विदेश में परेशान होती जवानी 

विगत लगभग दो दशक से व्यापक स्तर पर पंजाबी युवा शिक्षा प्राप्त करने तथा फिर वहीं स्थायी तौर पर रहने के लिए विदेश जा रहे हैं। पंजाबी युवा अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड तथा जर्मनी आदि देशों को जाने को प्राथमिकता देते रहे हैं, परन्तु ऐसे विद्यार्थियों की अधिक प्राथमिकता कनाडा को ही रही है। शुरू-शुरू में जाने वाले विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा पूरी करने के बाद वर्क परमिट तथा पी.आर. आसानी से मिल जाती थी तथा कुछ ही वर्षों में वे वहां अच्छी तरह रहने लग जाते थे। उन्हें देख कर पंजाब में अन्य विद्यार्थियों का रुझान भी तेज़ी से विदेश की ओर होता गया, जिस कारण पंजाब में कालेज तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बहुत कमी भी आई। 
परन्तु अब विदेशों से भी इस पक्ष से चिन्ताजनक समाचार आने लगे हैं कि कनाडा तथा आस्ट्रेलिया आदि देश विदेशी विद्यार्थियों, जो शिक्षा प्राप्त करने के बहाने वहां स्थायी तौर पर रहने  के लिए आ रहे हैं, की संख्या कम करने की ओर चल पड़े हैं। इस संदर्भ में कनाडा द्वारा अधिक सख्त कदम उठाए जाने लगे हैं। इसका बड़ा कारण यह बना है कि विदेशों से व्यापक स्तर पर युवाओं के कनाडा आने से वहां रहने के लिए मकानों की कमी पैदा हो गई है और इसके साथ भी विद्यार्थियों को पार्ट टाइम काम मिलना भी कठिन हो गया है। स्थिति इतनी अधिक चिन्ताजनक हो चुकी है कि विगत दिवस कनाडा के शहर ब्रैम्पटन के एक होटल में वेटरों की 60 पोस्टों के लिए साक्षात्कार देने हेतु लगभग 3000 विदेशी विद्यार्थी पहुंच गए, जिनमें अधिकतर पंजाबी ही थे। इस प्रकार की बहुत-सी वीडियो वायरल हो रही हैं जिनसे यह पता चलता है कि कनाडा में पंजाबी विद्यार्थियों को रहने तथा रोज़गार प्राप्त करने के पक्ष से बहुत बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और वे आर्थिक रूप में भी बड़ी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। कुछ वीडियो इस प्रकार की भी सामने आई हैं कि विद्यार्थी शहरों से सटे क्षेत्रों के जंगलों में नीली छत के नीचे ही सामान रख कर अपने दिन व्यतीत कर रहे हैं। बाहर जाकर विद्यार्थियों को जिस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उस कारण वे मानसिक रूप में बहुत परेशानी में से गुज़र रहे हैं। कुछ ऐसे युवा अपराधों की ओर रुचित हो रहे हैं। पीछे माता-पिता जिन्होंने व्यापक स्तर पर ऋण लेकर अपने युवा बच्चों को विदेश भेजा है, वे दोहरी चिन्ता में फंस जाते हैं। एक ओर उन्हें ऋण वापिस न करने का गम सताता है और दूसरी ओर बच्चों द्वारा भी कोई अच्छा समाचार न आने के कारण वे बेहद परेशान हो जाते हैं। नि:संदेह पंजाब में बेरोज़गारी के कारण ही युवा विद्यार्थी विदेश को जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यदि ज़्यादा पीछे न जाते हुए 2024 की बात ही करें तो इस वर्ष के पहले तीन माह में पंजाब के 15 से 29 वर्ष की आयु के शहरी क्षेत्रों के 17.4 प्रतिशत युवा बेरोज़गार थे जबकि इसी समय के दौरान गत वर्ष बेरोज़गार युवकों की संख्या 15.3 प्रतिशत थी। यदि शिक्षा के पक्ष से देखा जाए तो 12वीं से उच्च शिक्षा वाले बेरोज़गार युवकों की संख्या 10.4 प्रतिशत थी। ग्रामीण क्षेत्र के युवकों की स्थिति रोज़गार के पक्ष से और भी बुरी है। पंजाब में 26 प्रतिशत महिलाएं भी इस समय के दौरान बेरोज़गार थीं। बेरोज़गार महिलाओं की संख्या पुरुषों से 15 प्रतिशत अधिक पाई गईर् है। इसी कारण ही युवा यहां अपना भविष्य अंधकार में देख कर विदेश को जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जिस प्रकार कि हमने ऊपर कहा है कि विदेश जाने का बड़ा कारण बेरोज़गारी है, परन्तु इसके साथ-साथ राज्य का घटिया प्रशासन तथा विशेष कर अमन-कानून की गम्भीर स्थिति तथा यहां चल रहा नशा एवं गैंगवार की घटनाएं भी युवाओं के पलायन के लिए ज़िम्मेदार हैं। 
मौजूदा स्थितियां यह मांग करती हैं कि पंजाब में कृषि आधारित तथा अन्य उद्योग लगा कर नई पीढ़ी के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ाने हेतु ठोस कदम उठाए जाएं। इसके अतिरिक्त सरकारी स्कूलों, कालेजों तथा विश्वविद्यालयों की प्रत्येक पक्ष से स्थिति सुधारी जाए ताकि युवाओं को यहीं स्तरीय शिक्षा मिल सके। इसके साथ ही राज्य की अमन-कानून की स्थिति सुधारने की भी बेहद ज़रूरत है ताकि यहां प्रत्येक नागरिक अपने-आप को सुरक्षित महसूस कर सके। यदि समय की सरकार पंजाब को प्रत्येक पक्ष से विकास की ओर ले जाने के लिए समुचित नीतियां अपना कर दृढ़ता से काम नहीं करती तो पंजाब में से न तो पलायन रुकेगा और न ही यह राज्य विकास के क्षेत्र में पड़ोसी राज्यों से बराबरी करता हुआ आगे बढ़ सकेगा। 
जिस प्रकार विदेश में भी पंजाबी युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर सिकुड़ रहे हैं और वहां उन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उसके दृष्टिगत युवाओं के माता-पिता का भी यह फज़र् बनता है कि प्रत्येक पक्ष से सोच-समझ कर ही अपने बच्चों को विदेश भेजने का फैसला करें, एजेंटों द्वारा दिखाए सब्ज़बाग के दृष्टिगत अपने युवा बच्चों को संकट में धकेलने से उन्हें गुरेज करना चाहिए। इसमें ही उनका तथा उनके बच्चों का भला होगा।