हरियाणा चुनाव : भाजपा में क्यों लगी आंसुओं व इस्तीफों की झड़ी ?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट न मिलने पर शशि रंजन परमार वास्तव में अपनी भावनाओं को नियंत्रित न कर सके और पत्रकारों व अपने समर्थकों के सामने ही फूट-फूटकर रोने लगे। उनके दर्द को समझा जा सकता है। वह हरियाणा के ज़िला भिवानी में भाजपा के वरिष्ठ, कर्मठ व समर्पित नेता हैं। दशकों से अपनी पार्टी की नि:स्वार्थ सेवा में लगे हुए थे। इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा उन्हें तोशम से अपना प्रत्याशी बनायेगी, लेकिन जब भाजपा ने 67 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की तो उसमें उनका नाम नहीं था। उनकी जगह महेंद्रगढ़ की पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को तोशम से भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। परमार का दु:ख मुख्यत: तीन कारणों से है। 
एक, भाजपा अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं की जगह उन पैराशूट नेताओं को वरीयता दे रही है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं। परमार लम्बे समय से भाजपा में है जबकि श्रुति चौधरी जून 2024 में ही कांग्रेस से भाजपा में आयी हैं। इसी वजह से भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता जसबीर देशवाल भी अपनी पार्टी से नाराज़ हैं, क्योंकि उन्हें अनदेखा करके जेजेपी के पूर्व विधायक राम कुमार गौतम, जो कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं, को सफीदोन से टिकट दे दिया गया है।  देसवाल ने कहा है कि वह स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। परमार के दु:ख का दूसरा कारण यह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मंचों से परिवारवाद का जमकर विरोध करता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर परिवारवाद को ही प्रोत्साहित कर रहा है। श्रुति चौधरी किरण चौधरी की बेटी हैं। किरण चौधरी भी हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आयी हैं और उन्हें राज्यसभा का सदस्य बना दिया गया है। परमार के दु:ख का तीसरा मुख्य कारण यह है कि भाजपा की केंद्र सरकार ने 70 के दशक की इमरजेंसी का विरोध करते हुए 25 जून (1975 में जब इमरजेंसी लगायी गई थी) को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है, लेकिन जिन व्यक्तियों पर इमरजेंसी में सबसे अधिक अत्यचार करने के आरोप हैं, उन्हीं के परिवार को राजनीतिक महत्व दिया जा रहा है।  श्रुति चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती हैं। 
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी का कहना है कि किसी एक व्यक्ति को ही एक सीट से टिकट दिया जा सकता है जबकि टिकट के इच्छुक बड़ी संख्या में होते हैं, इसलिए कार्यकर्ता व नेता नाराज़ भी हो जाते हैं। सैनी की बात सही है और चुनाव के अवसर पर ऐसा सभी पार्टियों में देखने को मिलता है, लेकिन जिस बड़े पैमाने पर हरियाणा भाजपा में विद्रोह देखने को मिल रहा है, वह अप्रत्याशित है और उसका एकमात्र कारण टिकट न मिलना नहीं है। मसलन, अपनी ऑनलाइन पोस्ट में पूर्व मंत्री कविता जैन के पति व वरिष्ठ भाजपा नेता राजीव जैन ने पार्टी पर वैश्य समुदाय को अनदेखा करने का आरोप लगाया है। हरियाणा में किसान पहले से ही भाजपा से नाराज़ हैं, अब भाजपा के राज्य किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह ने अपने पद व पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए पार्टी पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है। जहां कांग्रेस ओलम्पिक पहलवानों बजरंग पूनिया व विनेश फोगाट को अपना प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही है ताकि दिल्ली में महिला पहलवानों ने जो तथाकथित यौन उत्पीड़न के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन किया था और उन पर जो पुलिस अत्यचार हुआ था, उसका चुनावी लाभ उठा सके, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त को ही नाराज़ कर दिया है। 
दरअसल, हरियाणा भाजपा में विद्रोह करने करने वालों की बहुत लम्बी सूची है, जिनमें मंत्री से लेकर साधारण कार्यकर्ता तक शामिल हैं। इसलिए भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची आते ही आंसुओं, इस्तीफों व धमकियों की बाढ़ आ गई है। ऊर्जा मंत्री रंजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया है। मंत्री विशंभर वाल्मीकि ने धमकी दी है कि अगर बवानी खेड़ा से प्रत्याशी न बदला गया तो वह अपने समर्थकों के साथ भाजपा का बायकाट करेंगे। भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल ने हिसार से स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर लड़ने का संकेत दिया है। रातिया से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। विद्रोही नेताओं की सूची इतनी लम्बी है कि सबके नाम तक देना संभव नहीं है। नेताओं के साथ ही पार्टी पदाधिकारियों व ज़िला स्तर के नेताओं ने भी भाजपा छोड़ने की घोषणा की है। 
ज़मीनी स्तर के नेता व कार्यकर्ता बहुत जल्दी भांप लेते हैं कि हवा किस तरफ बह रही है। हरियाणा में फिलहाल हवा भाजपा के पक्ष में नहीं है। खेती किसानी, अग्निवीर, युवाओं में निरन्तर बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, लचर कानून व्यवस्था, दिल्ली के जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, साक्षी मलिक आदि महिला पहलवानों के खिलाफ हुए अन्याय आदि ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे भाजपा के विरुद्ध हरियाणा में ज़बरदस्त गुस्सा है। बहुत-सी जगहों पर तो स्थिति यह है कि भाजपा प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं को गांवों व कस्बों में प्रवेश तक नहीं करने दिया जा रहा है। अधिकतर खाप पंचायतों ने कांग्रेस का खुलकर समर्थन करने की घोषणा की है।

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