साढ़े आठ किलो वज़न कम हुआ है!
अरे वाह क्या गजब हुआ है। जब से नेताजी जेल गये हैं। उनका वजन साढे आठ किलो वजन कम हुआ है। आपने सुना है इतिहास में कि कोई नेता जेल गया हो। और उसका वजन साढे आठ किलो कम हुआ हो। अरे साढे आठ किलो क्या दो चार ग्राम कम हुआ हो। ऐसा इतिहास में कभी भी नहीं हुआ है। ऐसा इतिहास में ना कभी मैंने देखा, ना सुना, ना ही कभी किसी अखबार में पढ़ा। वो भी किसी मुख्यमंत्री के साथ, ऐसा तो असंभव है! ये तो सूर्य के पश्चिम से निकलने जैसी घटना हो गई है। जब आजकल हर ऐरा-गैरा अपने आपको नेता बता रहा है। और जिसकी पहुँच सीधे केंद्र तक है। ऐसा विरले ही होता। ऐसे में गली का हर टुच्चा, लफंगा और दो कौड़ी का नेता जिस पर हत्या, दुष्कर्म और अपहरण सरीखे सैंकड़ो केस दर्ज हों। जब जेल जाता है। तो उसका स्वागत जेल में पहुंचने के बाद ससुराल में पहुँचे किसी दामाद की तरह होती है।
वही खातिरदारी इन टुच्चे नेताओं की जेल में होती है। वहां गर्मियों में एसी, कूलर, मनोरंजन के लिए बड़ी ‘एलसीडी, टीवी होती है। उनके लिये एक बढ़िया खानसामा, नाचने गाने और मनोरंजन के लिए सुंदर नर्तकियां, बिरयानी से लेकर सुरा-सुंदरियों की भी व्यवस्था होती है। ये तो छुट-भैया और लुच्चे-लफंगे और टुच्चे टाइप के नेताओं के लिये सुविधायें होतीं हैं। जो दो-कौड़ी के और सड़क छाप नेता होते हैं। जिनकी औकात मोहल्ले के आवारा कुत्तों से कमकर क्यों होती होगी? हाई प्रोफाइल नेताओं की तो बात ही अलग है। उनके लिये तो जेल मैनुअल में फाइव स्टार सरीखे व्यवस्था होती है। मीडिया हलकान हुआ जाता है कि पिछले चार महीने में नेताजी का वजन साढे आठ किलो कम हुआ है। अरे भाई नेताजी जो इतना खाते हैं। उसके बारे में तुम्हें भला क्या पता?
उसका सही वजन भला हमारे यहां की वेट मशीनें कहां लगा पायेंगी। दूध-दही, माखन-मिसरी, काजू-कतली तो नेताजी के नाखून के मैल जितना है। दरअसल उनके मुटियाने का राज ये है कि वो विकलांगों का हक, वृद्ध-महिलाओं का पेंशन में कमीशन, मिड-डे-मील का कमीशन, सड़क के ठेके का कमीशन, बालू का कमीशन, अलकतरा का कमीशन, हर छोटे से से छोटे और बड़े से बड़े ठेके में कमीशन खा जाते हैं। नेताजी का जन्म इसीलिये ही हुआ है। कि वे खायें और पियें। तभी तो उनका पेट सुरसा के मुंह की तरह फुला जाता है। दरअसल नेताजी लोगों का खून पीते हैं। इसलिए उनका वजन उतरोत्तर बढ़ता ही जाता है।