कैसे जीवित रहते हैं सर्दियों में मेंढक ?

बच्चो, मेंढक पानी और ज़मीन पर रहने वाला एक रीढ़ वाला जन्तु है। यह टैडपोल (भाव डड्डी) के रूप में पानी में जन्म लेते हैं, लेकिन बालिग होने पर यह ज़मीन पर रहते हैं। जब यह छोटे मेंढक की अवस्था में होते हैं तो अपने गलफड़ों की मदद से सांस लेते हैं। जैसे मच्छली सांस लेती है परन्तु बालिग होने पर यह फेफड़ों द्वारा सांस लेते हैं। इसके अलावा सांस लेने के लिए इनमें चमड़ी भी मदद करती है।
मेंढक एक ठंडे खून वाला जन्तु होता है। सर्दियों में जब छप्पड़ों और तलाब का सारा पानी जम जाता है तो फिर भी तल पर हमेशा ही कुछ पानी तरल अवस्था में रहता है। उस समय मेंढक इस पानी में जाकर खुद को कीचड़ में दबा लेता है और गर्मियों के शुरू होने तक यह वहीं दबे रहते हैं। इस समय दौरान इनको आक्सीज़न भी न के बराबर ही चाहिए होती है। पानी में कुछ आक्सीज़न मौजूद होती है। इसलिए इनको जितनी आक्सीज़न चाहिए होती है, यह अपनी चमड़ी द्वारा ही प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार मेंढक कीचड़ में दबे रह कर बिना सांस लेकर ही जीवित रहते हैं। कुछ मेंढक अपनी सर्दियां नमी युक्त ज़मीन, पत्थरों या खोलों में रह कर व्यतीत करते हैं और इस समय यह बिल्कुल मरे हुए जीवों की तरह ही हो जाते हैं और इनको सांस लेने की ज़रूरत बिल्कुल नहीं होती क्योंकि इनके शरीर में भोजन की किसी तरह की कोई खप्त नहीं हो रही होती है। बसंत ऋतु के आने पर मेंढक बाहर निकल आते हैं और सक्रिय हो जाते हैं।

-लैक्चरार कैमिस्ट्री, सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्मार्ट स्कूल गग्गो बूआ ज़िला तरनतारन।

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