मध्यम दूरी दौड़ का नया सितारा गुलवीर सिंह

गुलवीर सिंह उत्तर प्रदेश के सिरसा गांव से हैं। वह 2018 तक खेलों के संसार के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे लेकिन अब वह ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई करने हेतु पलक झपकने की दूरी पर हैं। यानी 10,000 मी की ओलंपिक दौड़ के लिए क्वालीफाई करने के लिए उन्हें अपने समय में मात्र 220 मिली सेकंड्स की कमी करनी है। यह वह समय है जिसमें इंसान की पलक झपक भी जाती है और किसी को मालूम तक नहीं होता। गुलवीर के लिए यह काम मुश्किल नहीं है। उन्होंने एक वर्ष की अवधि में अपने दौड़ समय में 41 सेकंड से भी अधिक कम किये हैं। साथ ही वह नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। अगर वह ओलंपिक के लिए 10,000 मी दौड़ में सीधे क्वालीफाई कर लेते हैं, जिसकी संभावनाएं प्रबल हैं, तो वह ऐसा करने वाले न सिर्फ पहले भारतीय धावक होंगे बल्कि वास्तव में ग्लोबल इलीट बन जायेंगे।
गुलवीर की स्पोर्ट्स में न जानकारी थी और न ही दिलचस्पी। वह तो अपने दौड़ समय में सुधार लाने के प्रयास में लगे हुए थे ताकि सेना का फिजिकल टेस्ट पास कर सकें। ग्रामीण युवकों का सेना में भर्ती होने का ही एकमात्र सपना होता है। वह इसी के लिए कोशिश करते हैं ताकि स्थायी नौकरी मिल जाये और उनका ब्याह हो जाये। गुलवीर की असाधारण प्रतिभा को इंडियन आर्मी टैलेंट स्काउट ने पहचान लिया और उनकी दुनिया ही बदल गई। अरुणाचल प्रदेश में पोस्टिंग के दौरान गुलवीर ने दौड़ने को स्पोर्ट्स के रूप में खोजा। उनके साथी सैनिकों ने उन्हें इंटर-यूनिट, क्रॉस-कंट्री प्रतियोगिता के बारे में बताया और उन्हें एहसास हुआ कि उनकी स्पीड तो उनकी पदोन्नति भी करा सकती है। इस तरह गुलवीर एथलीट बन गये। तब से छह साल बीत गये हैं। आइये जानते हैं उनकी प्राकृतिक प्रतिभा ने आगे कैसे दिशा ली? अब 26 वर्षीय गुलवीर कॉलोराडो में अमरीकी कोच स्कॉट सिम्मंस के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं, जिन्हें धावकों के उस छोटे से समूह के साथ अच्छी सफलता मिली है, जिसको भारत के खेल प्राधिकरण (साई) ने हाल के वर्षों में उनके पास भेजा है। हालांकि कुलीन धावकों के लिए यह अच्छी व्यवस्था है लेकिन इससे भारत में लम्बी दौड़ के संदर्भ में कोई संरचनात्मक सुधार नहीं आ रहा है। लगभग एक दशक पहले साई ने मध्यम दूरी की श्रेणी की पहचान वरीयता के तौर पर की थी। यह पूर्णत: अच्छा चयन था क्योंकि दोनों स्प्रिन्ट्स (100 मी, 200 मी व 400 मी) और लम्बी दूरी (मैराथन) में सफलता पाने के लिए जेनेटिक पहलू अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। ग्लोबल प्रतियोगिताओं में सही जीन्स के धावक लगभग सभी पदक ले जाते हैं, जैसे पश्चिम अफ्रीका वाले स्प्रिन्ट्स में और रिफ्ट घाटी (केन्या, युगांडा व इथोपिया) वाले मैराथन में।
अत: फोकस करने के लिए मध्यम दूरी की श्रेणियां ही बचती हैं। गुलवीर सबूत हैं कि इस क्षेत्र में भारत के लिए कितनी संभावनाएं हैं लेकिन साई की महत्वकांक्षी योजना (विश्व विख्यात कोच के साथ समर्पित केंद्र) शुरू होते ही लड़खड़ा कर गिर गई। कोच ह्यूगो वान डेन ब्रोक एकदम से बीच में छोड़कर चले गये। उन्हें भी अधिकतर विदेशी कोचों की तरह ही शिकायतें थीं कि अर्थहीन बाधाएं उत्पन्न की जाती हैं और प्रोफेशनलिज्म का पूर्णत: अभाव है। अब बात का रुख वापस गुलवीर की तरफ मोड़ते हैं। कोई इस बात की शर्त न लगाये कि गुलवीर 10,000 मी में ओलिंपिक में सीधे क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय धावक नहीं होंगे क्योंकि शर्त हारने की पूरी पूरी संभावनाएं हैं। गौरतलब है कि सुरेंद्र सिंह ने 2008 बीजिंग में 10,000 मी दौड़ में हिस्सा लिया था, लेकिन उनका चयन कोटा से हुआ था। मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह में कैलिफोर्निया में टेन 2025 एथलेटिक्स प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें गुलवीर ने अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड 14 सेकंड से तोड़ा। उनका 27:00:22 का समय ऐसा है, जहां अब तक कोई भारतीय नहीं पहुंचा था और इस समय ने उन्हें इस दूरी में विश्व के कुलीन धावकों में शामिल कर दिया है। गुलवीर का यह नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड उससे बेहतर है, जो उन्होंने पिछले साल जापान में स्थापित किया था। ध्यान रहे कि जापान की दौड़ से कुछ माह पहले गुलवीर ने 16 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा था।
गुलवीर का नया रिकॉर्ड इस समय न केवल एशिया में सबसे बेहतर है बल्कि सर्वकालिक 10,000 मी एशियन सूची में तीसरे स्थान पर है। एशियन रिकॉर्ड (26:38:76) अहमद हसन अब्दुल्लाह के पास है और सूची में दूसरे स्थान पर निकोलस केम्बोई (26:51)87) हैं। ये दोनों ही धावक केन्या के थे लेकिन कतर के लिए दौड़ते थे। बहरहाल, गुलवीर का समय 2008 के ओलंपिक रिकॉर्ड (27:01:17) से बेहतर है, जो 15 साल से अधिक तक कायम रहा था और पेरिस 2024 में न सिर्फ युगांडा के जोशुआ चेप्तेगेई (26:43:14) ने तोड़ा बल्कि उनके पीछे जो 12 धावक थे उन्होंने भी तोड़ा। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ट्रेनिंग के नये तरीकों और शू टेक्नोलॉजी ने धावकों को कहां से कहां पहुंचा दिया है। गुलवीर अपने दौड़ समय में निरंतर सुधार कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या वह कुछ और सेकंड्स की कटौती करके वास्तव में ग्लोबल कुलीन में शामिल हो सकते हैं?
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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