग कर्मचारी संगठन जो अपनी मांगों और मामलों के लिए सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाना चाहते थे, उनका रुख भी जालन्धर की ओर हो गया था। उन्होंने दीप नगर में मुख्यमंत्री की कोठी के निकट बार-बार प्रदर्शन किए और जालन्धर पश्चिमी क्षेत्र में भी कर्मचारियों द्वारा अपनी-अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किए गये। यह भी समाचार सामने आएं हैं कि पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की रिहायश के निकट ऐसे प्रदर्शनों की कवरेज करने वाले पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया। एक पत्रकार को हिरासत में लेकर जब्री उसके मोबाइल फोन में से प्रदर्शन की वीडियो डिलीट करवाई और धमकियां भी दीं। इस सारे घटनाक्रम के कारण भी जालन्धर और खास तौर पर पश्चिमी क्षेत्र चर्चा का केन्द्र बना रहा। चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद लोगों को इस पक्ष से कुछ राहत मिली है। लेकिन अब 10 जुलाई को वोट डालने का क्रम कितना अमन और निष्पक्षता के साथ पूरा होगा, यह चुनाव कमिशन पर निर्भर करता है। जालन्धर पश्चिमी क्षेत्र से आम आदमी पार्टी द्वारा महिन्द्र भगत, कांग्रेस द्वारा सुरेन्द्र कौर, भाजपा द्वारा पूर्व विधायक शीतल अंगुराल, बसपा द्वारा बिंदर लाखा, शिरोमणि अकाली दल के बागी गुट द्वारा सुरजीत कौर, अकाली दल (मान)  द्वारा सरबजीत सिंह खालसा सहित आज़ाद उम्मीदवारों को मिला कर कुल 15 उम्मीदवार अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 1 लाख 75 हज़ार के लगभग है। मतदाताओं के लिए कुल 181 पोलिंग बूथ बनाये गये हैं और वोट डालने का काम 10 जुलाई बुधवार को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक पूरा किया जाएगा। 13 जुलाई शनिवार को मतगणना के उपरांत परिणाम का ऐलान किया जाएगा।
चाहे यह सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव है लेकिन राज्य की ऐसी राजनीतिक स्थिति में इस चुनाव का महत्व बहुत बढ़ गया है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को पिछले माह हुए लोकसभा के चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा था। चाहे मुख्यमंत्री भगवंत मान इन चुनावों में 13 सीटें जीतने का बार-बार दावा करते रहे थे, परन्तु पार्टी सिर्फ 3 लोक सभा सीटें जीतने में सफल हो सकी थी। 2022 के विधानसभा चुनावों में इसने 42.01 फीसदी वोट हासिल किए थे, परन्तु लोकसभा चुनावों में यह सिर्फ 26.02 फीसदी वोट ही हासिल कर सकी। इस प्रकार इसके वोट शेयर में भी काफी कमी आ गई थी। इस कारण मुख्यमंत्री भगवंत मान के प्रभाव तथा उसके नेतृत्व पर भी प्रश्न उठने लग पड़े थे। इसी कारण मुख्यमंत्री भगवंत मान अब जालन्धर (पश्चिमी) से विधानसभा चुनाव अपने लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना कर लड़ रहे हैं ताकि अपनी धूमिल होती साख को बचा सकें। इस उप-चुनाव के बाद जल्द ही राज्य को 4 अन्य विधानसभा क्षेत्रों बरनाला, गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक तथा चब्बेवाल से उप-चुनाव का सामना करना पड़ेगा। क्षेत्र इसलिए रिक्त हो गए हैं, क्योंकि इनसे संबंधित विधायक लोकसभा चुनाव जीत कर संसद में पहुंच गए हैं। इसके अतिरिक्त आने वाले समय में नगर निगमों तथा पंचायतों के भी चुनाव होंगे। आम आदमी पार्टी तथा विशेषकर मुख्यमंत्री को यह प्रतीत होता है कि यदि एक के बाद एक चुनाव वह हारते गए तो इससे पार्टी उनके निजी तथा समूचे तौर पर पार्टी की छवि को भारी आघात पहुंचेगा। 
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी जो कि लोकसभा चुनाव में राज्य की 7 सीटें जीतने में सफल रही है। उसके हौसले बढ़े हुए हैं और वह अपनी इस उपलब्धि को जालन्धर (पश्चिमी) सहित होने वाले अन्य उप-चुनावों, नगर निगम चुनावों तथा पंचायत चुनावों में भी दोहराना चाहती है ताकि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी स्थिति मज़बूत कर सके। इसी कारण पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग, पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा तथा कांग्रेस के अन्य नेता पूरी तनदेही से यह चुनाव लड़ रहे हैं। पंजाब भाजपा को लोकसभा चुनावों में कोई भी सीट हासिल नहीं हुई थी, परन्तु उसके वोट शेयर में अवश्य काफा वृद्धि हुई थी। केन्द्र में इसकी तीसरी बार सरकार बन चुकी है। इस कारण यह पार्टी भी उत्साहित हुई दिखाई दे रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ के लिए भी यह प्रतिष्ठा का सवाल है। इसी कारण यह भी जी-जान से चुनाव लड़ रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जालन्धर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र की सीट इसलिए रिक्त हुई, क्योंकि लोकसभा चुनावों से पहले इस क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक शीतल अंगुराल पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उनको ही इस चुनाव में अपने उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है। अब यह देखना होगा कि शीतल अंगुराल अपनी जीत को दोहराने में सफल होते हैं या नहीं। 
शिरोमणि अकाली दल जो कि पिछले लोकसभा चुनावों में सिर्फ बठिंडा सीट ही जीतने में सफल हुआ था, ने इस उप-चुनाव में सुरजीत कौर को अपनी उम्मीदवार बनाया था और उन्हें चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिया था, परन्तु इसी दौरान शिरोमणि अकाली दल में बगावत हो गई। इस कारण अकाली दल ने सुरजीत कौर का समर्थन वापिस लेकर इस क्षेत्र से बसपा के उम्मीदवार बिन्दर लाखा का समर्थन करने की घोषणा कर दी थी, परन्तु बागी अकाली नेता गुरप्रताप सिंह वडाला तथा बीबी जगीर कौर ने पूर्व अकाली उम्मीदवार सुरजीत कौर का समर्थन जारी रखा, परन्तु इसके बावजूद सुरजीत कौर ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के उपस्थिति में आम आदमी पार्टी में शामिल होने की घोषणा कर दी, परन्तु इसी दिन शाम को सुरजीत कौर ने पुन: अकाली उम्मीदवार के रूप में ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इससे आम आदमी पार्टी तथा विशेषकर मुख्यमंत्री भगवंत मान की स्थिति भी नमोशीजनक बन गई थी। समूचे रूप में अकाली दल के लिए यह पूरा घटनाक्रम हास्यस्पद बना रहा।   
अब उस उप-चुनाव को लेकर मुख्य ज़िम्मेदारी जालन्धर (पश्चिमी) के मतदाताओं पर आ गई है। लोकसभा चुनावों के दौरान पंजाब के सूझवान मतदाताओं ने बिना किसी डर, भय तथा लालच के अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए मतदान किया था। विशेषकर सत्तारूढ़ पार्टी की मुफ्तखोरी पर आधारित योजनाओं का भी उन्होंने कोई प्रभाव नहीं स्वीकार किया था। इसी प्रसंग में अब जालन्धर (पश्चिमी) के मतदाताओं से भी यही आशा रखी जाती है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने क्षेत्र के लिए बेहतर प्रतिनिधि चुनने के लिए बिना किसी डर-भय तथा लालच के अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसके साथ ही पंजाब में लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्षता की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान डालेंगे। नि:संदेह अलग-अलग पहलुओं पर जालन्धर (पश्चिमी) का चुनाव बेहद दिलचस्प है। आने वाले लम्बे समय तक इसकी यादें मन में बनी रहेंगी। 


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