चुनाव आयुक्त और ई.वी.एम. की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने दिए जवाब

भारतीय चुनाव कमिशन द्वारा मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होगा, जबकि 8 फरवरी को परिणाम घोषित होंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उप-चुनाव भी उपरोक्त विवरण अनुसार ही होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार द्वारा प्रैस कांफ्रैंस के दौरान पिछले कुछ दिनों से चुनाव प्रक्रिया, ई.वी.एम., मतदाता सूची, टर्नआऊट को लेकर उठ रहे सभी सवालों का क्रमवार ढंग से जवाब भी दिया गया है।
लगातार होती है मतदान सूचियों की जांच
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने शायरी के साथ शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘कर न सके इकरार तो कोई बात नहीं, मेरी व़फा का उनको ऐतबार तो है, शिकायत भले ही उनकी मजबूरी हो, मगर सुनना, सहना और सुलझाना हमारी आदत तो है’’, इसके बाद सबसे पहले उन्होंने मतदाता सूचियों में से नाम हटाए जाने के आरोपों का जवाब दिया और पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इलैक्टोरल रोल जब भी बनता है, राजनीतिक दल, उम्मीदवार हमेशा चुनाव कमिशन के सम्पर्क में रहते हैं और लगातार बैठकें होती रहती हैं। हर पार्टी अपने द्वारा भी बी.एल.ए. (यूथ लैवल स्तर पर एजेंट) की नियुक्ति कर सकती है और उसके बाद भी शिकायतों की सुनवाई की जाती है।
राजीव कुमार ने कहा कि फार्म-6 और फील्ड वैरीफिकेशन होती है। इसकी ड्राफ्ट कापी भी वैबसाइट पर अपलोड होती है ताकि शिकायतों की सनवाई की जा सके। इसके बाद फाईनल मतदाता सूची साझी की जाती है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि किसी की मौत हो गई है तो उसका सर्टीफिकेट भी हम बी.एल.ओ. द्वारा लगातार रखते हैं। यदि किसी का नाम हटाना है तो उसको नोटिस दिया जाता है, वैबसाइट पर डाला जाता है ताकि वह शिकायत कर सके। बिना फार्म-7 के किसी का भी नाम सूची में से हटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हर साल अक्तूबर में इस सूची की जांच की जाती है और राजनीतिक पार्टियों को मतदान सूची सौंपी जाती है। यदि नए लोग मतदाता बनना चाहते हैं तो उस प्रक्रिया से भी पार्टी को अवगत करवाया जाता है। साथ ही हर मतदान केन्द्र पर ड्राफ्ट कापी प्रकाशित की जाती है ताकि शिकायतों को हल किया जा सके। किसी भी मतदाता का नाम बिना जांच के सूची में से काटा नहीं जा सकता और किसी भी मतदान केन्द्र पर दो प्रतिशत से अधिक नाम यदि सूची में से हटाये जाते हैं तो वहां जाकर निजी तौर पर जांच (वैरीफिकेशन) की जाती है। यदि फिर भी किसी का नाम सूची में से काटा जाता है तो अक्तूबर तक उसके पास अपनी पैरवी के लिए मौका होता है, पर ऐसे मुद्दे सिर्फ चुनावों से पहले ही उठाए जाते हैं।
देश का मान है ‘ई.वी.एम.’
ई.वी.एम. पर उठने वाले सवालों का जवाब देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि मतदान से 7-8 दिन पहले ई.वी.एम. में सिंबल (चुनाव निशान) पाये जाते हैं और इसके दौरान एजेंट मौजूद रहते हैं। साथ ही उनको ‘मॉक पोल’ करने की छूट होती है। इसके बाद उन एजेंटों के सामने ही ई.वी.एम. को सील करके स्ट्रांग रूम में रखा जाता है औप फिर मतदान के दिन भी उनके सामने खोलकर फिर से एक बार मॉक पोल करवाया जाता है। साथ में मतदान के बाद फार्म-17सी भी दिया जाता है और गिनती से पहले इन दोनों को मिलाया जाता है। यदि यह आपस में न मिले तो आगे गिनती नहीं हो सकती। साथ ही गिनती से पहले रैंडमली (बेतरतीबवार) कुछ वी.वी.पैट का मिलान भी करवाया जाता है।
ई.वी.एम. को लेकर अदालतों तक पहुंची शिकायत और उन पर आने वाली टिप्पणियों को एक-एक करके चुनाव आयुक्त ने मीडिया के सामने रखा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी ई.वी.एम. को लेकर सभी शंकाएं दूर कर दिये हैं। उन्होंने अदालत की टिप्पणी के आधार पर कहा कि ई.वी.एम. हैक नहीं हो सकती और अभी तक इसमें वायरस या बग जैसी कोई शिकायत भी नहीं मिली है। किसी तरह भी गैर-कानूनी मतदान ई.वी.एम. में नहीं हो सकता। ई.वी.एम. के साथ किसी भी तरह की हेराफेरी से भी अदालत साफ इन्कार कर चुकी है।
राजीव कुमार ने कहा कि ई.वी.एम. पूरी तरह साथ ‘फूलप्रूफ’ है और वी.वी.पैट प्रणाली के साथ इसकी पारदर्शिता और बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए मान की बात है कि यहां ई.वी.एम. द्वारा पूरी तरह से सटीक और पारदर्शी चुनाव करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि पुराने रिवाज़ के मुताबिक बैलेट पेपर के साथ चुनाव करवाने की मांग पूरी तरह के गैर-कानूनी है और यह चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करने की तरह है। बिना किसी सबूत के चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना सरासर गलत है।
वोटर ‘टर्नआऊट’ में फर्क क्यों होता है?
वोटर ‘टर्नआऊट’ में आने वाले फर्क को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और शाम के बाद फाईनल वोटर टर्नआऊट के गैप पर भी राजनीतिक दलों द्वारा सवाल किये गये हैं। इसके जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि मतदान प्रक्रिया खत्म होने के तुरंत बाद स्टेशन को बंद करने से लेकर ई.वी.एम. को लॉक करने जैसे तमाम काम किये जाते हैं। इसी वजह से 6 बजे आया वोटिंग टर्नआऊट फाईनल माना जा सकता है और उसमें रात 11 बजे तक अपडेट होती है। इसके बाद भी कई पोलिंग पार्टियां देर रात अपने मुख्य स्टेशन पर पहुंचती हैं, इसलिए सुबह एक बार फिर से वोटिंग टर्नआऊट का अपडेट डाटा जारी किया जाता है। 
चुनाव आयुक्त ने कहा कि बार-बार वी.वी.पैट गिनने की बात आती है तो हम 2019 में अदालत के आदेश के बाद हर विधानसभा क्षेत्र में से 5-5 वी.वी.पैट पर्चियां गिनती शुरू की जाती है। इसके बाद 67 हज़ार से ज्यादा वी.वी.पैट और करीब 4.5 करोड़ पर्चियों की गिनती हुई थी। इसके बाद एक भी वोट का फर्क नहीं आया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इन सभी सवालों को लेकर हम वैबसाइट पर स्न्नक्तह्य (अक्सर पूछे जाते सवालों के जवाब) सांझे कर रखे हैं और लोग सीधे जाकर सभी जवाब ढूंढ सकते हैं।
मुफ्त की योजनाओं पर टिप्पणी
मुफ्त की योजनाओं के साथ जुड़े एक सवाल के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपने-अपने घोषणा-पत्र में यह भी बताना चाहिए कि राज्य की आर्थिक हालत क्या है और जो वायदे वे कर रहे हैं, उनका प्रदेश का आर्थिकता पर क्या असर पड़ेगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि बहुत सारे ऐसे प्रदेश हैं, जिन्होंने इतने ज्यादा वायदे कर दिये हैं कि अब उनके लिए सरकारी कर्मचारियों को वेतन दे सकना भी मुश्किल हो रहा है। यह एक गम्भीर मुद्दा है। हमने अपनी वैबसाइट पर एक प्रोफार्मा अपलोड कर दिया है। अब समय आ गया है कि हम इसका कोई कानूनी हल निकालें, पर इस समय हमारे हाथ बंधे हुए हैं, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है।

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