सतर्क और बुद्धिमान होती है ब्लेनी मछली
ब्लेनी उथले पानी में पायी जाने वाली एक ऐसी अद्भुत समुद्री मछली है, सागर में जो बहुत बड़ी तादाद में पायी जाती है। 20 परिवारों की मछलियों में उनकी अनगिनत जातियां और उपजातियां होती हैं। यह मछली सागर तट के निकट के पत्थरों, समुद्री पौधों और चट्टानी जलकुंडों में रहती है। यह पत्थरों के नीचे थोड़ी सी जमीन खोदकर अपना आवास बना लेती है। यही वजह है कि यह एक्वेरियम के लिए बड़ी सहजता से उपलब्ध हो जाती है।
हर ब्लेनी मछली का अपना एक सीमाक्षेत्र होता है। दूसरी मछली के उसके सीमाक्षेत्र से आ जाने से दोनों के बीच शक्ति प्रदर्शन होता है। विजेता ब्लेनी का उस क्षेत्र पर अधिकार हो जाता है और पराजित ब्लेनी वहां से भाग जाते हैं। इस नियम का पालन वयस्क और प्रॉड ब्लेनी भी करती है। जीव वैज्ञानिकों के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ब्लेनी मछली को ज्वार भाटी की काफी जानकारी होती है। इसका उसके व्यवहार पर असर पड़ता है। ब्लेनी की कई ऐसी जातियां भी हैं, जो लंबे समय तक पानी के बाहर भी जीवित रह सकती हैं। ब्लेनी का शरीर लंबा, सिर बड़ा होता है। शरीर पीछे की ओर पतला होता जाता है, दूम के पास यह काफी पतली होती है। इसके पीठ के मीन पंख सिर से पीछे होते हुए पूंछ तक होते हैं। आंखें बड़ी और उभरी हुई होती है तथा उन पर एक पर्दा रहता है। यह एक ही समय में दो दिशाओं में देख सकती है जिससे यह शत्रु से अपना बचाव आसानी से कर लेती है।
ब्लेनी की अलग-अलग जातियों की लंबाई, आकार और शारीरिक संरचना में भिन्नता होती है। इनकी लंबाई 5 सेंटीमीटर से लेकर 30 सेंटीमीटर तक होती है। इंग्लैंड से लेकर दक्षिणी भूमध्य सागर तक, टॉम पॉट, उत्तरी अमरीका के प्रशांत महासागर के तटों पर 60 सेंटीमीटर तक लंबी ब्लेनी पायी जाती है, जिसमें रंग बदलने की अद्भुत क्षमता होती है। सामान्यत: ब्लेनी की सभी जातियों के जबड़ों के सभी दांत सामान आकार के होते हैं। लेकिन उत्तरी अटलांटिक में पायी जाने वाली भेड़िया ब्लेनी के आगे के दांत लंबे और नुकीले होते हैं तथा पीछे दांत चपटे और चबाने योग्य होते हैं। इसे कैट फिश भी कह दिया जाता है। हालांकि कैट फिश एक बिल्कुल अलग तरह की मछली है।
ब्लेनी की जो प्रजातियां पानी के बाहर लंबे समय तक जीवित रह लेती हैं, उनकी थायराइड ग्रंथी असामान्य आकार की होती हैं। ब्लेनी एक मांसाहारी मछली है जिसका प्रमुख भोजन छोटे-छोटे कृमि, फ्रस्टेशियन तथा उथले पानी की सतह पर तैरने वाले कीड़े मकौड़े होते हैं। ब्लेनी अपना अधिकांश समय उथले पानी में पत्थरों के नीचे बिताती है। भोजन के लिए यह वहां से बाहर निकलकर भोजन के बाद अपने सुरक्षित स्थान में वापस लौट जाती है।
ब्लेनी की कुछ जातियों की मादाएं बच्चों को जन्म देती हैं, लेकिन अधिकांश मादाएं अंडे देती हैं। यह अपने अंडे मालस्क के खाली आवरण, चट्टानों की दरारों अथवा उथली तलहटी में पड़ी खाली बोतलों में देती हैं। इसके अंडे नाशपाती के आकार के होते हैं, जिनकी रक्षा नर ब्लेनी करता है, जो हर समय पूंछ हिलाता रहता है, जिससे पानी में परवाह बना रहे और अंडों को लगातार ऑक्सीजन मिलती रहे।
अलग-अलग प्रजाति की ब्लेनी मछलियों में अलग-अलग प्रकार का रोचक और डिस्मेकारी प्रजनन पाया जाता है। यह मछली लम्बे समय तक जीवित नहीं रहती। सामान्य ब्लेनी की अधिकतम आयु 4 वर्ष तक होती है। इसकी अधिकांश जातियों की आयु सीमा 4 से 5 साल भी होती है। ब्लेनी एक ऐसी मछली है जिसे सरलता से पालतू बनाया जा सकता है। इसकी कुछ प्रजातियां तो ऐसी है जिन्हें एक्वेरियम में रखकर इन्हें प्रशिक्षण देकर बहुत कुछ सिखाया भी जाता है। अमरीकी जीव वैज्ञानिकों ने तो इन्हें पालतू बनाकर कई बार पानी के भीतर दोनों हाथों में पानी भरकर इन्हें अंजुरी में आने तक का भी प्रशिक्षण दिया है। अंजुरी में आने के लिए भी इनमें आपसी प्रतिस्पर्धा देखी गई। यह काफी बुद्धिमान मछली है। जिन्हें प्रशिक्षित करके अमरीकी जीव वैज्ञानिकों ने इनके विषय में नई-नई जानकारियां साझा की थी। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर