पेजर हमला : तकनीक आधारित नया चैप्टर

युद्ध हमेशा घातक होते हैं। विनाशकारी और विध्वंस से भरपूर, लेकिन अब तकनीक आधारित युद्ध ने साइबर अटैक में जो नया अध्याय जोड़ दिया है वह सभी सीमाओं के पार खड़ा मालूम होने लगा है। हाल ही की घटना ने पहले के तमाम कयास को रद्द कर दिया है। यह 1972 का मामला है जब इज़रायल ने अपने पहले फोन-हत्याकांड को व्यवहारिक रूप में बदल दिया था। महमूद हमशारी नामक एक शीर्ष पी.एल.ओ. कमांडर जोकि पेरिस में रहता था, मोसाद एजेंट गुप्त रूप में उसके अपार्टमैंट में घुसने में सफल हो गए थे और फिर उसके लैंडलाइन फोन के निचले माइक्रोफोन में विस्फोटक लगा दिया था। कुछ ही घंटे के बाद, जब हमशारी आया तो उसे एक काल किया गया और रिमोट-ट्रिगर से विस्फोट को अंजाम दे दिया गया। तब से लेकर अब तक मोसाद कई बार इस ढंग को इस्तेमाल कर चुका है।
हाल ही में हुआ हिजबुल्लाह पर टारगेटड-स्ट्राइक हमला आज के दौर का शायद सबसे महत्त्वपूर्ण खुफिया अभियान होगा। शुरू-शुरू में लगा कि साइबर युद्ध की सरहदों को लांघ कर मजैटख को हैक कर इस हमले को अंजाम दिया गया है। फोन, पावर बैंक, पेजर आदि को विस्फोटक सामग्री के रूप में डिजाइन नहीं किया जाता लेकिन जब परतें खुलीं तो मामला पूरी तरह से अलग ही था। जाने क्यों लगता है कि इज़रायल के दुश्मन ने गलतियों से सबक लेना छोड़ दिया है। अब बड़ी समस्या जो सामने दिखाई दे रही है कि आधुनिक दुनिया में (जिसमें तकनीक आधारित परिवर्तनशील कारनामें रोज चौंका रहे हैं) संचार उपकरणों के बिना आप कैसे रह सकते हैं? कैसे जी सकते हैं? 
इज़रायल जैसी हाईटैक शक्ति का सामना करने के लिए किसी को उतना ही सक्षम, तेज-तर्रार और तकनीकी रूप से आधुनिकतम तौर-तरीकों से लैस होना चाहिए। इसमें यह परेशानी भी है कि कोई जितनी भी परिष्कृत तकनीक का इस्तेमाल करेगा, इज़रायल जैसे देश द्वारा उसे हैक करने की सम्भावना में उतना ही अधिक इज़ाफा होगा। क्या नई तकनीक को पुरानी तकनीक द्वारा रद्द किया जा सकता है? हिजबुल्लाह वालों ने क्या पेजर का इस्तेमाल इसी तर्क के अधीन किया था? बताया गया कि हिजबुल्लाह वाले बेशक कोई भी आधुनिक फोन खरीदते, इज़रायल उन्हें ज़रूर पकड़ लेता इसलिए उन्होंने पेजर की तकनीक का इस्तेमाल किया जोकि 1949-50 के दिनों की तकनीक थी। इसके पीछे सोच यह रही होगी कि पेजर कई स्रोतों से सिग्नल प्राप्त कर सकता है। 
कुछ मामलों में 50-60 किलोमीटर की दूरी से भी। इसके अलावा हिजबुल्लाह की रणनीति मानी जा रही है कि एक बार पेजर किये जाने के बाद वे बस आस-पास के किसी नागरिक के मोबाइल का उपयोग करने का अनुरोध करेंगे। इज़रायल को सभी सैलफोन कम्युनिकेशन पर नज़र रखनी होगी। नि:संदेह यह एक उपयोगी आइडिया था, लेकिन हिजबुल्लाह बदकिस्मत रहे कि इज़रायल का अनेक इलैक्ट्रानिक निर्माण के साथ किसी न किसी का रिलेशन है। उसे ऐसे ही आधुनिक दुनिया की महाशक्तियों में एक नहीं माना जाता है।