तकनीक का उपयोग करें, लेकिन गुलाम न बनें
आज हम सभी आधुनिक युग में जी रहे है। आज का युग डिजिटल तकनीक और इंटरनेट का है। प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है और सभी हर इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम्स, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स और अन्य डिजिटल सेवाओं ने न केवल हमारे जीवन को आसान बनाया है बल्कि हमें एक अनदेखे बंधन में भी जकड़ लिया है। यह बंधन डिजिटल अरेस्ट कहलाता है। डिजिटल अरेस्ट का मतलब है कि तकनीक की ऐसी कैद जिसमें हम स्वयं अपनी मज़र्ी से बंधक बन गए हैं। यह कैद न तो दिखाई देती है, और न ही इसमें किसी बाहरी शक्ति का कोई हस्तक्षेप होता है। हमारी आदतें, हमारी दिनचर्या और यहां तक कि हमारी सोच भी डिजिटल उपकरणों के इर्द-गिर्द ही घूमने लगी है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म ने हमें आभासी दुनिया में उलझा दिया है। हर पल सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हुए नोटिफिकेशन चेक करना प्रत्येक व्यक्ति की आदत बन गई है। युवाओं और बच्चों का ध्यान ऑनलाइन गेम्स, मनोरंजन और वीडियो कंटेंट ने खींच लिया है। वर्क फ्राम होम और डिजिटल बैठकों की वजह से भी कामकाजी लोग अपने डिजिटल उपकरणों पर दिन भर व्यस्त रहते हैं। शिक्षा का भी डिजिटलकरण होने से बच्चे पढ़ाई के लिए डिवाइस और इंटरनैट पर पर निर्भर हो गए हैं।
डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तनाव, चिंता और अवसाद को बढ़ावा देता है। शारीरिक स्वास्थ्य को भी बहुत तेज़ी से प्रभावित करता है। जैसे लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से आंखों की समस्याएं, सिरदर्द और मोटापा जैसे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे बढ़ते हैं। डिजिटल दुनिया में व्यस्तता ने परिवार और समाज से जुड़ाव को कम कर दिया है। जब सारा समय डिजिटल दुनिया में व्यतीत हो जाता है, जिस कारण रचनात्मक सोच और कार्यशीलता कम होती जा रही है। डिजिटल डिटॉक्स यानी प्रतिदिन कुछ समय के लिए डिजिटल उपकरणों से दूरी बना कर रखनी चाहिए। पढ़ाई और मनोरंजन में संतुलन बनाकर बच्चों को डिजिटल साधनों के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए। समाज में विचरण करने के लिए समय निकाला जाने चाहिए। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने को अपनी दिनचर्य में शामिल करना चाहिए। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और ध्यान भी बहुत ज़रूरी है। समय प्रबंधन बहुत ज़रूरी है। डिजिटल उपकरणों के के गैर-ज़रूरी उपयोग से बचना चाहिए।
डिजिटल तकनीक ने हमारे जीवन को बेहद सरल और सुविधाजनक बना दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इसे अपने जीवन का साधन बनाएं, न कि अपने जीवन का स्वामी। इस प्रकार के डिजिटल अरेस्ट से मुक्त होकर अपना वास्तविक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। तकनीक का उपयोग करें, परन्तु तकनीक के गुलाम न बनें। इसी से हमें डिजिटल अरेस्ट से मुक्ति दिला सकती है। (युवराज)