सर्दियों में उपवास करने वाली ट्राउट मछली

ट्राउट एक शानदार मछली है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह जिस स्थान पर जन्म लेती है, वयस्क होने पर एक लंबी यात्रा करके उसी स्थान पर पहुंचती है और उसी स्थान पर अंडे देती है। ट्राउट ताजे पानी की छोटी नदियों, बड़ी नदियों और तालाबों के साथ ही सागरों और महासागरों में भी पायी जाती है, किन्तु छोटी नदियों की ट्राउट बड़ी नदियों में नहीं जाती तथा इसी प्रकार प्राय: बड़ी नदियों और झीलों की ट्राउट सागर में नहीं जाती और सागर की ट्राउट नदियों में नहीं आती।
यूरोप में तीन प्रकार की ट्राउट पायी जाती हैं-कत्थई ट्राउट, झील की ट्राउट और समुद्री ट्राउट। कत्थई ट्राउट यूरोप के साथ ही अफ्रीका के उत्तरी भागों में भी पायी जाती है। कत्थई ट्राउट छोटी-छोटी नदियों और तालाबों में मिलती है। यह एक छोटी ट्राउट है एवं इसका वजन 1.7 किलोग्राम से अधिक नहीं होता है। कत्थई ट्राउट छोटे अथवा बड़े किसी भी प्रकार के प्रवास नहीं करती। झील की ट्राउट बड़ी होती है तथा इसके शरीर के रंग हल्के होते हैं। यह बड़ी नदियों और झीलों में रहती है। झील की ट्राउट कभी-कभी प्रवास करती है। कत्थई ट्राउट और झील की ट्राउट के शरीर का रंग हरापन लिये हुए कत्थई होता है तथा मांसल भागों पर रंग हल्का होता है। इसके पेट और शरीर के नीचे का भाग पीलापन लिये हुए होता है तथा इन पर लाल और काले रंग के बहुत से धब्बे होते हैं। इन दोनों ट्राउट मछलियों के काले धब्बों के चारों ओर फीके रंग के छल्ले होते हैं। समुद्री ट्राउट सबसे बड़ी होती है। इसके शरीर की लंबाई लगभग 1.35 मीटर तथा वजन 14 किलोग्राम तक होता है। समुद्री ट्राउट लंबे-लंबे प्रवास करती है। ये तीनों ट्राउट मछलियां एक ही जाति की हैं।
ट्राउट पर तापक्रम का भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसका भोजन पूरी तरह तापक्रम पर ही निर्भर करता है। ट्राउट सर्दियों में उपवास करती है। यह पतझड़ से ही भोजन करना बंद कर देती है। ट्राउट का भोजन आयु के अनुसार बदलता रहता है। नवजात ट्राउट पानी के कीड़े मकोड़ों के लारवे खाती है। ये बड़े कीड़े-मकोड़े बहुत कम खाती है। इसके बाद कुछ बड़ी हो जाने पर पंख वाले कीड़े-मकोड़े, पानी के पिस्सू तथा ताजे पानी के झींगा-झींगी आदि खाने लगती है। वयस्क हो जाने पर यह मुख्य रूप से मछलियों का शिकार करती है। ट्राउट का प्रजननकाल अक्तूबर से आरंभ होता है और फरवरी तक चलता है। इसके प्रजननकाल पर पानी के तापक्रम और मौसम का सीधा प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि अलग-अलग स्थानों पर इसका प्रजननकाल अलग-अलग होता है। प्रजनन काल में झील की ट्राउट लंबी यात्रा करके, झील में गिरने वाली नदियों में आ जाती है। सामान्यतया झीलों और नदियों की ट्राउट बहते हुए पानी में अंडे देती है, जिससे इसके अंडों को ताजी ऑक्सीजन मिलती रहे।
प्रजननकाल में नर-मादा दोनों एक-दूसरे से मिलते हैं और उथले पानी में एक सुरक्षित स्थान का चयन करते हैं। मादा अपनी पूंछ से पानी के तल में एक गढ़ा तैयार करती है। इसी गढ़े में मादा ट्राउट अंडे देती है और नर उन पर शुक्राणु डालकर उन्हें निषेचित करता है। अंडे देने के बाद नर-मादा दोनों मिलकर गढ़े को कंकड़ों-पत्थरों से ढंक देते हैं और चले जाते हैं। ट्राउट मछली के अंडे लगभग 40 दिन में परिपक्व होकर फूटते हैं तथा इनसे लगभग 1.25 सेंटीमीटर लंबे बच्चे निकलते हैं। इसके प्रत्येक बच्चे के साथ योल्क की एक थैली होती है। इसी के योल्क के सहारे ये 4 से लेकर 6 सप्ताह तक जीवित रहते हैं। इसके बाद पानी के छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़ों के लारवे खाना आरंभ कर देते हैं। ट्राउट के बच्चों का विकास बड़ी असमान गति से होता है। छोटी नदियों में रहने वाली ट्राउट के बच्चों का विकास समुद्री ट्राउट के बच्चों से धीमा होता है अर्थात छोटी नदियों के ट्राउट के बच्चे सबसे धीमी गति से बढ़ते हैं और समुद्री ट्राउट के बच्चे सबसे तीव्र गति से बढ़ते हैं। 
ट्राउट मछलियों के बच्चों के बहुत अधिक शत्रु हैं। इन्हें ईल मछली, पानी की छछूंदर, सामान्य चूहा, ऊदबिलाव तथा बगुले बहुत बड़ी संख्या में अपना आहार बनाते हैं। बड़ी ट्राउट छोटी ट्राउट को खाती है तथा वयस्क ट्राउट बच्चों को खाती है। इस प्रकार जन्म लेने के बाद केवल पहले तीन-चार महीनों में ही ट्राउट के 94 प्रतिशत बच्चे समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद जो 6 प्रतिशत बच्चे शेष बचते हैं, उनमें भी 20 प्रतिशत बच्चे मर जाते हैं, अत: इसके बहुत कम बच्चे ही अपनी पूरी आयु तक जीवित रहते हैं। ट्राउट के शत्रु झीलों की अपेक्षा नदियों में अधिक हैं। सर्दियों के मौसम में झीलों और नदियों का पानी जम जाने से भी पानी में ऑक्सीजन की बहुत कमी हो जाती है, जिससे प्रति वर्ष हजारों ट्राउट मछलियां दम घुट जाने के कारण मर जाती हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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