चुनौतियों से निपटने के यत्न
इस समय पंजाब को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह चुनौतियां राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक और अमन कानून की स्थिति से भी संबंधित हैं। इनसे निपटने के साथ-साथ प्राथमिक ढांचे की मज़बूती के लिए भी बड़े यत्नों की ज़रूरत है। खासतौर पर गांवों और शहरों की सड़कों की अधिकतर स्थानों पर मुरम्मत की ज़रूरत है। हरित क्रांति की आमद के साथ प्रदेश के बहुत से गांवों को सड़कों के जरिए आपस में और निकट के शहरों तथा कस्बों के साथ जोड़ा गया था। इनको ‘लिंक रोडज़’ भी कहा जाता है। इससे पहले प्रदेश में प्रत्येक स्थान पर बिजली भी उपलब्ध करवाई गई थी। परन्तु समय के अनुसार लगातार इन सुविधाओं के नवीनीकरणीय और इनकी देखभाल करने की ज़रूरत पड़ती रहती है। यह सभी काम योजनाबद्ध ढंग से तभी पूरे होंगे यदि प्रदेश की आर्थिकता मज़बूत होगी। इस समय पंजाब सरकार को दो बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए पूरा ध्यान देने की ज़रूरत है, जिनके संबंधी कुछ दिनों से प्रदेश सरकार बड़े स्तर पर सक्रिय हुई भी नज़र आ रही है।
हर तरह से नशों ने पंजाब को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। प्रदेश की जवानी बड़े स्तर पर इस बुराई का शिकार हो गई है। नशों के प्रचलन को हर स्तर पर रोकना बहुत बड़ा और जोखिम भरा काम है। पिछले कुछ माह से सरकार ने इस संबंधी जो बड़ी गतिविधियां दिखाई हैं, उसने जहां समूचे समाज का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वहीं यह भी लगने लगा है कि कानून के दायरे में रहते हुए, पूरी सख्ती करते हुए यदि सरकार इस ओर कार्यशील रहती है तो इसके अच्छे परिणाम निकल सकते हैं। यदि यह कदम सफल नहीं होते हैं तो यह सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। इसके साथ ही दूसरी बड़ी चुनौती बद से बदतर हुई अमन कानून की हालत की है। दिन-दहाड़े भरे बाज़ारों में लुटेरों और झपटमारों ने आम लोगों के मन में डर और दहशत पैदा कर दी है। अंधेरा होते ही लोग घरों से बाहर निकलते समय हिचकिचाने लगे हैं, क्योंकि ऐसी छोटी-बड़ी वारदातों का सिलसिला लगातार जारी है। सम्पन्न लोगों को फिरौतियों के लिए व्यापक स्तर पर धमकियां मिल रही हैं। आम प्रभावित नागरिक यदि इस ओर ध्यान नहीं देता तो ये असामाजिक तत्व धमकियों के बाद घटिया कार्रवाइयों पर उतर आते हैं, जिनके पिछले दिनों में समाचार भी मिलते रहे हैं।
समाज में विगत लम्बे समय से ऐसे तत्वों की भरमार हो गई है, जो हर हाल में प्रदेश की शांति को भंग करना चाहते हैं। विशेष रूप में वे भाईचारक साझ में दरार डालने की साज़िशें रचते रहते हैं। कई बार अपने कृत्यों में वे सफल भी हो जाते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर देश विरोधी नारे लिखना, विज्ञापन लगाना तथा अन्य ऐसी कार्रवाइयों से वे जहां लोगों का ध्यान आकर्षित करने का यत्न करते हैं, वहीं प्रशासन के लिए बड़ी चुनौतियां भी खड़ी करते हैं। ऐसे तत्व पड़ोसी देश पाकिस्तान की निर्धारित नीतियों के कारण सीमा पार से आई मदद से अपने उद्देश्यों को पूरा करने का यत्न करते हैं। ऐसे तत्व विदेश में बैठ कर जहां देश को चुनौती देने की साज़िशें रचते हैं, वहीं वे भाईचारक साझ को नुकसान पहुंचाने के लिए धार्मिक स्थानों को भी निशाना बनाते रहते हैं। संतोषजनक बात यह है कि प्रदेश के लोग इन तत्वों के इरादों को पूरी तरह समझ चुके हैं।
पिछले दिनों अमृतसर में एक ठाकुरद्वारा (मंदिर) को इन तत्वों द्वारा गे्रेनेड हमला करके निशाना बनाया गया था, परन्तु इस कृत्य के खिलाफ समाज के सभी वर्गों द्वारा जिस प्रकार की प्रतिक्रिया आई है, वह हौसला बढ़ाने वाली तथा विश्वास पैदा करने वाली है। प्रत्येक वर्ग द्वारा ऐसी कार्रवाई के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रियाएं आना सामाजिक भाईचारक साझ कायम रखने में सहायक होती हैं और आपसी सहयोग एवं प्रेम को भी मज़बूती प्रदान करने वाला अच्छा प्रभाव पैदा करती हैं। समाज में उभरी ऐसी सोच से ही ऐसे नकारात्मक इरादे वाले संगठनों को एक स्पष्ट संकेत मिलता है। प्रशासन यदि इन नकारात्मक कृत्यों को रोकने के लिए अब की तरह आगामी समय में भी पूरी तरह सक्रिय रहता है तो इससे जहां प्रदेश में अमन एवं सद्भावना मज़बूत होगी, वहीं प्रदेश विकास के मार्ग पर अपना सफर जारी रखने में भी सफल रहेगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द