सर्दियों में ज्वार के साथ वापस लौट जाता है तटीय केकड़ा

तटीय केकड़ा सागर तटों पर रहने वाला एक साहसी एवं लडाकू केकड़ा है। यह खतरा निकट होने पर अपने पंजे ऊपर कर लेता है। यह इसकी आत्मरक्षा की मुद्रा होती है, किंतु इसे देखने पर ऐसा लगता है। मानो यह लड़ने के लिए तैयार हो। तटीय केकड़े की अनेक जातियां है। इनमें यूरोप का तटीय केकड़ा प्रमुख है। यह यूरोप के पश्चिमी भागों के सागर तटों पर बहुतायत से मिलता है। यूरोप का तटीय केकड़ा अटलांटिक महासागर में उत्तर अमरीका के सागर तटों पर भी केपकाड से न्यूजर्सी तक देखा जा सकता है। यहां पर इसे हरा केकड़ा कहते हैं। यूरोप तथा उत्तर अमरीका में पाए जाने वाले तटीय केकड़ों में हरा रंग मुख्य रूप से नर का होता है। वयस्क मादाओं का रंग प्राय: नारंगी होता है। इनके बच्चों के रंगाें और डिजाइनों में काफी विविधता होती है। कुछ काले तो कुछ हरे, कुछ सफेद लाल तो कुछ लाल-काले। ये बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, इनके रंगों की विविधता कम होती है। और वयस्क होते-होते यह विविधता पूरी तरह समाप्त हो जाती है। तटीय केकड़े की कुछ जातियां दक्षिण अमरीका में ब्राजील के सागर तटों पर उत्तरी अफ्रीका के सागर तटों पर तथा श्रीलंका, भारत, ऑस्ट्रेलिया आदि के सागर तटों पर भी पाई जाती है।
तटीय केकड़ा दलदली या चट्टानी जगह पर रहना पसंद करता है। यह ताजे पानी में ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता। दिन के समय चट्टानाें की दरारों में छिपा रहता है और रात में सक्रिय होता है। ज्वार के समय ये सागर तट पर आ जाता है और ज्वार के लौट जाने पर भी यह वहीं बना रहता है। सर्दियों में ज्वार के साथ वापस लौट जाता है। यह जमीन और पानी दोनों में आसानी में रह जाता है। लेकिन अच्छा तैराक नहीं है। इसकी शारीरिक संरचना वास्तविक केकड़े के समान होती है। यह पानी में घुली हुई ऑक्सीजन के साथ ही सीधे हवा से भी सांस ले सकता है। नर तटीय केकड़े का पेट पांच भाग वाला होता है, जबकि मादा के पेट में सात भाग होते हैं। 
तटीय केकड़ा अच्छा शिकारी जीव है, यह उन सभी जीवों का शिकार करता है, जिन्हें यह मार सकता है। शिकार के लिए ये अपने पैरों के चिमटे का उपयोग करता है। इसके पैरों के चिमट बहुत मजबूत और ताकतवर होते हैं। तटीय केकड़ा शिकार न मिलने पर सड़ा गला मांस भी खा लेता है। इसका विकास बड़ी धीमी गति से होता है। इसके दो सेंटीमीटर लंबे बच्चे के शरीर पर पीले, लाल, सफेद, काले आदि रंग तथा विभिन्न प्रकार की डिजाइनें आ जाती है। इस समय ये बड़ा सुंदर दिखायी देता है, इसके बाद जैसे जैसे ये बढ़ता है, इसके रंगों और डिजाइनाें की विविधता कम होती जाती है। तटीय केकड़ा का लारवा छह बार निर्मोचन करता है और अंतिम बार निमोचन करने के बाद बच्चा तटीय केकड़ा जैसा दिखने लगता है। अब ये जमीन पर चल सकता है तथा अपने पैरों के तीसरे और चौथे जोड़े को अपने आवरण पर रखकर तैर सकता है। तटीय केकड़ा का लारवा बच्चा केकड़ा बन जाने के बाद भी निर्मोचन करता रहता है। इसके बाद ये एक बार विशेष निर्मोचन करता है और इसके प्रजनन अंग निकलते हैं। बच्चा केकड़ा बनने के बाद भी 10 से 11 बार निर्मोचन करता है। मादा तटीय केकड़े के 6.5 सेंटीमीटर का हो जाने एवं नर के 7.5 सेंटीमीटर होने पर निर्मोचन बंद हो जाता है। ये गर्मियों में अधिक निर्मोचन करता है। 
निर्मोचन के समय यह अपने शरीर में अपने वजन का 70 प्रतिशत तक पानी भर लेता है, जिससे इसका शरीर फूल जाता है और ऊपर का आवरण अनेक जगहों से चटक जाता है फिर धीरे-धीरे मरकर शरीर से अलग हो जाता है। तटीय केकड़े का नया आवरण बहुत कोमल होता है। अत: इसे उस समय तक छिपकर रहना पड़ता है, जब तक यह कठोर नहीं हो जाता। तटीय केकड़ा स्वजाति भक्षी होता है। अगर यह अपने शत्रुओं से बच जाए तो ये लगभग तीन वर्ष की आयु तक जीवित रहता है। लेकिन मानव से नहीं बच पाता। यूरोप के अनेक देशों के लोग तटीय केकड़े को बहुत शौक से खाते हैं।

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