महा-दान है अंगदान 

विश्व अंगदान दिवस प्रतिवर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठनों, सार्वजनिक संस्थानों व दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है ताकि अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और लोगों को अंगदान से जुड़ी गलतफहमियों से अवगत कराया जा सके। इस दिवस का एकमात्र उद्देश्य मुख्य रूप से लोगों को मृत्यु के बाद अंगदान के महत्व के बारे में प्रोत्साहित करना और शिक्षित करना है ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके, जरूरतमंदों की जीवन मुस्कान लौटायी जा सके। गुर्दे, हृदय, अग्न्याशय, आंखें व फेफड़ों जैसे अंग दान से पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों की जान बचाई जा सकती है। इंसान की सम्पत्ति का कोई मतलब नहीं अगर उसे बांटा और उपयोग में नहीं लाया जाए, चाहे वे शरीर के अंग ही क्यों न हो। इस दृष्टि से अंगदान एक महान् दान है, जो हमें स्वर्ग-पथ की ओर अग्रसर करता है। ऐसा दानदाता समाज, सृष्टि एवं परमेश्वर के प्रति अपना कर्त्तव्य पालन करता है। 
अंग दानदाता कोई भी हो सकता है, जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है, उसकी जिन्दगी में बहार आ जाती है। वर्ष 2024 की इस दिवस की थीम है ‘आज किसी की मुस्कान का कारण बनें!’
‘अंगदान दिवस’ पूरे विश्व एवं भारत में मनाये जाने वाले महत्त्वपूर्ण दिवसों में से एक है। कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है। भारत ऋषियों का देश है, जिन्होंने एक कबूतर के प्राणों व असुरों से जन सामान्य की रक्षा के लिये अपना देहदान कर दिया था। परंतु समय के साथ भारत में अंगदान की प्रवृत्ति में गिरावट देखी गई। निश्चित तौर पर अंगदान करके किसी अन्य व्यक्ति की जिंदगी में नई उम्मीदों का सवेरा लाया जा सकता है। 
इस तरह अंगदान करने से एक प्रेरणादायी शक्ति पैदा होती है, जो अद्भुत होती है, यह ईश्वर के प्रति सच्ची प्रार्थना है। इस तरह की उदारता व्यक्ति की महानता का द्योतक है, जो न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी प्रसन्नता, जीवन ऊर्जा प्रदान करती है। अंगदान ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी जीवित या मृत, दोनों तरह के व्यक्तियों से स्वस्थ अंगों व ऊतकों को लेकर किसी अन्य ज़रूरतमंद व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। 
2021 में वैश्विक स्तर पर 1,44,302 अंग प्रत्यारोपण हुए, जिनमें से 26.44 प्रतिशत (38,156) मृतक अंग दान के हैं। भारत ने कुल 12,259 प्रत्यारोपण किए, जो वैश्विक प्रत्यारोपण में 8 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें प्रमुख प्रत्यारोपण गुर्दे (74.27 प्रतिशत), उसके बाद लीवर (23.22 प्रतिशत), हृदय (1.23 प्रतिशत), फेफडे (1.08 प्रतिशत), अग्न्याशय (0.15 प्रतिशत) व छोटी आंत (0.03 प्रतिशत) के हैं। एक शोध रिपोर्ट के अनुसार 2021 की तुलना में, भारत में क्रमश: किडनी (759), लिवर (279) और हृदय (99) में 1137 अधिक मृत अंग प्रत्यारोपण की सूचना मिली है।

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