भारत को बांग्लादेश से सतर्क रहने की आवश्यकता

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यानी संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश और भारत के बीच विचारधारा की पहली लड़ाई में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बिना किसी आमने-सामने की बैठक के स्पष्ट जीत हासिल की। डॉ. यूनुस अपनी पहली प्रमुख वैश्विक उपस्थिति में भारत पर बढ़त हासिल करने के लिए दृढ़ थे और उन्होंने ऐसा किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक हर साल की तरह इस साल भी 22 से 30 सितम्बर तक न्यूयॉर्क में हुई। इस वर्ष 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने और बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. मुहम्मद यूनुस अमरीका, चीन, यूरोपीय संघ के देशों तथा पाकिस्तान सहित सार्क देशों सहित प्रमुख देशों के शासनाध्यक्षों से सम्पर्क कर रहे थे।
उनके लिए तत्काल अवसर सितम्बर के अंत में आया, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक होने वाली थी। न्यूयॉर्क में अपने अच्छे सम्पर्कों के साथ डॉ. यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र की अपनी यात्रा का पूरा उपयोग करते हुए विश्व नेताओं को देश में राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के कार्यक्रम से अवगत कराने तथा यह बताने की कोशिश की कि बांग्लादेश भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग क्यों कर रहा है? डॉ. यूनुस ने न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की मांग की थी। मूल कार्यक्रम यह था कि भारतीय प्रधानमंत्री 26 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे तथा बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख 27 सितम्बर को। बैठक के बारे में भारतीय अधिकारी चुप थे। फिर अचानक भारतीय प्रधानमंत्री का कार्यक्रम 21 से 23 सितम्बर तक तीन दिन का कर दिया गया तथा आश्चर्य की बात यह रही कि प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित नहीं करने का निर्णय किया। उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को उनके स्थान पर नियुक्त करने का सुझाव दिया और डॉ. जयशंकर को 28 सितम्बर को यह स्थान दिया गया। हमारे प्रधानमंत्री ने क्वाड बैठक में भाग लिया और भविष्य पर संयुक्त राष्ट्र के सहायक कार्यक्रम को संबोधित किया।
इसका परिणाम यह हुआ कि बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख डॉ. यूनुस ने 24 से 27 सितम्बर तक न्यूयॉर्क में अपने चार दिवसीय प्रवास के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति का पूरा फायदा उठाया और बड़ी संख्या में विश्व नेताओं को बांग्लादेश की स्थिति के बारे में जानकारी दी और इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि कैसे शेख हसीना सरकार को भारतीय समर्थन ने अपदस्थ अवामी लीग की प्रधानमंत्री शेख हसीना की तानाशाही प्रवृत्ति को जन्म दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने 21 सितम्बर को डेलावेयर में क्वाड बैठक के दौरान राष्ट्रपति बाइडन के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक की। डॉ. यूनुस ने अपनी यात्रा के पहले दिन राष्ट्रपति बाइडन के साथ बैठक की। बाइडन ने वे सभी वायदे पूरे किये जो यूनुस चाहते थे। राष्ट्रपति बाइडन ने डॉ. यूनुस को अंतरिम सरकार के आर्थिक सहायता कार्यक्रम के लिए हरसंभव समर्थन का आश्वासन दिया।
डॉ. यूनुस ने अमरीकी नेताओं समेत अन्य देशों के नेताओं के साथ अपनी बैठकों में भारत के खिलाफ  आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने विचार इस तरह से रखे कि भारत की समर्थक तानाशाह हसीना की भूमिका सामने आ गयी। क्ंिलटन फाउंडेशन द्वारा आयोजित जलवायु शिखर सम्मेलन में उनके संबोधन में यह सबसे अधिक स्पष्ट था, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बिल क्ंिलटन के साथ-साथ डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने सबसे पहले तीन मुद्दों का उल्लेख किया कि जब तक हसीना को भारत से वापिस नहीं लाया जाता और बांग्लादेश में उन पर मुकद्दमा नहीं चलाया जाता, तब तक लोगों को शांति नहीं मिलेगी, हसीना ने सभी संस्थानों को नष्ट कर दियाए और हसीना सबसे खराब मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता हैं। डॉ. यूनुस ने मजबूत अर्थव्यवस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ एक नया बांग्लादेश बनाने का वायदा किया। वह भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की अपनी मांग के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के लिए एक आधार तैयार करना चाहते थे। 
गौरतलब है कि डॉ.यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और नेपाल के प्रधानमंत्री से भी बातचीत की। उन्होंने सार्क को पुनर्जीवित करने की संभावना पर चर्चा की, जो अब भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तनाव के कारण निष्क्रिय हो गया है। 
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अमरीका और चीन दोनों से समर्थन मिलता है। डॉ. यूनुस को अपनी कार्ययोजना तैयार करने में अमरीकी अधिकारियों से नियमित सलाह मिल रही है। भारत को अब बांग्लादेश के मामलों में हस्तक्षेप किये बिना सक्रिय होना होगा। भारत को बांग्लादेश में संभावनाओं और खतरों को समझाने के लिए अपना खुद का कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना होगा। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के माध्यम से इस्लामी आतंकवाद को पनपने और सरकारी संरक्षण प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। (संवाद)