आतंकवाद के साथ कट्टरपंथी मानसिकता का खात्मा भी ज़रूरी

इज़रायल द्वारा हिजबुल्ला आतंकियों को निशाना बनाते हुए उनके ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों में हिजबुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह मारा जा चुका है। इज़रायली डिफेंस फोर्स ने कहा कि अब हसन नसरल्लाह दुनिया में आतंक नहीं फैला पाएगा। नसरल्लाह 32 साल से संगठन का प्रमुख था, लेकिन क्या हिजबुल्ला प्रमुख नसरल्लाह के मारे जाने से आतंकवाद का खात्मा हो जाएगा? दरअसल ज़रूरत नसरल्लाह के खात्मे की नहीं, उस कट्टरपंथी मानसिकता को खत्म करने की है, जो नसरल्लाह जैसे कट्टरपंथियों को जन्म देती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस कमांड सेंटर पर इज़रायल ने हमला किया था, वहां नसरल्लाह की बेटी का शव मिला था। इजरायल ने यह हमला तब किया नसरल्लाह और ईरान समर्थित समूह के कई अन्य नेता लेबनान की राजधानी बेरूत में एक बंकर में जमा हुए थे। ये लोग दक्षिण बेरूत के व्यस्त इलाके में ज़मीन से लगभग 60 फीट नीचे इज़रायल पर हमले की योजा बना रहे थे। इस क्षेत्र को तबाह करने के लिए इज़रायल डिफैंस फोर्स ने लगभग 80 टन बमों का इस्तेमाल किया।
बेरूत में हमला इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने के तुरंत बाद हुआ, जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हिजबुल्ला के खिलाफ  इज़रायल का अभियान जारी रहेगा। 27 सितम्बर को इज़रायल के हवाई हमले में मारे गए हिजबुल्ला प्रमुख नसरुल्लाह का शव बरामद कर लिया गया था। सुरक्षा और मेडिलकल टीम ने शव को हमले वाली जगह से ही बरामद किया था। अब इज़रायल की सेना बेलनान के भीतर घुस चुकी है और हिजपुल्ला के ठिकानों को नष्ट कर रही है। लेबनान की आम जनता अपने घर छोड़ कर सीयिया में शरण लेने पहुंच रही है। 
सूत्रों ने कहा कि नसरल्लाह शरीर पर कोई सीधा घाव नहीं था और ऐसा लग रहा है कि मौत का कारण तेज़ धमाके थे।  इज़रायल ने कहा कि हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमले जारी हैं। सेना का कहना है कि हमलों का उद्देश्य हिजबुल्ला के रॉकेट लॉन्चर और हथियार गोदामों को परी तरह तबाह करना है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का स्पष्ट कहना है कि इन हमलों का उद्देश्य आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला को तबाह करना है जो इज़रायल में नागरिकों पर हमला करने की योजना बना रहा है। 31 अगस्त, 1960 को बेरूत के उत्तरी बुर्ज हम्मूद उपनगर में जन्मे नसरल्लाह का जन्म एक गरीब किसान परिवार हुआ था। उसके आठ भाई-बहन थे। नसरल्लाह शिया समुदाय से ताल्लुक रखता था। उसका पिता अब्दुल करीम एक छोटी-सी सब्ज़ी का दुकान चलाता था। 1975 में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ जाने के बाद वह अमल आंदोलन में शामिल हो गया था। हसन नसरल्लाह के परिवार की बात करें तो उसकी पत्नी का नाम फातिमा यासीन है। उसके चार बच्चे थे। उसके सबसे बड़े बेटे की सितम्बर 2017 में मौत हो गई थी। वह हिजबुल्ला का लड़ाका था।
साल 1992 में नसरल्लाह को हिजबुल्ला का महासचिव बनाया गया था। उसने अब्बास-अल-मुसावी की जगह ली थी। मुसावी को भी इज़रायल ने ही मार गिराया था। उसे ज़बरदस्त वक्ता माना जाता था। हसन नसरल्लाह को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता था। एक इंटरव्यू में नसरल्लाह ने कहा था कि वह बंकर में नहीं रहता, लेकिन वह समय-समय पर अपना ठिकाना बदलता रहता है। गौरतलब है कि जो उसका इंटरव्यू लेने जाते थे उन्हें यह तक पता नहीं होता कि वह वहां पर कहां पर मौजूद हैं।
दशकों से नसरल्लाह अपने भाषणों को खुफिया स्थान पर जाकर प्रसारित करता था। वह न सिर्फ  लेबनान, बल्कि पश्चिम एशिया के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। बताया है कि लेबनान के बेरूत में हवाई हमले में नसरल्लाह के मारे जाने से कुछ घंटे पहले एक ईरानी जासूस ने इज़रायली अधिकारियों को उनके ठिकाने के बारे में जानकारी दी थी।
उधर हमास के आतंकी भी नसरल्लाह की मौत का बदला लेने की बात कह रहे हैं, लेकिन इतना तय है कि इज़राइल की पीठ पर अमरीका का हाथ है और अमरीका इज़राइल के कंधे पर बंदूक रख कर हिजबुल्ला का सफाया कर रहा है। 
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