बांग्लादेश में हिन्दू निशाने पर! कब सुधरेंगे हालात ?
बांग्लादेश में यूनुस सरकार कट्टरपंथी तत्वों के बेहद दबाव में है। यही वजह है कि वहां अल्पसंख्यकों खासकर हिन्दू समुदाय का जीवन दुश्वार हो गया है। बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के मामले में बांग्लादेश सरकार ने एक्शन लेने की शुरुआत की है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने ऐसे 4 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर हिंदू मंदिर और हिंदू समुदाय के लोगों के घरों में तोड़फोड़ करने का आरोप है। हालांकि जानकार लोग इस कार्रवाई को महज खानापूर्ति बता रहे हैं क्योंकि वहां पुलिस और सेना की मौजूदगी में हिन्दू समुदाय के लोगों पर कट्टरपंथी कहर ढा रहे हैं।
आप को बता दें कि बांग्लादेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 4 आरोपियों की गिरफ्तारी उत्तरी बांग्लादेश के सुनामगंज ज़िले से की है। पुलिस ने 12 नामज़द लोगों के अलावा 150 से 170 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। पकड़े गए चारों आरोपियों के नाम अलीम हुसैन (19), सुल्तान अहमद राजू (20), इमरान हुसैन (31) और शाहजहां हुसैन (20) बताए जा रहे हैं। इन पर सुनामगंज ज़िले के दोराबाजार इलाके में तोड़फोड़ करने का आरोप है। 3 दिसम्बर को बांग्लादेश के सुनामगंज ज़िले के आकाश दास ने एक फेसबुक पोस्ट किया था। इस पोस्ट के बाद ज़िले में तनाव पैदा हो गया था। हालांकि, आकाश ने बाद में पोस्ट को डिलीट कर दिया था लेकिन उपद्रवियों ने पोस्ट के स्क्रीनशॉट शेयर करने शुरू कर दिए थे, जिसके कारण इलाके में हिंसा भड़क गई थी।
हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि हम बांग्लादेश सरकार से उम्मीद करते हैं कि वो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा देगी। वहां अल्पसंख्यकों के साथ जो कुछ भी किया जा रहा है, वो परेशान करने वाला है। एस. जयशंकर का यह बयान उस वक्त आया जब गुरुवार को 17 साल की एक हिंदू बांग्लादेशी लड़की नदी तैरकर अवैध रूप से भारत में घुस आई थी। इस लड़की का कहना था कि इस्कॉन भक्त होने की वजह से उसे वहां कट्टरपंथी परेशान कर रहे हैं।
विदित कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक हिंसा के मामले लगातार बढ़े हैं। ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लूरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक 5 से 9 अगस्त के बीच ही बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ लूटपाट की 190 घटनाएं सामने आई थीं। साथ ही 32 घरों में आगजनी, 16 मंदिरों में तोड़-फोड़ और यौन हिंसा के 2 मामले सामने आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 20 अगस्त तक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के कुल 2010 मामले सामने आए। हिंदू परिवारों पर हमले के 157 और मंदिरों के अपमान के 69 मामले शामिल थे।
दुर्गा पूजा के दौरान भी बांग्लादेश में पंडालों को निशाना बनाया गया था। इसके अलावा मूर्तियों को खंडित करने की कई घटनाएं भी दर्ज की गई थीं। कुछ दिन पहले बांग्लादेश के ढाका में इस्कॉन नमहट्टा सेंटर को जला दिया गया था। हमले में श्री श्री लक्ष्मी नारायण देवता की मूर्तियों समेत मंदिर का सामान पूरी तरह से जल गया था।
राजद्रोह के आरोप में यूनुस सरकार ने इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवम्बर को गिरफ्तार किया था। चिन्मय प्रभु पर उनकी एक रैली के दौरान नेशनल फ्लैग (राष्ट्रध्वज) के अपमान का आरोप लगा था। यह रैली 25 अक्तूबर को चटगांव के लाल दीघी मैदान में हुई थी। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने पोस्ट करने वाले आकाश दास को उसी दिन हिरासत में ले लिया था। पोस्ट से भड़के उपद्रवियों ने उसे उसी दिन पुलिस की हिरासत से छीनने को कोशिश भी की थी। हालांकि, सुरक्षा को देखते हुए पुलिस ने आकाश को दोराबाजार की जगह सदर पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया था। गुस्से में उपद्रवियों ने उस दिन ही लोकनाथ मंदिर और हिंदू समुदाय के घरों-दुकानों पर हमला किया था।
बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध उस समय तनावपूर्ण हो गए थे, जब शेख हसीना 5 अगस्त को छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बाद देश छोड़कर भारत आ गई थीं। हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद वहां मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार सत्ता संभाल रही है।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदुओं पर हमले एकदम से बढ़ गए हैं। वहां हिंदुओं और खासतौर पर इस्कॉन के सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा है। कुछ दिनों पहले बांग्लादेश की पुलिस ने बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत संगठन के प्रवक्ता हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास को भी गिरफ्तार कर लिया था, जो अब भी जेल में हैं। रैली के बाद नेता फिरोज खान ने चिन्मय प्रभु और अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। दरअसल रैली के दौरान कुछ लोगों ने आज़ादी स्तंभ पर बांग्लादेश के नेशनल फ्लैग से ऊपर सनातन जागरण मंच का ध्वज फहरा दिया था। बांग्लादेश में नेशनल फ्लैग से ऊपर कोई और फ्लैग फहराना देशद्रोह माना जाता है।
संत चिन्मय कृष्ण दास ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ लोगों को एकजुट किया था। चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद चटगांव में हिंसा फैल गई थी। इस हिंसा में एक वकील की मौत भी हुई थी। वकील की मौत के बाद एक बार फिर चिन्मय प्रभु और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इस मामले में 164 नामज़द और लगभग 500 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस्कॉन पर बैन लगाने के लिए केस भी दायर किए गये। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार गिरने के बाद हिंदू आबादी निशाने पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। हिंदू नेताओं को धमकियां मिल रही हैं। हकीकत यह है कि बांग्लादेश की युनूस सरकार पूरी तरह कट्टरपंथी लोगों के दबाव में है और हिन्दुओं को संरक्षण देने में नाकाम रही है। भारत सरकार अभी सिर्फ अनुकूल स्थिति का इंतजार कर रही है।