पंजाब के लिए एक और चुनौती
दशकों से भारत और कनाडा के संबंध बहुत अच्छे रहे। दोनों देशों का आपसी व्यापार बड़े स्तर पर चलता रहा। कनाडा की धरती क्षेत्रफल के रूप में बहुत विशाल है। यहां अनेक तरह की सम्भावनाएं हैं। इसके मुकाबले में वहां की जनसंख्या बहुत कम है। प्रत्येक तरह की सेवाओं के लिए, देश के प्राथमिक ढांचे के निर्माण के लिए और विशाल धरती की सम्भावनाओं को उजागर करने के लिए वहां हर प्रकार के प्रशिक्षित कर्मियों की, अलग-अलग काम के संबंधित कारीगरों की और अन्य नौकरी करने वाले लोगों की सेवाओं की ज़रूरत बनी रहती है। इसी कारण कनाडा ने अपनी बढ़ी हुई ज़रूरतों के लिए दूसरे देशों के प्रवासियों के लिए यहां आने की उन्मुक्त प्रवासी नीति बनाई थी, जिसके कारण भारत सहित और बहुत से देशों के लोगों ने वहां की ओर प्रवास किया। भारत में से भी बड़ी संख्या में पंजाबी कनाडा गये। ब्रिटिश शासन के समय भी पंजाबी किसी न किसी साधन द्वारा अमरीका और कनाडा जाते रहे थे।
पिछले कुछ दशकों में बड़ी संख्या में पंजाबी नौजवानों ने एक तरह से कनाडा की ओर बड़ी संख्या में प्रवास जारी रखा। वहां की उदार नीतियों के कारण पंजाब से बहुत से ऐसे नौजवान भी वहां चले गये, जो किसी न किसी कारण भारतीय सरकारों की नीतियों से नाराज़ थे। ऐसे नौजवानों में बहुत सारे ऐसे भी शामिल थे जो वहां संगठित होकर भारत की नीतियों के विरुद्ध प्रचार करते रहे, जिसके कारण दोनों देशों में तनाव पैदा होना शुरू हो गया। वहां नौजवानों की एक मज़बूत लॉबी खालिस्थान का प्रचार ज़ोर-शोर के साथ करती रही। भारत सरकार को यह गिला रहा है कि ऐसे संगठनों का संरक्षण कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार करती रही है। इसीलिए कुछ वर्ष पहले ट्रूडो की भारत यात्रा बड़ी फीकी एवं बेनतीजा रही थी। पंजाब से गये एक खालिस्तान-पक्षीय नेता हरदीप सिंह निज्झर को कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा गोलियां मार कर मार दिये जाने के बाद जस्टिन ट्रूडो ने यह कहा कि यह वारदात भारत सरकार के अधिकारियों के इशारे पर की गई है। इस मामले को लेकर दोनों देशों के संबंध और भी बिगड़ गये। यहां तक कि कनाडा में रहते भारत के भिन्न-भिन्न समुदायों में भी अक्सर तकरार एवं टकराव पैदा होने लग पड़ा था। दूसरी ओर कनाडा में प्रवासियों की बड़ी संख्या हो जाने के कारण वहां नौजवानों में बेरोज़गारी की भी वृद्धि होने लगी, जिस कारण सरकार को अब अपनी प्रवास संबंधी नीतियों में बदलाव करने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। इस संदर्भ में ही कनाडा द्वारा बाहर से आने वाले लोगों पर कई तरह की पाबंदियां लगाने के फैसले किये जा रहे हैं। प्रवास संबंधी नीतियों में बदलाव के कारण पंजाब के नौजवानों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा है और वहां जाकर रहने के लाखों इच्छुक नौजवानों के सपनों पर पानी पड़ते दिखाई देता है, जिससे पंजाब में व्यापक स्तर पर निराशा की स्थिति पैदा हुई है, क्योंकि यहां लाखों ही नौजवान बेरोज़गारी के आलम में विचरण कर रहे हैं।
नौजवानों की इस ज़रूरत एवं लालसा को पूरा करने के लिए उनके माता-पिता आवश्यक बड़ी राशि इकट्ठी करके उन्हें जहाज़ में बिठाते रहे हैं, परन्तु अब जब जस्टिन ट्रूडो के प्रशासन पर भी अविश्वास के घने बादल छाने लगे हैं तो उस समय वहां राजनीतिक अनिश्चितता पैदा हो गई है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव प्रवासियों तथा विशेषकर पंजाबी नौजवानों की कनाडा जाकर रहने की इच्छा पर पड़ा है। नि:संदेह पंजाब के लिए यह भी एक बड़े नुकसान की बात होगी, क्योंकि पंजाब का आर्थिक भविष्य पहले ही लड़खड़ाते हुए दिखाई दे रहा है, जिसमें से किसी न किसी तरह निकल सकना अब प्रदेश के लिए एक और बड़ी चुनौती बना दिखाई देता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द