देश में सुधारों के नाम रहा साल 2025

आज भारत पर समूचे विश्व की नज़र रहती है। इसका कारण, हमारे लोगों में कुछ नया करने का जोश है। आज दुनिया भारत को आशा और विश्वास के साथ देखती है। वे इस बात की सराहना करते हैं कि नई पीढ़ी के सुधारों के माध्यम से विकास की गति को तेज किया गया है। ये सुधार कई क्षेत्रों से जुड़े हैं और देश की विकास क्षमता को और मजबूत बनाते हैं।
मैं कई लोगों से कहता रहा हूं कि भारत सुधार एक्सप्रेस में सवार हो चुका है। इस सुधार एक्सप्रेस का मुख्य इंजन भारत की जनसंख्या संरचना, हमारी युवा पीढ़ी और हमारे लोगों का अदम्य साहस है। 2025 को भारत के लिए एक ऐसे वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, जब देश ने पिछले 11 वर्षों में किए गए कार्यों के आधार पर सुधारों को एक निरंतर राष्ट्रीय मिशन के रूप में आगे बढ़ाया। हमने संस्थानों को आधुनिक बनाया, शासन को सरल किया और लंबे समय तक सभी को साथ लेकर चलने वाली विकास की मजबूत नींव रखी। हमने दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए, बड़े लक्ष्य निर्धारित किए, काम को तेजी से पूरा किया और गहराई से बदलाव किए। ये सुधार नागरिकों को सम्मान के साथ जीवन जीने, उद्यमियों को भरोसे के साथ नवाचार करने और संस्थानों को स्पष्टता व विश्वास के साथ काम करने में सक्षम बनाने के लिए किए गए हैं। मैं किए गए कुछ सुधारों के उदाहरण प्रस्तुत करता हूं।
जीएसटी सुधार : 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो सरल टैक्स दरें लागू की गई हैं। इससे घरों, एमएसएमई, किसानों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर बोझ कम हुआ है। इसका उद्देश्य विवादों को कम करना और नियमों का बेहतर पालन सुनिश्चित करना है। इस सुधार से उपभोक्ताओं का भरोसा और मांग बढ़ी है। त्योहारों के मौसम में बिक्री में वृद्धि हुई है।
मध्य वर्ग को अभूतपूर्व राहत : पहली बार सालाना 12 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना पड़ा। 1961 के पुराने आयकर कानून की जगह अब सरल और आधुनिक आयकर अधिनियम, 2025 लागू किया गया है। ये दोनों सुधार मिलकर भारत को पारदर्शी और तकनीक-आधारित कर व्यवस्था की ओर ले जाते हैं।
छोटे और मध्यम व्यवसायों को बढ़ावा : ‘छोटी कंपनियों’ की परिभाषा का दायरा बढ़ाया गया है, जिसमें अब 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियां शामिल हैं। इससे हजारों कंपनियों पर नियमों के पालन का बोझ और उससे जुड़ी लागत कम होगी।
100 प्रतिशत एफडीआई-बीमा सुधार : भारतीय बीमा कंपनियों में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। इससे बीमा का दायरा बढ़ेगा और लोगों की आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी। बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के साथ लोगों को बेहतर बीमा विकल्प और बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
प्रतिभूति बाज़ार सुधार : संसद में प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक पेश किया गया है। इससे सेबी में शासन के नियम मजबूत होंगे, निवेशकों की सुरक्षा बढ़ेगी, नियमों के पालन का बोझ कम होगा और विकसित भारत के लिए तकनीक-आधारित प्रतिभूति बाजार को बढ़ावा मिलेगा। इन सुधारों से कम नियमों और अन्य खर्चों के कारण बचत सुनिश्चित होगी।
व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा : सिंथेटिक फाइबर, धागे, प्लास्टिक, पॉलिमर और बेस मेटल से जुड़े 22 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यू.सी.ओ.) पूरी तरह हटा दिए गए हैं, इसके अलावा स्टील, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, मिश्रधातु और उपभोक्ता उत्पादों से जुड़ी 53 गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों को अस्थायी रूप से रोका गया है। 
ऐतिहासिक श्रम सुधार : श्रम कानूनों को नया रूप दिया गया है और 29 अलग-अलग कानूनों को मिलाकर चार आधुनिक श्रम संहिताएं बनाई गई हैं। भारत ने ऐसा श्रम ढांचा तैयार किया है, जो कामगारों के हितों की रक्षा करता है और साथ ही व्यापार के माहौल को भी मजबूत बनाता है। ये सुधार उचित मजदूरी, समय पर वेतन भुगतान, बेहतर औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षित कार्यस्थलों पर केंद्रित हैं। इनसे कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है।
भारतीय उत्पादों के लिए विविध और विस्तृत बाज़ार : न्यूज़ीलैंड, ओमान और ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते किए गए हैं। इससे निवेश बढ़ेगा, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय उद्यमियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। ये समझौते भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी भागीदार के रूप में स्थिति को मजबूत करते हैं।
परमाणु ऊर्जा सुधार : शांति अधिनियम भारत की स्वच्छ ऊर्जा और प्रौद्योगिकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सुरक्षित, संरक्षित और जिम्मेदार विस्तार के लिए मजबूत ढांचा सुनिश्चित करता है। यह भारत को एआई युग की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है।
ग्रामीण रोज़गार गारंटी में महत्वपूर्ण सुधार : विकसित भारत-ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2025 के तहत रोज़गार गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन किया गया है। इससे गांवों में बुनियादी ढांचा और आजीविका को मजबूत करने पर खर्च बढ़ेगा। उद्देश्य ग्रामीण काम को उच्च आय और बेहतर संपत्तियां सुनिश्चित करने का माध्यम बनाना है।
शिक्षा सुधार : संसद में विधेयक पेश किया गया है। एक एकीकृत उच्च शिक्षा नियामक स्थापित किया जाएगा। यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई जैसी अलग-अलग संस्थाओं की जगह विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान स्थापित किया जाएगा। संस्थानों की स्वतंत्रता बढ़ाई जाएगी और नवाचार और शोध को प्रोत्साहन मिलेगा। 
2025 के इन सुधारों की महत्ता केवल उनके आकार में नहीं बल्कि उनकी मूल भावना में भी है। हमारी सरकार ने आधुनिक लोकतंत्र की भावना में नियंत्रण के बजाय सहयोग और नियमों के बजाये सुविधा को प्राथमिकता दी है। ये सुधार छोटे व्यवसायों, युवा पेशेवरों, किसानों, कामगारों और मध्यम वर्ग की वास्तविकताओं को समझते हुए सहानुभूति के साथ बनाए गए हैं। इनका निर्माण परामर्श, डेटा और भारत के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित है। ये सुधार हमारे दशक भर के प्रयासों को गति देते हैं, जिससे हम नियंत्रण आधारित अर्थव्यवस्था से उस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ें।

#देश में सुधारों के नाम रहा साल 2025